IMD ने बताया 19 अगस्त की मुंबई भारी बारिश का कारण
सित॰, 28 2025
जब भारी बारिश ने 19 अगस्त 2025 को मुंबई को घेर लिया, तो शहर के हर कोने में पानी वाला कचरा नहीं, बल्कि एक बड़ी राहत की तलाश भी छाई हुई थी। भारत मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने बाद में बताया कि यह अनपेक्षित बवंडर कई मौसमी प्रणालियों के एक साथ सक्रिय होने से उत्पन्न हुआ है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: मुंबई में सूखा‑बारिश का चक्र
मुंबई में मोनसन के असर का इतिहास 19वीं सदी से ही लिखा जाता है। 1995 की बताया गया सबसे तीव्र वर्षा रिकॉर्ड 468 मिमी था, जबकि 2025 का आंकड़ा 300 मिमी तक पहुंच गया। इस बीच, 2005 में आंधी‑तूफ़ान का सैलाब शहर को बेमिसाल तबाह कर गया था। लेकिन इस बार का मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि "मोनसन ट्रफ़" के साथ-साथ उत्तरी‑पूर्वी अरब सागर से एक अनोखा अपर‑एयर‑साइक्लोनिक सर्कुलेशन भी जुड़ गया, जिससे बारिश की तीव्रता में एक अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई।
विवरण: बारिश की तकनीकी विश्लेषण और आँकड़े
इसी वर्ष के 19 अगस्त को, मुंबई भारी बारिश 2025मुंबई में पिछले 24 घंटों में कुल 300 मिमी वर्षा दर्ज की गई। दक्षिणी मुंबई के कुछ क्षेत्रों में 100 मिमी से अधिक बारिश हुई, जबकि उपनगरों में 150 मिमी तक गिरावट रही। यह आँकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 45 % अधिक था।
- अंधेरी और पॉयसर सबवे स्टेशन दोनों बंद हुए।
- वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे और ईस्टर्न फ्रीवे पर बाढ़ के कारण ट्रैफ़िक जाम 6 घंटे तक बना रहा।
- ब्रिजों से लेकर किंग्स सर्कल तक 2‑3 फ़ुट की जलस्तर वृद्धि दर्ज हुई।
प्रतिक्रिया: अधिकारियों और जनता की लड़ाई
जैसे ही बाढ़ बढ़ी, मुंबई पुलिस ने कई बिंदुओं पर फंसे स्कूल के बच्चों को बचाने के लिए बचाव अभियान चलाया। गांधी मार्केट और लोकहंडवाला में जलजमाव से फँसे लोगों को राफ़्ट और बैरल द्वारा निकाला गया। इस बीच, BEST की बसें बिना किसी डायवर्ज़न के चलती रही, लेकिन यात्रियों को पानी में गीले किल्के‑किल्के सफ़र का सामना करना पड़ा।
रेलवे ने भी बड़ी मेहनत की: मध्य व पश्चिम रेलवे की लोकल ट्रेनें देरी से चलती रही, लेकिन पूरी तरह रुक़ी नहींं। यात्रियों ने अपने-अपने टोकरी में पानी के थैले लेकर सफ़र जारी रखा, जो कुछ हद तक शहर की अनूठी लचीलापन को दर्शाता है।
विशेषज्ञों की राय: क्यों बनी रहेगी बारिश का यह पैटर्न?
वातावरण विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. अर्नव शीतल ने कहा, "जब तक मोनसन ट्रफ़ का दायरा पश्चिमी हवाओं से बचता नहीं, तब तक भारी वर्षा जारी रह सकती है।" उन्होंने आगे बताया कि इस साल का अपर‑एयर‑साइक्लोनिक सर्कुलेशन अरब सागर में गर्मी की परत को उठाकर तेज़ हवाओं को जन्म दे रहा है, जो बौछार को और तीव्र बनाता है।
एक अन्य विशेषज्ञ, जल प्रबंधन अधिकारी श्री. राकेश वासु, ने कहा कि शहर के पुराने ड्रेसिंग और नालों की अव्यवस्था ही बाढ़ की वास्तविक वजह है। "यदि हम ड्रेनेज को आकार में सुधारें, तो इतना पानी भी ठीक से निकाल सकता है," वासु ने संकेत किया।
भविष्य की दिशा: अगली चेतावनी और संभावित उपाय
इंडियन मेथियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने अगले चार दिनों तक रेड अलर्ट जारी रखने का फ़ैसला किया है। विभाग ने बताया कि 20‑22 अगस्त को झड़ते तूफ़ानों के साथ 50 किमी/घंटा की तेज़ हवाओं की संभावना है। इस दौरान, शहरी नियोजन बोर्ड ने तुरंत अस्थायी तालाब बनाने का प्रस्ताव रखा है, जिससे मौसमी जलधाराओं का बेहतर नियंत्रण हो सके।
स्थानीय सरकार की एक समिति ने भी अगले महीने दो‑तीन नए पम्प स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई है। यदि ये कदम सफल होते हैं, तो अगले वर्ष के मॉन्सून में बाढ़ के जोखिम को काफी हद तक घटाया जा सकता है।
Frequently Asked Questions
क्या इस बारिश के कारण मुंबई के सार्वजनिक परिवहन पर असर पड़ेगा?
