राजस्थान में भारी बारिश‑बिजली‑हैलोस्टॉर्म, डॉ. अतुल सिंह की चेतावनी, 8 अक्टूबर से सूखा मौसम

राजस्थान में भारी बारिश‑बिजली‑हैलोस्टॉर्म, डॉ. अतुल सिंह की चेतावनी, 8 अक्टूबर से सूखा मौसम अक्तू॰, 6 2025

जब राजस्थान में भारी बारिश आई, तो इंडिया मौसम विभाग ने तुरंत चेतावनी जारी की। सोमवार, 6 अक्टूबर 2025 को पश्चिमी व्यवधान (Western Disturbance) ने राज्य के कई हिस्सों में तूफ़ानी बादल, बिजली और बर्फ़ के टुकड़े (हैलोस्टॉर्म) ला दिए।

पश्चिमी व्यवधान का परिचय और उसकी सक्रियता

यह मौसमीय घटना पश्चिमी व्यवधानउत्तर भारत के नाम से जानी जाती है। वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डॉ. अतुल सिंह, सीनियर मेटिओरोलॉजिस्ट और इंडिया मौसम विभाग ने बताया, “4 अक्टूबर से इस प्रणाली ने उत्तरी भारत में गति पकड़ी है, और अगले दो‑तीन दिनों में भारी वर्षा के साथ हवाई बूदाब (हेलोस्टॉर्म) की संभावना बहुत अधिक है।”

राजस्थान में बारिश का विस्तृत विवरण

राज्य के प्रमुख सात प्रभाग – जयपुर, बीकानेर, भरतपुर, कोटा, अजमेर, जोधपुर और उदयपुर – में इस दिन भारी बारिश दर्ज हुई। विशेषकर जयपुर के साथ बीकानेर और कोटा के कुछ हिस्सों में 30‑40 किमी/घंटा की हवाएँ चल रही थीं। सबसे अधिक 100 मिलीमीटर वर्षा भेंसरोडगढ़ (भिलवाड़ा व चित्तौड़गढ़) में दर्ज हुई, जबकि पश्चिमी राजस्थान के रावटसर और हनुमानगढ़ में क्रमशः 67 मिमी पानी गिरा।

हानुमानगढ़ (हैनूमनगर) जिले में बर्फ़ीले टुकड़ों की बौछार ने लोगों को हैरान कर दिया। कई पड़ोसियों ने बताया कि सुबह‑सुबह अचानक आकाश काला हो गया, बिजली की चमक के साथ ठण्डे बर्फ़ के दाने गिर रहे थे। यह घटना स्थानीय अधिकारियों को आश्चर्यचकित कर गई, क्योंकि इस मौसम में इस तरह की गिरावट दुर्लभ है।

प्रमुख आँकड़े और तुलनात्मक दृष्टिकोण

  • सबसे अधिक वर्षा: 100 मिमी (भेंसरोडगढ़, भिलवाड़ा/चित्तौड़गढ़)
  • हवा की गति: 30‑40 किमी/घंटा (सभी सात प्रभाग)
  • हैलोस्टॉर्म की संभावना: शेखावाटी, जयपुर, बीकानेर, अजमेर और भरतपुर में विशेष चेतावनी
  • तापमान में गिरावट: 3‑5 °C (दिन में 31‑33 °C से रात में लगभग 20 °C तक)
  • ओरेंज अलर्ट: 9 जिलों में ‘भारी‑से‑बहुत भारी’ बारिश

हाल ही में 2022 में आए समान पश्चिमी व्यवधान की तुलना में इस बार बारिश के पैमाने में लगभग 15‑20 % वृद्धि देखी गई। विशेषज्ञ का मानना है कि 2025 की मोनसन अवधि में इस तरह की तेज़ बदलती स्थितियाँ पहले के आँकड़ों से अधिक दिख रही हैं।

सामान्य जीवन पर प्रभाव और सुरक्षा उपाय

सामान्य जीवन पर प्रभाव और सुरक्षा उपाय

जगह‑जगह पानी जमने (वॉटर‑लॉगिंग) और ट्रैफ़िक जाम की समस्या उत्पन्न हुई। जयपुर के मुख्य मार्गों पर कई जगहों पर गाड़ी रुक गई, और स्थानीय निवासियों को अनावश्यक यात्रा से बचने के लिए कहा गया। "अगर आप बाहर हैं तो तुरंत सुरक्षित स्थान पर पहुँचें, क्योंकि बिजली गड़गड़ाकर गिर सकती है," डॉ. अतुल सिंह ने कहा।

इंडिया मौसम विभाग ने निचले सपाट इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति, तेज़ बिजली और गड़गड़ाहट के खतरे को लेकर चेतावनी जारी की। कुछ दूरस्थ क्षेत्रों में तेज़ बर्फ़ीली बौछारों के कारण वन‑आग की संभावना भी कम नहीं मानी गई, इसलिए वन विभाग ने तत्काल कार्रवाई की तैयारी कर ली।

भविष्य का मौसम और कृषि पर संभावित असर

प्रभाव के घटने की संभावना मंगलवार, 7 अक्टूबर से धीरे‑धीरे कम होगी, लेकिन कुछ ऊँचे‑ऊँचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बूंदाबांदी जारी रह सकती है। सामाजिक विज्ञान विभाग के एक कृषि विशेषज्ञ ने बताया, "छोटे किसानों के लिए यह आखिरी बारिश हो सकती है, जिससे फसल की अंत्यावधि (रिप्रोडक्शन) पर सकारात्मक असर पड़ेगा, परन्तु अचानक तापमान गिरने से फसल के कोमल चरण में दिक्कत हो सकती है।"

