तुलसी गैबार्ड की पुष्टि के खिलाफ वोट क्यों दिया मिच मैककॉनेल ने
फ़र॰, 13 2025
तुलसी गैबार्ड की पुष्टि पर विवाद
अमेरिकी सीनेट ने 12 फरवरी, 2025 को तुलसी गैबार्ड को राष्ट्रीय ख़ुफ़िया निदेशक (DNI) के रूप में पुष्टि कर दिया, जिसमें 52-48 की वोटिंग हुई। यह एक दुर्लभ मामला था जहाँ द्विदलीय विरोध देखा गया। विशेष रूप से रिपब्लिकन पार्टी के मिच मैककॉनेल ने डेमोक्रेट्स के साथ मिलकर गैबार्ड के खिलाफ मतदान किया।
मैककॉनेल ने गैबार्ड के कई निर्णयों और नीतियों पर चिंता जताई है। 2017 में उनके सीरियाई नेता बशर अल-असद से मुलाकात और अमेरिकी समर्थन पर सवाल उठाने जैसी बातों पर उन्होंने आपत्ति जताई। इसके अलावा, NSA व्हिसलब्लोअर एडवर्ड स्नोडन को माफी देने और चीनी आक्रामकता को 'पश्चिम का अतिरंजित खतरा' कहने जैसे उनके बयानों ने मैककॉनेल को असंतुष्ट किया।
राजनीतिक संदर्भ
गैबार्ड, जो पहले डेमोक्रेटिक कांग्रेसवुमन थीं, ने अपनी पुष्टि प्रक्रिया के दौरान कड़ी निगरानी झेली। हालांकि सीनेट में बहुमत के नेता जॉन थ्यून ने उन्हें 'देशभक्त' बताते हुए समर्थन दिया। उन्होंने यह भी कहा कि गैबार्ड अपनी प्राथमिकता को खुफिया समुदाय की कोर मिशनों पर केंद्रित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दूसरी ओर, डेमोक्रेट्स के नेता चक शूमर ने उन पर रूसी प्रचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
इसके बावजूद, मिस्टर मैककॉनेल का विरोध गैबार्ड की पुष्टि को रोक नहीं सका क्योंकि रिपब्लिकन सीनेटर सुज़न कॉलिन्स और टॉड यंग जैसे सांसदों ने उनका समर्थन किया। गैबार्ड की स्थिति 52-46 के वोट से प्रक्रिया पूरी कर पाई।
Anuj Tripathi
फ़रवरी 14, 2025 AT 11:43तुलसी ने जो सीरिया में किया वो कोई ट्रेनर नहीं बल्कि एक आदमी जो असली हालात देखना चाहता था
Hiru Samanto
फ़रवरी 14, 2025 AT 20:09हमें एक देश के लिए दो अलग दृष्टिकोण चाहिए ना
Divya Anish
फ़रवरी 15, 2025 AT 16:37जब दुनिया भर में लोग अपनी बात रखने के लिए डरते हैं, तो उनकी हिम्मत को तारीफ की जानी चाहिए
मैं अक्सर सोचती हूँ कि क्या हम भारत में भी ऐसी नेताओं को देख पाएंगे जो अपने देश के लिए अपने विचारों को खुलकर रख सकें
गैबार्ड ने जो बयान दिए हैं वो शायद अमेरिकी राजनीति के लिए अजीब लगे, लेकिन दुनिया के दूसरे हिस्सों में ये बहुत सामान्य बातें हैं
चीन के साथ व्यवहार को लेकर उनका दृष्टिकोण शायद बहुत से लोगों को अजीब लगा, लेकिन वास्तविकता यह है कि हम सब एक ग्लोबल वर्ल्ड में रह रहे हैं
अगर हम अपने दोस्तों को भी बार-बार गलत कह दें तो क्या हम उनके साथ बात करना बंद कर देंगे?
यही तो वो बात है जो मैककॉनेल ने भूल गए
तुलसी ने जो बात कही वो बिल्कुल भी रूसी प्रचार नहीं था, बल्कि एक विश्लेषण था
और ये बात बहुत लोग नहीं समझ पाते क्योंकि वो अपने अहंकार के चक्कर में हैं
मैं एक भारतीय के रूप में इस बात को बहुत पसंद करती हूँ कि एक देश की नागरिक दूसरे देश के नेता के साथ बात करने के लिए जाती है और उसे बुरा नहीं कहती
यह तो एक वयस्कता का निशान है
मैं उम्मीद करती हूँ कि अगले वर्षों में अमेरिका इस तरह के विचारों को अपनाएगा
md najmuddin
फ़रवरी 16, 2025 AT 10:46तुलसी ने जो किया वो देश के लिए 😎
Ravi Gurung
फ़रवरी 17, 2025 AT 09:49पर असल में अलग बात कहना ही स्वतंत्रता है
SANJAY SARKAR
फ़रवरी 17, 2025 AT 12:41Ankit gurawaria
फ़रवरी 18, 2025 AT 19:36तुलसी गैबार्ड ने जो बयान दिए हैं वो शायद अमेरिकी राजनीति के लिए अजीब लगे क्योंकि वहाँ दो ध्रुवों के बीच का अंतर बहुत ज्यादा है
लेकिन दुनिया के अधिकांश देशों में ऐसे विचार बहुत सामान्य हैं जहाँ राजनीति एक अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से देखी जाती है
उनकी सीरिया की यात्रा एक शांति यात्रा थी न कि किसी दुश्मन के साथ दोस्ती करने की कोशिश
उन्होंने बशर अल-असद से मुलाकात करके देखने की कोशिश की कि क्या वहाँ की लोगों की जिंदगी कैसी है
क्या हम भी अपने देश के लोगों की जिंदगी को देखने के लिए निकल पड़ते हैं या फिर बस टीवी पर देखकर फैसला कर लेते हैं
और जब वो चीन की बात करती हैं तो वो अपने देश के लिए नहीं बल्कि दुनिया के लिए बात कर रही हैं
अमेरिका के लिए चीन एक खतरा हो सकता है लेकिन अफ्रीका या दक्षिण एशिया के लिए ये एक अवसर है
और जब वो स्नोडन के बारे में बात करती हैं तो वो एक ऐसे व्यक्ति की बात कर रही हैं जिसने अपने देश के लिए अपना सब कुछ खो दिया
क्या हम उसे दुश्मन बना देंगे या उसे एक नागरिक के रूप में सम्मान देंगे
मैं तो उम्मीद करता हूँ कि अगले कुछ सालों में अमेरिका इस तरह के विचारों को अपनाएगा और वो एक ऐसा देश बनेगा जहाँ विविधता को सम्मान मिलेगा