जब हम जलजमाव, भारी वर्षा, ख़राब जल निकासी या नदी‑बहाव के कारण सतह पर असामान्य पानी का जमाव को देखते हैं, तो इसे कभी‑कभी पानी का जमाव भी कहा जाता है, और इसका असर रोज़मर्रा की ज़िंदगी, खेती‑बाड़ी और स्वास्थ्य पर पड़ता है।
इतनी तेज़ बारिश के साथ बाढ़, अत्यधिक जल‑स्रोतों के ओवरफ़्लो से उत्पन्न व्यापक जलजमाव अक्सर जलजमाव की मुख्य वजह बनती है। यहाँ मौसम विभाग, सटीक पूर्वानुमान और अलर्ट जारी करने वाला सरकारी निकाय की भूमिका अहम होती है—वे समय पर चेतावनी भेज कर लोगों को तैयार कर सकते हैं।जलजमाव को समझने के लिए यह देखना ज़रूरी है कि कमजोर सड़क‑नाली, बंद नालियाँ और अतीत की अनियोजित विकास कैसे जल‑भरे क्षेत्रों को और ख़राब करते हैं।
पहला कदम है शहरी जल निकासी, सड़कों, नालियों और जल‑संग्रह प्रणालियों का प्रभावी प्रबंधन। औपचारिक नाली की सफाई, छोटे‑छोटे जल‑जमाव वाले क्षेत्रों में रेत या पत्थर का इस्तेमाल, और हर घर में रेन‑वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना काफी मदद करता है। दूसरा कदम है सामुदायिक जागरूकता—स्थानीय लोग अगर नियमित रूप से जल‑रोकथाम अभियान में हिस्सा लें, तो जलजमाव के कारण होने वाले नुक़सान को कम किया जा सकता है। तीसरा उपाय है सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना, जैसे कि सतत शहरी जल‑प्रबंधन (SUD) के तहत मिलने वाले सब्सिडी और तकनीकी समर्थन।
जब बाढ़ की स्थिति गंभीर हो, तो तत्काल आपातकालीन उपाय, संभावित प्रभावित क्षेत्रों में राहत टीम, बचाव नौकाएँ और अस्थायी शरणस्थल स्थापित करना जरूरी हो जाता है। ऐसे में मौसम विभाग द्वारा जारी चेतावनियों को नजरअंदाज न करना चाहिए; अगर आप अपने घर के पास जल‑जमाव का संकेत देख रहे हैं तो तुरंत उच्च भूमि पर शिफ्ट हो जाएँ और सरकारी सुरक्षा दिशा‑निर्देशों का पालन करें।
आगे पढ़ने पर आप देखेंगे कि इस महीने के मौसम‑रिपोर्ट, राजस्थान में हुई भारी बारिश और वैष्णो देवी यात्रा में हुई जल‑जमाव की घटनाओं से कैसे जुड़ी हुई हैं। नीचे दी गई सूची में जलजमाव से संबंधित ताज़ा ख़बरें, विश्लेषण और स्थानीय प्रशासन के अपडेट मौजूद हैं—इन्हें देखकर आप खुद भी तैयार हो सकते हैं और अपने आसपास के लोगों की मदद कर सकते हैं।
19 अगस्त 2025 को मुंबई में रिकॉर्ड 300 मिमी बारिश हुई। IMD ने बताया कि मोनसन ट्रफ़, अपर‑एयर‑साइक्लोनिक सर्कुलेशन और शीयर ज़ोन ने बवंडर को बढ़ाया, जिससे शहर भर में जलजमाव और ट्रैफ़िक बाधा आई।
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