SEBI अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और अदानी घोटाले से जुड़े अपतटीय संघटनों में हिस्सेदारी का हिन्डनबर्ग का दावा

SEBI अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और अदानी घोटाले से जुड़े अपतटीय संघटनों में हिस्सेदारी का हिन्डनबर्ग का दावा अग॰, 11 2024

SEBI अध्यक्ष पर हिन्डनबर्ग के आरोप

हिन्डनबर्ग रिसर्च ने दावा किया है कि भारत के सबसे बड़े वित्तीय विनियामक निकाय, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड(SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच अपतटीय संघटनों में हिस्सेदारी रखते थे जो अदानी समूह घोटाले से जुड़े हैं। यह आरोप गंभीर हैं और इनका भारतीय वित्तीय प्रणाली पर बड़ा प्रभाव हो सकता है।

अपतटीय संघटनों में हिस्सेदारी

रिपोर्ट के मुताबिक, बुच दंपति ने बरमूडा और मौरिशस में स्थित अपतटीय संघटनों में हिस्सेदारी ली थी। हिन्डनबर्ग के अनुसार, ये संघटन विनोद अदानी द्वारा फंड हेरफेर और शेयर कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किये जा रहे थे। विनोद अदानी, जो गौतम अदानी के भाई हैं, ने इन संघटनों का उपयोग अपनी वित्तीय शाखाओं का व्यापक विस्तार करने के लिए किया था।

खातों का संचालन और वित्तीय हेरफेर

खातों का संचालन और वित्तीय हेरफेर

हिन्डनबर्ग रिपोर्ट में दावा किया गया है कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने 5 जून, 2015 को सिंगापुर में IPE Plus Fund 1 नामक फंड में खाता खोला था। पति धवल बुच ने 2017 में, माधबी पुरी बुच की SEBI चेयरपर्सन के रूप में नियुक्ति से पहले, खुद को खाते के एकमात्र संचालक के रूप में घोषित किया, जिससे संपत्तियों को माधबी पुरी बुच के नाम से हटाकर अपने नाम कर लिया गया। उस समय बुच की हिस्सेदारी की कुल कीमत 872,762.25 डॉलर आंकी गई थी।

निजी स्थलों में स्थानांतरण

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि माधबी पुरी बुच ने SEBI में पूर्णकालिक सदस्य रहते हुए, भारत इंफोलाइन को फंड में यूनिट्स को भुनाने के लिए खुद पत्र लिखा था। इसके अलावा, उन्होंने अपने पति को अग्रसंगठन Agora Partners में अपनी हिस्सेदारी ट्रांसफर कर दी, जो सिंगापुर में एक परामर्श संघटन है, और इसे उन्होंने अपनी राजनीतिक नियुक्ति के दौरान किया।

इंसाफ के लिए आह्वान

इंसाफ के लिए आह्वान

हिन्डनबर्ग रिसर्च ने इन सभी आरोपों की और जांच की मांग की है और प्रतिज्ञा की है कि रिपोर्ट से प्राप्त किसी भी लाभ को स्वतंत्र अभिव्यक्ति का समर्थन करने वाले कारणों के लिए दान किया जाएगा। यह देखना होगा कि इन गंभीर आरोपों के बाद SEBI और भारतीय सरकार की प्रतिक्रिया क्या होगी और क्या कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे।

भारतीय वित्तीय प्रणाली पर प्रभाव

यदि इन आरोपों में थोड़ी भी सच्चाई है, तो यह भारतीय वित्तीय प्रणाली के पारदर्शिता और निष्पक्षता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। अपतटीय संघटनों में हिस्सेदारी रखने वाले उच्च प्रशासनिक पदों पर बैठे व्यक्तियों का मामला न केवल नैतिकता बल्कि कानूनी मामलों में भी गहन जांच की मांग करता है।

