क्या आपने कभी सोचा है कि रामकृष्ण मिशन ऐसा बड़ा आंदोलन कैसे बन गया? यह सवाल अक्सर सुनने को मिलता है, खासकर जब कोई नया कार्यक्रम या सामाजिक सेवा आती है। चलिए सरल शब्दों में समझते हैं कि इस संस्था की जड़ें क्या हैं और आज ये कौन‑सी चीज़ें कर रहा है।
रामकृष्ण मिशन की शुरुआत १८८६ में स्वामी रमनारायण (बाबा) के शिष्य स्वामी विवेकानंद ने की थी। उनका मकसद था आध्यात्मिक ज्ञान को व्यवहार में लाना – यानी सिद्धांत को रोज़मर्रा की ज़िंदगी में उतारना। उन्होंने कहा, "सेवा ही परम भक्तिभाव है" और यही विचार मिशन के सभी संस्थानों में चलता है। इस वजह से आज भारत‑विदेश में कई आश्रम, स्कूल, हॉस्पिटल और पुस्तकालय खुले हैं।
मुख्य सिद्धांतों में सबका सम्मान, निस्वार्थ सेवा और विविधता को अपनाना शामिल है। रामकृष्ण मिशन सभी धर्मों के लिए खुला माना जाता है, इसलिए यहाँ किसी भी पृष्ठभूमि का व्यक्ति आकर पढ़ सकता है या काम कर सकता है। यही कारण है कि कई लोग इसे अपने आध्यात्मिक घर की तरह देखते हैं।
आज रामकृष्ण मिशन सिर्फ एक धार्मिक संस्था नहीं, बल्कि बड़े सामाजिक नेटवर्क जैसा कार्य करता है। शिक्षा के क्षेत्र में कई कॉलेज और प्री‑स्कूल चलाते हैं जहाँ ट्यूशन फ्री या बहुत कम फीस पर दी जाती है। स्वास्थ्य के लिए हॉस्पिटल और आयुर्वेदिक क्लिनिक भी स्थापित हैं; यहाँ गरीबों को मुफ्त इलाज मिलता है।
दूसरों की मदद करने में मिशन का हाथ जलवायु परिवर्तन, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों तक पहुँच गया है। उदाहरण के तौर पर, 2024‑25 में उन्होंने उत्तराखंड में छोटे गाँवों में साफ़ पानी की टंकी लगाई थी, जिससे कई परिवारों को रोज़ाना पीने का पानी मिल रहा था। इसी तरह, महिलाओं के लिये सिलाई और बुनाई के प्रशिक्षण केंद्र खुले हैं जो आजीविका प्रदान करते हैं।
नवीनतम ख़बरें भी यहाँ मिलती हैं – जैसे इस महीने नई दिल्ली में आयोजित वार्षिक अंतर‑धर्म संवाद जहाँ स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं पर चर्चा हुई और कई युवा प्रेरित हुए। साथ ही, कोलकाता के रघुबंध आश्रम में एक नया पुस्तकालय खुला है जो डिजिटल लाइब्रेरी सेवा भी देता है।
अगर आप स्थानीय स्तर पर मदद करना चाहते हैं तो सबसे आसान तरीका है नज़दीकी मिशन केंद्र से जुड़ना। कई बार वे स्वयंसेवकों के लिये छोटे‑छोटे काम जैसे स्कूल में पढ़ाना, पुस्तकें बाँटना या कैंपस में सफ़ाई का आयोजन करते हैं। यह अनुभव आपके खुद के जीवन को भी समृद्ध बनाता है।
संक्षेप में कहा जाए तो रामकृष्ण मिशन आध्यात्मिक विचारों को सामाजिक कार्यों से जोड़ता है, जिससे हर वर्ग के लोग फायदा उठा सकते हैं। चाहे आप धर्म के बारे में सीखना चाहते हों, मुफ्त शिक्षा चाहिए या समाज सेवा में हाथ बँटाना चाहें – यह मंच आपके लिये खुला है।
आपके पास अगर कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे टिप्पणी सेक्शन में लिखिए; मिशन की टीम अक्सर इनका जवाब देती है। आगे भी ऐसी ही ख़बरों के लिए हमारे पेज को फ़ॉलो रखें, क्योंकि हर दिन कुछ नया सीखने और देने का मौका मिलता रहता है।
रामकृष्ण मिशन से जुड़े शिक्षाविद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर ध्यान लगाने के निर्णय पर विभाजित हो गए हैं। कुछ शिक्षाविद इसे एक 'सस्ता नाटक' मानते हैं जबकि अन्य इसे ध्यान को बढ़ावा देने वाला कदम बताते हैं। इस पर मिशन में विभिन्न विचारधाराओं का टकराव देखा जा रहा है।
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