रिपोर्टों के अनुसार, मौजूदा भारी बारिश के बावजूद मुंबई की लोकल ट्रेनें देरी के साथ चलती रही हैं, और BEST की बसें बिना किसी डायवर्ज़न के सेवाएं जारी रख रही हैं। हालांकि, अंधेरी और पॉयसर जैसी सबवे लाइनों का बंद रहना यात्रियों के लिए अस्थायी कठिनाई पैदा कर रहा है।
बारिश के मुख्य कारण कौन‑से मौसमी सिस्टम हैं?
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने बताया कि मोनसन ट्रफ़, उत्तरी‑पूर्वी अरब सागर का अपर‑एयर‑साइक्लोनिक सर्कुलेशन और एक सक्रिय शीयर ज़ोन ने मिलकर भारी वर्षा को जन्म दिया है। ये प्रणालियां एक साथ काम करने पर बौछार की तीव्रता को कई गुना बढ़ा देती हैं।
भारी बारिश से किन क्षेत्रों में सबसे अधिक जलजमाव हुआ?
लोकहंडवाला, वीरा देसाई रोड, किंग्स सर्कल और मतुंगा जैसे इलाके 2‑3 फ़ुट तक पानी में डूबे रहे। अंधेरी‑पॉयसर सबवे स्टेशन और एल्फिंस्टन ब्रिज भी बाढ़ के कारण बंद कर दिए गये थे।
अगले कुछ दिनों में मौसम विभाग ने कौन‑सी चेतावनियां जारी की हैं?
भारी बारिश के लिए रेड अलर्ट जारी है, और विभाग ने अगले चार दिनों में तेज़ हवाओं (40‑50 किमी/घंटा) और संभावित झड़ते तूफ़ानों की संभावना बताई है। यह अलर्ट 22 अगस्त तक जारी रहने की संभावना है।
भविष्य में बाढ़ रोकने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?
मुंबई नगर निगम ने अस्थायी तालाब और अतिरिक्त पम्प स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई है। साथ ही, जल प्रबंधन अधिकारी जल निकायों की सफाई और ड्रेनेज सिस्टम के आधुनिकीकरण पर भी जोर दे रहे हैं।
Hiru Samanto
सितंबर 29, 2025 AT 23:45ये बारिश तो हर साल की तरह ही हुई... पर इस बार तो IMD ने अच्छा काम किया बताकर कि क्या हुआ। अब बस ड्रेनेज सुधारो और बारिश के बाद भी शहर चलता रहे।
Divya Anish
सितंबर 30, 2025 AT 14:33मुंबई की जनता का जीवन बारिश के बावजूद जारी रहा - यही तो हमारी असली ताकत है। ट्रेनें देर से चलीं, बसें पानी में चलीं, लेकिन कोई रुका नहीं। ये अनूठा जज्बा हमारे खून में है।
md najmuddin
अक्तूबर 1, 2025 AT 17:12बारिश हुई तो भी लोग अपने टोकरे में पानी भरकर ट्रेन में चढ़ गए 😅 ये तो मुंबई का असली जादू है। कोई रोया नहीं, कोई शिकायत नहीं - बस चलते रहे। 🙌
Ravi Gurung
अक्तूबर 2, 2025 AT 02:19मैंने देखा कि लोग बसों में बैठे अपने जूते सूखने दे रहे थे। असली बात ये है कि हम इसके बावजूद जी रहे हैं। इतना बड़ा शहर, इतना कम इंफ्रास्ट्रक्चर।
SANJAY SARKAR
अक्तूबर 3, 2025 AT 15:52अरे यार ये अपर-एयर-साइक्लोनिक सर्कुलेशन क्या है? कोई समझा सकता है? मैंने तो सिर्फ बारिश देखी थी 😅
Ankit gurawaria
अक्तूबर 4, 2025 AT 09:24देखो यार, ये बारिश केवल मौसम की बात नहीं है - ये हमारी नगर निगम की निष्क्रियता की आईना है। 2005 के बाद से क्या हुआ? कोई ड्रेनेज का नक्शा बनाया? कोई नया पंप स्टेशन लगाया? नहीं। हम सिर्फ बारिश के बाद फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डालते हैं। अगले साल भी वही बारिश, वही पानी, वही बेचारे यात्री। ये नहीं रुकेगा जब तक हम इसे एक 'मौसमी आपदा' नहीं बनाकर रख देंगे। ये तो एक बर्बर नगरीय अव्यवस्था है, जिसे हम बर्दाश्त कर रहे हैं।
AnKur SinGh