18 टिप्पणि

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    Raghvendra Thakur

    अगस्त 12, 2024 AT 19:23

    ये सब बकवास है।

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    Ankit gurawaria

    अगस्त 13, 2024 AT 17:38

    अरे भाई, ये जो हिन्डनबर्ग वाला रिपोर्ट आया है, इसमें जो बातें कही गई हैं, वो सिर्फ एक नज़र से नहीं देखी जा सकतीं। माधबी पुरी बुच जैसी व्यक्ति जिसने भारतीय वित्तीय व्यवस्था के लिए दशकों तक काम किया है, उनके खिलाफ ऐसे आरोप लगाना बिल्कुल भी न्यायसंगत नहीं है। अपतटीय खाते? हाँ, कई वित्तीय विशेषज्ञ ऐसे खाते रखते हैं - ये सिर्फ टैक्स प्लानिंग का हिस्सा है, न कि कोई घोटाला। और फिर वो IPE Plus Fund 1 - इसकी जानकारी पब्लिकली उपलब्ध है, और इसका कोई भी लिंक अदानी समूह से नहीं है। जब तक कोई एक्सप्लिसिट डॉक्यूमेंट नहीं दिखाता कि ये फंड अदानी के लिए फंडिंग कर रहा है, तब तक ये सब बस एक बड़ा ड्रामा है। और ये ड्रामा किसके लिए है? क्या ये भारत के वित्तीय प्रतिष्ठानों को कमजोर करने की एक रणनीति है? ये जो लोग ऐसे आरोप लगा रहे हैं, उन्हें अपने देश के बारे में इतना नकारात्मक सोचना चाहिए? हमारे देश में इतने अच्छे नियम और इतने बड़े नियामक हैं, जिन्हें अपने काम के लिए सम्मान मिलना चाहिए, न कि बिना सबूत के फंसाया जाए।

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    AnKur SinGh

    अगस्त 15, 2024 AT 00:33

    इस मामले में एक गहरी नैतिक और संस्थागत जिम्मेदारी की आवश्यकता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के अध्यक्ष के पद पर बैठने वाली व्यक्ति के लिए निष्पक्षता, पारदर्शिता और नैतिक अखंडता न केवल एक आदर्श है, बल्कि एक अनिवार्यता है। यदि आरोप सच हैं - जिनमें अपतटीय संघटनों में हिस्सेदारी, खातों का अनियमित संचालन, और नियुक्ति के दौरान संपत्ति का स्थानांतरण शामिल है - तो यह भारतीय वित्तीय प्रणाली के विश्वास को गहराई से चुनौती देता है। इस प्रकार के आरोपों का तुरंत और स्वतंत्र रूप से जांच करना आवश्यक है। यह जांच न केवल व्यक्ति के लिए बल्कि संस्था के लिए भी एक परीक्षण है। यदि जांच में कोई गलती पाई जाती है, तो न्याय का पूर्ण और निष्पक्ष प्रतिफल दिया जाना चाहिए। यदि आरोप निराधार हैं, तो इस तरह के अफवाहों के खिलाफ संस्थागत रूप से न्याय करना और नाम की रक्षा करना भी आवश्यक है। भारत की वित्तीय व्यवस्था का भविष्य इसी पर निर्भर करता है।

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    Sanjay Gupta

    अगस्त 16, 2024 AT 11:03

    अरे भाई, ये सब बकवास है जो हिन्डनबर्ग लिख रहा है - अमेरिकी फंड है जो भारत के बड़े उद्यमियों को नीचा दिखाने के लिए बना है। माधबी पुरी बुच? वो तो भारत के लिए काम करती हैं, और आप उन पर अपतटीय खाते का आरोप लगा रहे हैं? क्या आपको लगता है कि भारतीय अधिकारी अमेरिकी बैंकों में खाता खोलते हैं? ये लोग तो अपने घर की चाबी भी बाहर रख देते हैं। ये रिपोर्ट तो बिल्कुल भी वैध नहीं है - ये सिर्फ एक शेयर बाजार में डर फैलाने की चाल है। और फिर भी भारतीय मीडिया इसे बड़ा बना रहा है? अब तो ये भारत के खिलाफ जंग बन गई है। ये लोग जब तक भारत के बारे में बुरा न बोल दें, तब तक नहीं सोते।

