हर दिन के कामकाज में अक्सर दिमाग पर दबाव बनता है। अगर आप थकान, बेचैनी या नींद न आने जैसा महसूस कर रहे हैं तो यह आपके मानसिक स्वास्थ्य का संकेत हो सकता है। इस पेज पर हम आपको सरल उपाय और ताज़ा खबरें देंगे ताकि आप अपना मन स्वस्थ रख सकें।
पहला कदम है नियमित नींद. रोज़ 7‑8 घंटे की नींद दिमाग को रीसेट करती है और मूड को स्थिर रखती है। दूसरा, सांस का ध्यान रखें—5 मिनट गहरी साँसें लेने से तनाव कम होता है। तीसरा, स्क्रीन टाइम घटाएँ। सोशल मीडिया पर लगातार स्क्रॉल करने से उलझन बढ़ सकती है; दिन में एक‑दो घंटे तक सीमित करें।
खाने-पीने की आदत भी बड़ा असर डालती है। फल, सब्ज़ी और दही जैसे प्रोटीन युक्त भोजन दिमाग को ऊर्जा देते हैं। पानी अधिक पीएँ—डिहाइड्रेशन से ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है।
अगर काम या पढ़ाई में दबाव बढ़ रहा है तो छोटे ब्रेक लें। 25‑मिनट के काम के बाद 5 मिनट का आराम मन को रिफ़्रेस करता है। यह तकनीक ‘पोमोदोरो’ कहलाती है और बहुत असरदार साबित होती है।
हमारी साइट पर अभी कई लेख हैं जो मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न पहलुओं को कवर करते हैं। उदाहरण के तौर पर, एक रिपोर्ट में बताया गया कि COVID‑19 के बाद तनाव दर बढ़ी है और युवा वर्ग में डिप्रेशन के केस दो गुना हो गए हैं. उसी रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने सुझाया कि छोटे‑छोटे लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ें—इससे आत्मविश्वास फिर से आता है।
एक और लेख में ‘डिजिटल डिटॉक्स’ की महत्ता पर चर्चा हुई। इसमें बताया गया कि सप्ताह में एक दिन मोबाइल बंद रखकर प्रकृति में समय बिताने से मन को शांति मिलती है। विशेषज्ञ कहते हैं, यह आदत लगातार तनाव को कम करती है और नींद की क्वालिटी सुधारती है।
अगर आप काम के दबाव या रिश्तों की उलझन से जूझ रहे हैं तो हमारे ‘तनाव प्रबंधन’ सेक्शन में पेशेवर काउंसलर की सलाह देखें। उन्होंने बताया कि जर्नलिंग—दैनिक भावनाओं को लिखना—आपको अपने आप से जुड़ने में मदद करता है और मन के बकरा विचार बाहर निकाल देता है।
इन सभी टिप्स को अपनाकर आप न सिर्फ़ तनाव कम करेंगे, बल्कि अपनी ऊर्जा भी बढ़ेगी। याद रखें, मानसिक स्वास्थ्य कोई ‘अतिरिक्त’ नहीं, रोज़मर्रा की जरूरत है। अगर आपको लगता है कि बात बड़ी हो रही है तो डॉक्टर या काउंसलर से मिलें—समय पर मदद लेने में कभी देर नहीं होती।
हमारी साइट सबसे बेतरीन खबरें हमेशा नई और सही जानकारी लाती रहती है। यहाँ आप ताज़ा समाचार, विशेषज्ञ राय और व्यावहारिक टिप्स एक ही जगह पाएंगे। अभी पढ़ें, अपनाएं और अपने मन को स्वस्थ रखें।
ऑस्ट्रेलिया की रिसर्च के मुताबिक, बिल्ली पालने वालों में सिज़ोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा करीब दोगुना पाया गया है। 17 स्टडी के डेटा से यह संबंध सामने आया है, हालांकि इसका साफ कारण अभी सामने नहीं आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि पर्यावरणीय कारक भी मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकते हैं।
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