अगर आप स्टॉक मार्केट में रुचि रखते हैं तो SEBI का नाम आपके कानों पर जरूर आया होगा। SEBI यानी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया, वह संस्था है जो भारतीय शेयर बाजार को नियमन, निगरानी और विकास के लिए जिम्मेदार होती है। बिना इस बोर्ड के मार्केट में अनियमित ट्रेडिंग, धोखाधड़ी या निवेशक नुकसान की संभावना बहुत बढ़ जाती। तो चलिए जानते हैं कि SEBI कैसे काम करता है और ये आपके लिये क्यों महत्त्वपूर्ण है।
सबसे पहले, SEBI का प्राथमिक लक्ष्य मार्केट को साफ़‑सुथरा रखना है। इसके लिए वह कंपनियों के शेयर इश्यू करने से लेकर ब्रोकरों की लाइसेंसिंग तक सब कुछ देखता है। जब भी कोई नई कंपनी आईपीओ लॉन्च करती है, SEBI उस दस्तावेज़ीकरण और प्राइस बैंड को जांचता है ताकि निवेशक बेवकूफ़ न बनें। दूसरा काम है ट्रेडिंग एक्टिविटी पर नजर रखना; अगर किसी शेयर की कीमत में असामान्य उछाल या गिरावट देखी जाती है तो SEBI तुरंत जांच शुरू कर देता है। तीसरा, उपभोक्ता शिकायतों का समाधान – अगर आपको ब्रोकर से गलत शुल्क लगा या आपके ऑर्डर को ठीक से प्रोसेस नहीं किया गया, तो आप SEBI के पोर्टल पर जाके रेज़ॉल्यूशन की मांग कर सकते हैं।
SEBI न केवल मार्केट को सुरक्षित रखता है बल्कि निवेशक शिक्षा भी बढ़ाता है। हर साल वह विभिन्न वेबिनार, ब्रोशर और ऑनलाइन कोर्स लॉन्च करता है जिससे नया और अनुभवी दोनों वर्ग के लोग ट्रेडिंग की बेसिक समझ हासिल कर सकें। साथ ही, SEBI ने एक ऑनलाइन फॉर्म बनाया है जहाँ आप ब्रोकर या कंपनी से जुड़ी किसी भी अनियमितता की रिपोर्ट तुरंत कर सकते हैं – इससे धोखाधड़ी जल्दी पकड़ी जाती है। अगर आपको शेयर ट्रांसफर में दिक्कत आ रही है, तो SEBI के “इंवेस्टर्स ग्रिवेंसेज रेज़ॉल्यूशन” पोर्टल से आप केस दर्ज कर सकते हैं और आम तौर पर 30 दिनों में समाधान मिल जाता है।
एक और बात जो अक्सर अनदेखी रहती है वो है SEBI की नियमित अपडेट्स. जैसे ही नई नीति या नियम बनते हैं, वह उन्हें सभी ब्रोकरों को तुरंत भेज देता है और सार्वजनिक रूप से वेबसाइट पर पोस्ट कर देता है। इससे आप बिना किसी झंझट के जान सकते हैं कि अब कौन‑सा ट्रेडिंग शुल्क कम हुआ या किन कंपनियों में निवेश करना सुरक्षित माना गया। उदाहरण के तौर पर, 2024 में SEBI ने “इंट्राडे स्कैमर” को रोकने के लिए नई सीमा तय की थी, जिससे कई छोटे‑बड़े निवेशकों को फायदा मिला।
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आखिर में यह कहना सही रहेगा कि SEBI आपके निवेश की सुरक्षा का पहला कवच है। चाहे आप बड़े संस्थागत फंड मैनेजर हों या रोज़मर्रा के छोटे‑स्मॉल इन्वेस्टर, SEBI की नज़रें हमेशा आपके साथ रहती हैं। इसलिए बाजार में कदम रखने से पहले इस बोर्ड की गाइडलाइन पढ़िए और सुरक्षित ट्रेडिंग की आदत बनाइए।
हिन्डनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया कि SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने अदानी समूह के घोटाले से जुड़े अपतटीय संघटनों में छुपी हुई हिस्सेदारियाँ रखी थीं। ये संघटन बरमूडा और मौरिशस में आधारित थे, जो विनोद अदानी द्वारा फंड को हेरफेर करने और शेयर कीमतें बढ़ाने के लिए उपयोग किए गए थे। रिपोर्ट ने SEBI की कार्यवाई न करने की भी आलोचना की है।
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