रेपो रेट क्या है? आसान शब्दों में समझिए

जब भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) बैंकों से अल्पकालिक उधार लेता है, तो जो दर लगाता है उसे रेपो रेट कहते हैं। ये दर देश की मौद्रिक नीति का सबसे महत्वपूर्ण टूल है। अगर RBI रेपो रेट घटाती है, तो बैंकों को सस्ता पैसा मिलता है और वे कर्ज़ देना आसान बना देते हैं। वहीं बढ़ाने से उधार महँगा हो जाता है, जिससे महंगाई पर दबाव कम करने में मदद मिलती है।

रेपो रेट का आर्थिक जीवन पर असर

रेपो रेट सीधे आपके बचत खाते की ब्याज दर, लोन के इंटरेस्ट और शेयर‑बॉन्ड मार्केट को प्रभावित करता है। जब RBI रेपो घटाता है, तो आम लोगों को होम लोन या पर्सनल लोन पर कम ईएमआई मिलती है। निवेशकों को फ़िक्स्ड डिपॉज़िट पर थोड़ा कम रिटर्न मिलता है, लेकिन इक्विटी में उछाल देख सकते हैं क्योंकि कंपनियों के फंडिंग कॉस्ट घटते हैं। इसलिए इस एक नंबर को समझना आपके वित्तीय फैसले में बड़ा फ़ायदा दे सकता है।

2024‑2025 में रेपो रेट की ताज़ा खबरें

हाल ही में RBI ने कई बार रेपो रेट पर चर्चा की, खासकर महंगाई को कंट्रोल करने के लिए। 2025 में कुछ प्रमुख IPO जैसे Regaal Resources का प्राइस बैंड (₹96‑₹102) तय हुआ, जो मौद्रिक नीति की दिशा से जुड़ा था। अगर रेपो स्थिर रहता है तो ऐसे कंपनियों को फंडिंग सस्ता मिलती है और शेयर मार्केट में उत्साह बना रहता है। वहीं यदि RBI ने 2024 के अंत में रेपो बढ़ाया होता, तो IPO की बुक‑बिल्डिंग में गिरावट देखी जा सकती थी।

एक और उदाहरण देखें – Unimech Aerospace का IPO जिसमें कीमतें ₹610 तक गईं। यह भी इस बात पर निर्भर करता कि रेपो रेट कहाँ सेट है, क्योंकि ब्याज दरों के बढ़ने से निवेशकों की जोखिम लेने की इच्छा कम हो जाती है। इसलिए जब आप किसी शेयर या बॉन्ड में पैसा लगाते हैं तो RBI के रेपो निर्णय को जरूर देखें।

कई आर्थिक विश्लेषक बताते हैं कि 2025 में अगर महंगाई लक्ष्य के करीब नहीं आती, तो RBI फिर से रेपो बढ़ा सकता है। इससे छोटे‑मोटे व्यापारियों की कर्ज़ लेने की क्षमता घटेगी और बाज़ार में ठंडक आ सकती है। इसलिए निवेशकों को अपनी पोर्टफ़ोलियो में विविधता रखनी चाहिए – कुछ हिस्सा सुरक्षित डिपॉज़िट, थोड़ा इक्विटी और अगर आप जोखिम ले सकते हैं तो बॉन्ड या गोल्ड पर भी विचार कर सकते हैं।

सारांश में कहा जाए तो रेपो रेट सिर्फ RBI का एक नंबर नहीं; यह आपके रोज़मर्रा के खर्चों, लोन की लागत और निवेश के रिटर्न को सीधा असर देता है। इसलिए जब भी RBI मीटिंग की खबरें आएँ, उसे अनदेखा न करें। छोटी‑छोटी बदलाव बड़ी वित्तीय दिशा तय कर सकते हैं।

अगर आप अभी तक रेपो रेट पर ध्यान नहीं दे रहे, तो अब समय है इसपर नजर रखने का। नियमित रूप से RBI के प्रेस रिलीज़ और आर्थिक कैलेंडर चेक करके आप बेहतर निर्णय ले पाएँगे। याद रखें, समझदारी की कुंजी जानकारी में छुपी होती है।

अग॰, 7 2025
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RBI ने रेपो रेट 5.5% पर स्थिर रखी, महंगाई में गिरावट और GDP अनुमान बरकरार

RBI ने रेपो रेट 5.5% पर स्थिर रखी, महंगाई में गिरावट और GDP अनुमान बरकरार

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अगस्त 2025 में रेपो रेट 5.5% पर स्थिर रखी है। महंगाई दर आठ महीने से लगातार घट रही है और अब इसका अनुमान 3.1% है। साल 2026 के लिए GDP वृद्धि अनुमान 6.5% पर बरकरार है। पिछले कट्स का असर देखने के लिए RBI ने मॉनिटरिंग पर जोर दिया।

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