अक्तूबर 6, 2025 AT 03:47मैं एक वैज्ञानिक के रूप में इस विश्लेषण को बहुत प्रशंसा करता हूँ। IMD के डेटा का विश्लेषण देखकर लगता है कि हमारी मौसमी भविष्यवाणी क्षमता ने एक बड़ी छलांग लगा ली है। लेकिन यह बात भी स्पष्ट है कि जल निकासी प्रणाली का आधुनिकीकरण तुरंत आवश्यक है। डॉ. शीतल और श्री वासु दोनों की बातें बिल्कुल सही हैं - विज्ञान और व्यवस्था दोनों की जरूरत है। हमें इस तरह के अवसरों को सिर्फ रिपोर्ट नहीं, बल्कि एक रणनीतिक अवसर के रूप में देखना चाहिए।
Sanjay Gupta
अक्तूबर 7, 2025 AT 17:06अरे यार, इतना बड़ा शहर है और ड्रेनेज नहीं है? तुम्हारे नगर निगम के अधिकारी तो सिर्फ बारिश के बाद टीवी पर आकर बोलते हैं - 'हम तुरंत कार्रवाई करेंगे'। और फिर? अगले साल फिर वही बारिश, वही पानी, वही बेचारे लोग। भारत की शिक्षा और नियोजन का यही हाल है।
Kunal Mishra
अक्तूबर 9, 2025 AT 16:07यह बारिश कोई 'मौसमी घटना' नहीं, बल्कि एक नगरीय विफलता का निरंतर प्रदर्शन है। डॉ. शीतल के विश्लेषण को तो आप विज्ञान कह रहे हैं, पर यह तो एक भयानक अवहेलना है - जब तक आप अपने नालों को नहीं साफ करेंगे, तब तक आप बारिश के लिए बाहरी कारण ढूंढते रहेंगे। ये बारिश नहीं, आपकी अनियोजित शहरी व्यवस्था है जो आपको डूबा रही है।
Anish Kashyap
अक्तूबर 11, 2025 AT 10:11मुंबई ने फिर से दिखा दिया कि ये शहर कभी नहीं टूटता - बस थोड़ा पानी में डूब जाता है 😎 लोकल ट्रेन देर से चली, बसें भी चलीं, लोग भी चले - ये ही हमारी ताकत है। अब बस ड्रेनेज बना दो और बाकी सब ठीक हो जाएगा!
Poonguntan Cibi J U
अक्तूबर 12, 2025 AT 10:37मैं तो उस दिन बारिश में फंस गया था... दो घंटे तक बस स्टॉप पर खड़ा रहा, पानी घुटनों तक आ गया, मेरा फोन चल गया, मेरा बैग भी खराब हो गया... और अब ये सब विश्लेषण? क्या मेरी पीड़ा इतनी आसानी से एक 'मौसमी सिस्टम' बन जाएगी? ये तो बस एक अधिकारी की बात है - मेरी जिंदगी तो बर्बाद हो गई।
Vallabh Reddy
अक्तूबर 12, 2025 AT 17:57मौसमी घटनाओं के विश्लेषण के लिए आंकड़ों की सटीकता अत्यंत आवश्यक है। इस लेख में उल्लिखित 'अपर-एयर-साइक्लोनिक सर्कुलेशन' की अवधारणा वातावरणीय विज्ञान के विशिष्ट प्रारूप के अनुरूप नहीं है। इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग विज्ञान की विश्वसनीयता को कमजोर करता है।
Mayank Aneja
अक्तूबर 13, 2025 AT 12:02मौसम विभाग का विश्लेषण वैज्ञानिक रूप से ठीक है। लेकिन जल निकासी प्रणाली के लिए एक विस्तृत आधुनिकीकरण योजना आवश्यक है। ड्रेनेज के आयाम, सामग्री, ढलान, और नियमित रखरखाव - इन सभी के लिए डेटा जमा करना चाहिए। बारिश के बाद फोटो नहीं, बल्कि डिजिटल मॉडल बनाने की जरूरत है।
Vishal Bambha
अक्तूबर 14, 2025 AT 08:09मुंबई की जनता के लिए ये बारिश एक युद्ध है - और हम लड़ रहे हैं! बसें चल रही हैं, ट्रेनें चल रही हैं, लोग बच रहे हैं - ये हमारा दम है। अब बस इन अधिकारियों को जगाओ, नहीं तो अगली बारिश में वो भी बह जाएंगे!
Raghvendra Thakur
अक्तूबर 14, 2025 AT 17:33पानी आया। लोग चले। शहर बच गया।
Reetika Roy
अक्तूबर 16, 2025 AT 03:47हमने देखा कि बच्चों को बचाने के लिए पुलिस ने जो काम किया, वो अद्भुत था। और जो लोग अपने टोकरे में पानी भरकर ट्रेन में चढ़ गए - वो हमारे दिल के लिए एक अच्छा संदेश है। शहर टूटा नहीं, बस गीला हो गया।
AnKur SinGh
अक्तूबर 16, 2025 AT 22:05मैंने देखा कि एक युवा लड़का अपनी बहन के लिए एक छोटा बैग ऊपर उठा रहा था, जबकि उसके पैर पानी में डूबे थे। यही तो हमारी असली शक्ति है - छोटे काम, बड़े दिल। डॉ. शीतल के विश्लेषण के साथ-साथ, ऐसे दृश्य हमें याद दिलाते हैं कि तकनीक से ज्यादा इंसानियत की जरूरत है।