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    Kunal Mishra

    अगस्त 18, 2024 AT 09:50

    यह घोटाला अत्यंत उच्च स्तर की वित्तीय जटिलता का उदाहरण है - एक ऐसा मामला जहां नियामक की भूमिका, निजी संपत्ति का संचालन, और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ढांचे का अत्यधिक जटिल संगम हो रहा है। IPE Plus Fund 1 का निर्माण 2015 में हुआ, जब माधबी पुरी बुच SEBI के अध्यक्ष नहीं थीं, लेकिन उनके पति द्वारा 2017 में खाते के एकमात्र संचालक बन जाने का तथ्य अत्यंत विवादास्पद है। यह एक आभासी स्थानांतरण है, जिसका उद्देश्य नियामक भूमिका और व्यक्तिगत लाभ के बीच एक निष्पक्ष सीमा बनाना है - लेकिन यह सीमा अतिक्रमित हो गई है। यदि यह अधिकारी के नाम से नहीं, तो उनके परिवार के नाम से लाभ उठाया जा रहा है, तो यह नैतिक रूप से अस्वीकार्य है। यहां तक कि यदि यह वित्तीय रूप से कानूनी है, तो भी यह नैतिक रूप से अस्वीकार्य है। भारत की वित्तीय प्रणाली के लिए यह एक निर्णायक क्षण है - या तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा, या फिर भारतीय वित्तीय पारदर्शिता का अंत हो जाएगा।

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    Anish Kashyap

    अगस्त 20, 2024 AT 02:37

    ये सब लोग बस देख रहे हैं कि कौन क्या कर रहा है और फिर उसके बारे में बात कर रहे हैं बिना किसी डॉक्यूमेंट के। मैंने भी अपने दोस्त के दोस्त के दोस्त को एक बार बरमूडा में फंड खोलते देखा था और वो भी एक डॉक्टर था। ये अपतटीय खाते बस टैक्स बचाने के लिए होते हैं। अगर ये सब गलत है तो सबके खाते बंद कर दो। बस इतना ही। और हां, अदानी के खिलाफ जो भी हो रहा है, वो तो बाहरी लोगों का अपना बिजनेस है।

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    Poonguntan Cibi J U

    अगस्त 21, 2024 AT 14:29

    मैंने इस बात को जानने के बाद रात भर नहीं सो पाया। माधबी पुरी बुच को जब मैंने टीवी पर देखा तो मुझे लगा कि वो बहुत सच्ची और शांत लग रही हैं। लेकिन अब जब मैं इस रिपोर्ट को पढ़ रहा हूं, तो मुझे लगता है कि शायद वो भी एक बड़ी झूठी छलांग लगा रही हैं। मैं उनके बारे में बहुत ज्यादा आदर करता हूं, लेकिन अब मुझे लगता है कि मैंने उन्हें गलत तरीके से पहचाना है। उनके पति ने खाता अपने नाम पर कर लिया? ये तो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए था। मुझे अब यकीन नहीं हो रहा कि क्या असली चीज़ें हैं। क्या हमारी सरकार भी इस तरह के लोगों को बर्तन देती है? मैं बहुत दुखी हूं।

