जब आप सुबह अख़बार या टीवी पर स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम देखते हैं, तो अक्सर सवाल उठता है—हमें इस संघर्ष को याद रखने का क्या फायदा? सरल शब्दों में कहें तो, इतिहास हमें सिखाता है कि आज‑आज की आज़ादी कड़ी मेहनत और बलिदानों से मिली है। अगर हम इन कहानियों को भूल जाएँ, तो भविष्य में वही गलतियां दोहराने का खतरा बढ़ जाता है।
पहला बड़ा कदम 1857 की क्रांति थी—यह पहला राष्ट्रीय विद्रोह था जहाँ सैनिकों और आम लोगों ने अंग्रेज़ी हुकूमत को चुनौती दी। बाद में 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन हुआ, जिसने शान्तिपूर्ण मांगें उठाने का रास्ता दिया। महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में 1919‑1942 तक सविनय अवज्ञा, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन ने जनता को एकजुट किया। हर मोड़ पर लोग अपने घर‑परिवार से दूर जाकर भी देशभक्ति की भावना नहीं खोते थे; यही कारण है कि आज हम इन कहानियों को गर्व के साथ सुनाते हैं।
15 अगस्त को पूरे देश में ध्वज फहराया जाता है, स्कूल‑कॉलेज में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और प्रधानमंत्री का राष्ट्रभाषण हर दिल को छू लेता है। आप भी छोटे-छोटे कदम उठा सकते हैं: सुबह जल्दी उठकर अपने घर पर तिरंगा लटकाएँ, पड़ोस के बच्चों को स्वतंत्रता संग्राम की कहानियाँ सुनाएँ या सोशल मीडिया पर सही जानकारी साझा करें। याद रहे, आज‑कल इंटरनेट पर बहुत सारी अफवाहें फैली रहती हैं—जैसे 16 जनवरी 2025 को विश्वव्यापी इंटरनेट बंद होने का झूठा ख़बर। ऐसे मिथकों से बचकर केवल सत्य पर भरोसा रखें।
अगर आप मौसम के बारे में भी जानना चाहते हैं, तो स्वतंत्रता दिवस के आसपास झारखण्ड और दिल्ली‑NCR में हल्की बारिश की संभावना रहती है। इससे बाहर का माहौल थोड़ा ठंडा रहता है, लेकिन उत्सवों को रोक नहीं सकता। एक कप चाय या कॉफ़ी हाथ में लेकर ध्वजवाहन देखना, गानों पर नाचना—इन छोटे-छोटे मज़े आपके दिल में स्वतंत्रता के जज़्बे को और तेज़ कर देंगे।
अंत में यही कहूँगा कि स्वतंत्रता संग्राम सिर्फ इतिहास की किताबों में नहीं, बल्कि हमारी रोज‑मर्रा की ज़िन्दगी में जीवित है। जब भी आप किसी कठिन समस्या का सामना करें, याद रखें हमारे पूर्वजों ने कैसे बड़े साहस से लड़ाई लड़ी थी। वही साहस आपके अंदर भी है—बस उसे पहचानें और आज़ादी के इस महान उपहार को हमेशा संजोएँ।
शहीद दिवस 30 जनवरी को मनाया जाता है, यह दिन महात्मा गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद करने के लिए समर्पित है। महात्मा गांधी की हत्या 1948 में नई दिल्ली में नाथूराम गोडसे ने की थी। गांधी के अहिंसा के सिद्धांत ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी। उनके समर्थकों के अनुसार, गांधी को 'महात्मा' का उपाधि दक्षिण अफ्रीका में प्राप्त हुई।
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