दिल्ली में प्रदूषण के चलते GRAP-3 लागू: जानें मुख्य प्रतिबंध और विकल्प
नव॰, 16 2024
वायु प्रदूषण से जूझती दिल्ली: GRAP-3 का प्रभाव
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) द्वारा प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से प्रदूषणरोधी योजना GRAP के तीसरे चरण को लागू कर दिया गया है। यह निर्णय 15 नवंबर, 2024 से प्रभावी हुआ, जब दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया। इस आपात कदम के तहत, प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में कई कड़ी कार्रवाई की गई है। इसका मुख्य मकसद है निर्माण-कार्य, मनोहारी उद्योगों और वाहनों से प्रदूषण का स्तर घटाना।
क्या हैं GRAP-3 के तहत मुख्य प्रतिबंध?
GRAP-3 के अंतर्गत निम्नलिखित प्रतिबंध लागू होते हैं: गैर-जरूरी निर्माण और ध्वंस आमंत्रणात्मक धुल एवं अन्य प्रदूषणकारी गतिविधियों पर रोक लगाई जाएगी। इसी तरह BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल वाहनों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे खतरनाक प्रदूषण के नियंत्रण में मदद मिलेगी। इसके अलावा, NCR में भारी वाहनों का प्रवेश, विशेष रूप से दिल्ली की सीमाओं में, भी प्रतिबंधित किया जाएगा।
गैर-जरूरी ईंट-भट्टे और पत्थर क्रशर गतिविधियों को बंद करने के आदेश दिए गए हैं। दिल्ली और इसके निकटवर्ती जिलों जैसे गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल मानकों वाले वाहनों पर प्रतिबंध है। केवल जरूरी सामानों की ढुलाई करने वाले BS-III से नीचे के डीजल मध्यम माल वाहनों को अनुमति दी जाएगी।
स्वास्थ्य बचाव के लिए उठाए गए कदम
पर्यावरणीय सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली सरकार ने स्नातक कक्षा तक के स्कूलों को ऑनलाइन शिक्षा की अनुमति दी है, ताकि बच्चों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सके। सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने पर जोर दिया जा रहा है, साथ ही वाहन के उपयोग को सीमित कर प्रदूषण को कम करने की अपील की जा रही है।
यह भी तय किया गया है कि लोग निजी गाड़ियों की बजाय अधिक से अधिक सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करें। दिल्ली मेट्रो ने अतिरिक्त 20 ट्रिप्स शुरू की हैं ताकि दिल्ली के यातायात को अधिक पर्यावरण-मैत्री बनाया जा सके।
प्रदूषण कम करने के लिए नागरिकों के लिए सुझाव
नागरिकों को प्रदूषण घटाने के लिए कुछ सिफारिशें दी गई हैं, जैसे पैदल चलना, साइकिल का उपयोग करना, और घर से काम करना जहां संभव हो। इसके अलावा, उन्हें ऐसा करने को कहा गया है कि वाहन उपयोग को कम करने के लिए वे कामों को एक साथ जोड़ने पर विचार करें और बिजली हीटर का इस्तेमाल कर खुले में जलने वाली वस्तुओं से बचें।
इन कदमों का सख्ती से पालन आवश्यक है ताकि NCR में वायु गुणवत्ता की स्थिति और खराब न हो। इस आपात उपाय से नागरिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।
Raghvendra Thakur
नवंबर 17, 2024 AT 01:46हवा साफ हो जाए, तो बच्चे सांस ले पाएंगे। बस यही चाहिए।
Sanjay Bhandari
नवंबर 18, 2024 AT 21:01grap-3 lag gya ab toh... par kya karein yaar, har din mask pehne ke hi rehna padega. kuch toh hoga na? 😅
Pritesh KUMAR Choudhury
नवंबर 19, 2024 AT 17:20यह सब तो बहुत अच्छा है, लेकिन जब तक निर्माण और वाहन उद्योग को नियंत्रित नहीं किया जाएगा, तब तक ये उपाय बस एक दिखावा होंगे। लोग जानते हैं, लेकिन बदलाव नहीं हो रहा।
Reetika Roy
नवंबर 20, 2024 AT 18:34मुझे लगता है कि सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाना ही लंबे समय तक चलने वाला समाधान है। दिल्ली मेट्रो के अतिरिक्त ट्रिप्स की बात सुनकर अच्छा लगा।
Pal Tourism
नवंबर 22, 2024 AT 05:54bs-iii ka ban kya hai? 2005 ke baad ka koi bhi vehicle delhi me nahi aana chahiye. aur phir bhi kya hota hai? police ke paas paise hai toh chal jata hai. ye sab sirf paper pe hai. aur haan, metro ke 20 extra trips? kya ye 20 trips sabhi station pe chalenge ya bas south delhi ke liye? 😒
Mersal Suresh
नवंबर 22, 2024 AT 10:08आप सब बहुत अच्छा कह रहे हैं, लेकिन सरकार को अभी तक कोई सख्त नियम बनाने की जिम्मेदारी नहीं ली है। निर्माण उद्योग के मालिकों को जुर्माना लगाना चाहिए, न कि सामान्य नागरिकों को घर पर रहने के लिए कहना। यह एक नीति नहीं, बल्कि एक अपराध है।
Sunny Menia
नवंबर 23, 2024 AT 15:56मैं आपके बयान से सहमत हूँ। लेकिन अगर हम सब एक साथ चलने, साइकिल चलाने और वाहन शेयरिंग का इस्तेमाल करने लगें, तो यह बदलाव आ सकता है। छोटी शुरुआत, बड़ा असर।
Vishal Raj
नवंबर 25, 2024 AT 00:59क्या हम इसे सिर्फ नियम बनाने की बजाय, एक जीवनशैली के रूप में देख सकते हैं? जब हर घर में हवा साफ करने की आदत होगी, तब यह बदलाव आएगा।
Kunal Mishra
नवंबर 25, 2024 AT 20:18इस तरह के आपातकालीन उपायों का अर्थ केवल यही है कि नीति निर्माता लंबे समय तक योजना नहीं बना पाए। यह एक व्यवस्थागत विफलता है, न कि एक पर्यावरणीय समस्या। विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों को इस पर अनुसंधान करने के लिए धन दिया जाना चाहिए, न कि सिर्फ वाहनों को रोकने के लिए।
Mohit Sharda
नवंबर 26, 2024 AT 08:54हम सब इस बात पर एकमत हो सकते हैं कि यह एक बड़ी समस्या है, लेकिन अगर हम एक-दूसरे को बदनाम न करें और छोटे-छोटे कदम उठाएं, तो कुछ बदल सकता है। शायद आज का एक दिन, कल की बड़ी बदलाव की शुरुआत हो।