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    Vallabh Reddy

    अगस्त 22, 2024 AT 16:03

    इस मामले में सार्वजनिक जिम्मेदारी का अनुपालन अत्यंत महत्वपूर्ण है। वित्तीय नियामक के रूप में एक व्यक्ति का नैतिक दायित्व उसके निजी वित्तीय हितों से पूर्णतः अलग होना चाहिए। यदि आरोप सत्य हैं, तो यह नियामक के नैतिक आधार के लिए एक गंभीर अपराध है। अपतटीय संघटनों में निवेश करना स्वयं अवैध नहीं है, लेकिन यदि यह नियामक के पद के अधिकार के उपयोग के आधार पर निर्मित है, तो यह एक गंभीर दुरुपयोग है। जांच निष्पक्ष, पारदर्शी और त्वरित होनी चाहिए। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो निष्कर्ष भी उतना ही कठोर होना चाहिए। नहीं तो भारतीय वित्तीय प्रणाली का विश्वास स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाएगा।

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    Mayank Aneja

    अगस्त 24, 2024 AT 00:58

    सभी आरोपों की जांच के लिए एक स्वतंत्र जांच निकाय की आवश्यकता है। यदि बुच दंपति ने अपतटीय खाते खोले हैं, तो उनका उद्देश्य क्या था? क्या वे विनोद अदानी के साथ कोई सीधा संबंध रखते हैं? क्या ये खाते SEBI के नियमों के अनुसार घोषित किए गए थे? यदि नहीं, तो यह एक नियम उल्लंघन है। यदि हां, तो इसका कोई नैतिक दोष नहीं है। लेकिन जांच के बिना, यह सिर्फ अफवाह है। यह एक ऐसा मामला है जहां तथ्यों की आवश्यकता है, न कि भावनाओं की। मुझे लगता है कि यदि जांच निष्पक्ष होगी, तो न्याय होगा - चाहे वह किसी भी दिशा में जाए।

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    Vishal Bambha

    अगस्त 24, 2024 AT 01:01

    ये जो लोग बाहर से भारत को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें याद दिलाना चाहिए कि भारत एक ऐसा देश है जहां अपने नियम बनाते हैं। अगर ये आरोप सच हैं, तो भारतीय न्यायपालिका इसे समझेगी। अगर ये झूठ हैं, तो भारत इन लोगों को जवाब देगा। हम अपने नियामकों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दबाव से डरते नहीं। हम अपने नियमों के अनुसार काम करते हैं। और अगर ये लोग अदानी के खिलाफ जाने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्हें याद रखना चाहिए - भारत के बड़े उद्यमी अमेरिका में भी बड़े हैं। हम अपने देश के लिए लड़ते हैं।

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    Vishal Raj

    अगस्त 24, 2024 AT 05:02

    क्या आपने कभी सोचा है कि अगर ये सब झूठ है, तो क्या होगा? क्या ये लोग बस एक बड़ी गलती कर रहे हैं? मैं तो बस यही कहना चाहता हूं कि इस तरह के आरोपों को लेकर जल्दबाजी में निर्णय न लें। हमारे देश में बहुत सारे लोग बहुत अच्छे हैं, लेकिन जब तक हम उन्हें नहीं जानते, तब तक हम उनके बारे में बहुत कुछ बोल देते हैं। ये बातें बहुत जल्दी फैल जाती हैं, लेकिन उनका सच ढूंढने में समय लगता है। इंतजार करें। और अगर सच है, तो न्याय होगा। अगर झूठ है, तो भी न्याय होगा।

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    Reetika Roy

    अगस्त 25, 2024 AT 01:19

    इस रिपोर्ट को लेकर बहुत ज्यादा भावनाएं जग रही हैं। लेकिन याद रखें, आरोप और साबिती अलग चीजें हैं। हमें जांच के नतीजे का इंतजार करना चाहिए। अगर कोई गलती हुई है, तो उसका न्याय होगा। अगर नहीं, तो भी न्याय होगा। यह एक निष्पक्ष और व्यवस्थित प्रक्रिया होनी चाहिए। भावनाओं के बजाय तथ्यों पर ध्यान दें।

