हर रोज़ हम हवा, पानी या आवाज़ में ऐसे पदार्थ मिलते हैं जो शरीर के लिए हानिकर होते हैं. इन्हीं को प्रदूषण कहा जाता है. अगर आप जानते हैं कि ये क्यों होते हैं और उनसे बचाव कैसे करें तो अपने और परिवार की सेहत बेहतर रख सकते हैं.
सबसे आम तीन तरह का प्रदुशन होता है – वायु, जल और शोर. वायु में धुआं, कार्बन मोनोऑक्साइड या सूक्ष्म कण होते हैं जो सांस लेने में दिक्कत पैदा कर देते हैं. पानी में औद्योगिक अपशिष्ट, प्लास्टिक या रासायनिक पदार्थ मिलते हैं जिससे पीने के पानी का गुण खराब हो जाता है. शोर प्रदुशन तेज़ आवाज़, ट्रैफ़िक या निर्माण स्थल की ध्वनि से होता है और यह तनाव व नींद बिगाड़ता है.
इनके अलावा मृदा (जमीन) में रसायन, भारी धातु या पेस्टिसाइड भी जमा हो सकते हैं. जब ये ज़मीं पर रहकर फसलें या पानी को गंदा करते हैं तो पूरी खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है.
पहला कदम है स्रोत पहचानना. अगर आपका घर पास में कारखाना है, तो स्थानीय पर्यावरण विभाग से संपर्क करें और जांच करवाएँ. व्यक्तिगत स्तर पर आप क्या कर सकते हैं? सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल, साइकिल चलाना या पैदल जाना वायु प्रदुशन को कम करता है.
जल के लिए बरतनों में प्लास्टिक की जगह धातु या काँच उपयोग करें और बारिश के पानी को संग्रहित करके बागवानी में लगाएँ. इससे नदियों में टॉपीकली लीक नहीं होगा.
शोर कम करने के लिये घर में विंडो, दरवाज़े पर मोटी पर्दी या ध्वनि-रोधी सामग्री लगाएँ और अगर संभव हो तो शोर वाले क्षेत्रों से दूर रहें.
सरकारी योजनाओं का फायदा उठाएँ. कई शहरों में सोलर पैनल सब्सिडी, इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदने के लिए प्रोत्साहन और जल संरक्षण अभियान चल रहे हैं. इनका उपयोग करके आप प्रदुशन को कम करने में मदद कर सकते हैं.
समुदाय स्तर पर साफ़-सफाई ड्राइव, पेड़ लगाना या कचरे की सही निपटान प्रणाली बनाना बड़ा असर देता है. अगर आपका मोहल्ला हर सप्ताह एकत्रित कूड़ा नहीं करता तो आप पहल करके इसको व्यवस्थित करा सकते हैं.
अंत में याद रखें कि प्रदुशन सिर्फ पर्यावरण का मुद्दा नहीं, यह हमारे स्वास्थ्य और आर्थिक विकास को भी प्रभावित करता है. छोटे‑छोटे बदलावों से बड़ा अंतर पैदा किया जा सकता है. इसलिए आज ही एक कदम उठाएँ – चाहे वो कार छोड़ कर बस लेना हो या घर के बाग में पानी बचाना.
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दिल्ली NCR में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने शुक्रवार, 15 नवंबर, 2024 से GRAP चरण 3 लागू किया, जब एअर क्वालिटी इंडेक्स 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया। इस उपाय का मकसद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण को नियंत्रित करना है, जिसमें गैर-जरूरी निर्माण और अन्य प्रदूषणकारी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया है। स्कूलों में कक्षा पाँच तक के बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
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