दो‑तीन दिनों में, विशेषकर बुधवार, 8 अक्टूबर से अधिकांश हिस्सों में सूखा रहेगा। दिन के तापमान 31‑33 °C तक रहेंगे, जबकि रात के समय लगभग 20 °C तक ठंडा हो जाएगा। इस मौसम परिवर्तन के साथ ही जल भंडारण की स्थिति बेहतर होगी, लेकिन कृषि के लिये समय पर जल निकासी व्यवस्था जरूरी है।

समुदाय का प्रतिक्रिया और आगे की दिशा

समुदाय का प्रतिक्रिया और आगे की दिशा

स्थानीय NGOs ने तुरंत राहत कार्य शुरू कर दिया। जयपुर के एक स्वयं‑सेवा समूह ने अस्थायी शरणस्थलों की व्यवस्था की और बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य सामग्री वितरित की। दूसरी ओर, कई शहरों में नागरिकों ने सोशल मीडिया पर हवामान से जुड़ी जानकारी साझा की, जिससे बचाव कार्य में तेजी आई।

इंडिया मौसम विभाग ने अगले 48 घंटे में स्थिति अपडेट देने की घोषणा की। डॉ. अतुल सिंह ने कहा, "हम लगातार मॉनीटर कर रहे हैं; यदि कोई नई बाढ़ या तेज़ हवा की संभावना दिखती है तो तुरंत अलर्ट जारी करेंगे।"

आम प्रश्न (FAQ)

इस बारिश का किसान की फसल पर क्या असर पड़ेगा?

आखिरी भारी बारिश किसानों के लिए जल-संचयन का लाभ दे सकती है, परन्तु अचानक 3‑5 °C तापमान गिरावट से धान की फूल-वंशावली (टिलर) चरण में फसल में तनाव बढ़ सकता है। विशेषज्ञ लोग सिफारिश करते हैं कि फसल की नमी स्तर को मॉनिटर कर अतिरिक्त जल निकासी व्यवस्था रखें।

हैल्लोस्टॉर्म के दौरान सुरक्षा के क्या उपाय अपनाने चाहिए?

बिजली गिरने के जोखिम को कम करने के लिए खुले स्थान, ऊँची इमारतों के बाहर न रहें। अगर बाहर हैं तो तुरंत सुरक्षित इमारत या वाहन में शरण लें, बिजली के पवन को बंद रखें और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अनप्लग कर दें।

क्या अगले कुछ दिनों में फिर से तेज़ बारिश का जोखिम है?

इंडिया मौसम विभाग के अनुसार, 7 अक्टूबर तक भारी बारिश की संभावना घटेगी और 8 अक्टूबर से अधिकांश क्षेत्रों में सूखा रहेगा। हालांकि, ऊँचे पहाड़ी क्षेत्रों में स्थानीय रूप से हल्की बूंदाबांदी जारी रह सकती है।

पश्चिमी व्यवधान क्या है और यह कब तक रहता है?

पश्चिमी व्यवधान एक एटमॉस्फेरिक सर्कुलेशन है, जो यूरोप से एशिया तक ठंडी हवा और नमी ले जाता है। आमतौर पर यह 2‑3 दिन तक सक्रिय रहता है। इस वर्ष यह 4 अक्टूबर से सक्रिय हुआ और 8‑9 अक्टूबर तक उत्तरी भारत में मुख्य प्रभाव दिखाया।

इंडिया मौसम विभाग की ओरेंज अलर्ट का अर्थ क्या है?

ओरेंज अलर्ट ‘भारी‑से‑बहुत भारी’ वर्षा के संकेत देता है, जिसमें बाढ़, जलरोध (फ्लैड) और तेज़ हवाओं की संभावना अधिक होती है। यह अलर्ट जारी होने पर लोगों को सावधानी बरतने, यात्रा टालने और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी जाती है।

1 Comment

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    Shivansh Chawla

    अक्तूबर 6, 2025 AT 20:38

    इंडिया मौसम विभाग की चेतावनी में झाँकें तो साफ़ दिखता है कि पश्चिमी व्यवधान केवल इक़ी लक्षण नहीं, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग के तेज़ी से बढ़ते प्रभाव का परिणाम है। इस तरह की अचानक हाई‑डायनामिक एरोज़ोल प्रोसेसिंग हमारे मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर को बर्बाद कर देती है। जाँचकर्ता रिपोर्ट में बताया गया कि बर्फ़ीले टुकड़े हवा के साथ 150 km/h की गति तक पहुँचे, जो कि हमारे मानक लिंडन‑एयर मॉडल में छाप नहीं रहे। यह घटना दर्शाती है कि हमारा मौसम विज्ञान केवल डेटा इंटेक तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि जलवायु‑परिवर्तन के सैटेलाइट मॉनीटरिंग को भी इंटीग्रेट करना चाहिए। अंत में, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को इस प्रकार के एक्सट्रीम इवेंट्स को टेरर‑इंटेल के दायरे में भी देखना पड़ेगा।

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