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    Pritesh KUMAR Choudhury

    अगस्त 25, 2024 AT 14:13

    ये सब बहुत जटिल है... मैं इसे समझने की कोशिश कर रहा हूं। अगर ये आरोप सच हैं, तो ये बहुत बड़ी बात है। लेकिन अगर ये झूठ हैं, तो भी ये बहुत बड़ी बात है। मुझे लगता है कि इसका जवाब एक निष्पक्ष जांच से ही आएगा। मैं इस बात के लिए आशा करता हूं कि भारत अपने नियमों के अनुसार काम करेगा।

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    Mohit Sharda

    अगस्त 27, 2024 AT 02:27

    मुझे लगता है कि इस मामले में शांति और तर्क की जरूरत है। न तो भावनाओं से जल्दबाजी करें, न ही अंधविश्वास से आरोप लगाएं। यदि कोई गलती हुई है, तो उसे स्वीकार करें और न्याय करें। यदि नहीं, तो उसे खारिज कर दें। भारत की वित्तीय प्रणाली इतनी मजबूत है कि ये एक छोटी सी लहर नहीं तोड़ सकती। बस एक बार जांच हो जाए, और फिर सब ठीक हो जाएगा।

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    Sanjay Bhandari

    अगस्त 27, 2024 AT 14:02

    ye sab kya likh diya gya hai yaar? maine to bas ek line padhi aur phir scroll kar diya. koi bhi kuch bhi bol raha hai. kya hua? kya hua? kya hua? yeh sab kya hai? maine to sirf ek hi baat sunni hai - jiska bhi koi bhi kuch bhi kaha hai, woh sab kuch jhooth hai. aur agar sach hai to bhi koi problem nahi. sab kuch theek hogi. bas chup chap raho aur dekho kya hota hai. 😴

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    Mersal Suresh

    अगस्त 28, 2024 AT 07:23

    इस आरोप को लेकर भारतीय सरकार और SEBI को तुरंत एक स्वतंत्र जांच निकाय गठित करना चाहिए। यह न केवल एक नैतिक आवश्यकता है, बल्कि एक संस्थागत आवश्यकता भी है। यदि ये आरोप सच हैं, तो अधिकारी को तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए। यदि नहीं, तो उन्हें निर्दोष साबित करने के लिए समर्थन दिया जाना चाहिए। यहां कोई द्वितीय अर्थ नहीं है। भारत के नियामकों की अखंडता के लिए यह एक निर्णायक क्षण है। कोई भी अपवाद नहीं हो सकता।

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    Pal Tourism

    अगस्त 29, 2024 AT 12:47

    ye kya bana diya? 2015 mein fund khola? 2017 mein transfer? ye sab kaise hua? kya ye kisi ne kaha tha? kya ye kisi ne file ki thi? kya koi proof hai? kya ye kisi ne publish kiya? nahi to ye sab kya hai? bas ek article? aur phir sab log bolne lage? ye to bhai koi news nahi hai, ye to koi bhi ek blog likh sakta hai. aur phir koi bhi usko share kar dega. aur phir sab log bolne lage ki kya hua? kya hua? kya hua? yeh sab kya hai? maine to ek hi line padhi - aur phir maine scroll kar diya. bas.

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    Ankit gurawaria

    अगस्त 31, 2024 AT 11:41

    मैंने इसे पढ़ा है, और मैं यही कहना चाहता हूं - ये सब अफवाहों का एक बड़ा खेल है। हिन्डनबर्ग ने कभी भारतीय नियामक की अखंडता के खिलाफ ऐसा कुछ नहीं किया है। ये सब बाजार में डर फैलाने के लिए है। और अगर ये सच है, तो भारत की न्यायपालिका इसे ठीक कर देगी। लेकिन जब तक जांच नहीं होती, तब तक ये सब बस एक अफवाह है। और ये अफवाहें बस इतनी जल्दी फैलती हैं कि उनका सच ढूंढना मुश्किल हो जाता है। हमें अपने नियामकों का सम्मान करना चाहिए, न कि बिना सबूत के उनका अपमान करना।

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