ब्याज दरें – 2025 में क्या बदल रहा है?

हर महीने जब हम अपने बैंक स्टेटमेंट देखते हैं तो पहली नजर ब्याज दर पर पड़ती है। चाहे वो बचत खाते की कमाई हो या लोन का खर्च, दरों में छोटे‑से‑छोटे बदलाव से आपका ख़र्चा या फायद़ा दो गुना हो सकता है। इस साल RBI ने कई बार रेपो रेट को बदला और निजी बैंकों ने भी नई फ़िक्स्ड डिपॉज़िट (FD) व लोन पैकेज लॉन्च किए हैं। तो चलिए, बिना जटिल शब्दों के सीधे समझते हैं कि अभी कौन‑सी दरें आपके लिए फायदेमंद हो सकती हैं।

वर्तमान RBI रेपो रेट और इसका असर

RBI ने अगस्त 2025 में रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखा है। इससे बैंकों के उधार लेने‑देने की लागत लगभग वैसी ही बनी रहती है, यानी बचत खाते या फिक्स्ड डिपॉज़िट पर मिलने वाले ब्याज में बड़ा बदलाव नहीं देखा गया। लेकिन जब रेपो रेट स्थिर रहता है तो आम तौर पर बैंक लोन दरें भी थोड़ा नीचे आती हैं, क्योंकि वे RBI के इस बेस रेट को आधार बनाते हैं। अगर आप पर्सनल लोन या होम लोन लेने की सोच रहे हैं तो अभी का समय अच्छा माना जा सकता है—ब्याज कम रहने की संभावना बनी रहती है।

फिक्स्ड डिपॉज़िट और बचत खाते की दरें

2025 में प्रमुख बैंकों ने FD पर 6.8% से 7.4% तक के रेट पेश किए हैं, जबकि छोटे प्राइवेट बैंक्स थोड़ा अधिक—लगभग 7.9% तक दे रहे हैं। बचत खाते की दरें फिर भी बहुत कम रही हैं, औसतन 3.5% से 4% के बीच। अगर आपके पास कुछ अतिरिक्त पैसा है तो FD में निवेश करके आप अच्छा रिटर्न कमा सकते हैं, खासकर जब टैक्स बेनेफिट वाले सेक्शन‑डि (80C) की छूट को ध्यान में रखें। याद रखिए, लम्बी अवधि की FD आपको उच्च दर देती है, इसलिए 5 साल या उससे अधिक के प्लान पर विचार करें।

पर्सनल लोन की बात करें तो आजकल कई बैंकों ने 9% से 12% तक के आकर्षक ऑफ़र लॉन्च किए हैं। अधिकांश मामलों में आपका क्रेडिट स्कोर और आय स्तर रेट को तय करता है। यदि आपके पास अच्छी सैलरी स्लिप और स्थिर नौकरी है, तो आप कम दर पर लोन पा सकते हैं। कुछ बैंकों ने प्रोसेसिंग फीस भी घटा दी है, जिससे कुल खर्च कम होता है। लोन लेते समय हमेशा EMI कैलकुलेटर से अपनी मासिक किश्त देख लें—छोटी-सी चूक बड़े वित्तीय बोझ में बदल सकती है।

घर खरीदने या रिफ़ाइनेंस करने वाले लोगों के लिए होम लोन दरें 7.2% से 8.6% तक चल रही हैं। RBI की स्थिर रेपो रेट ने इस सेक्टर को भी थोड़ा शांत रखा है, लेकिन बैंक अपनी जोखिम प्रोफ़ाइल के हिसाब से थ्रेशहोल्ड सेट करते हैं। अगर आप पहले ही घर ले चुके हैं और ब्याज कम करना चाहते हैं तो रीफाइनेंसिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है—नई लोन शर्तें अक्सर बेहतर होती हैं। ध्यान रखें कि प्रीपेमेंट पेनल्टी की जाँच करें, क्योंकि कुछ बैंकों में वह अतिरिक्त खर्च बन सकता है।

अब सवाल यह आया: इन सभी दरों को देखते हुए कौन‑सी रणनीति अपनानी चाहिए? सबसे पहले अपने वित्तीय लक्ष्य तय कर लें—क्या आप बचत बढ़ाना चाहते हैं या कर्ज़ कम करना चाहते हैं? यदि बचत आपका प्राथमिक लक्ष्य है, तो FD में लंबी अवधि का निवेश और हाई‑इंटरेस्ट वाले छोटे बैंक्स पर गौर करें। अगर कर्ज़ घटाना है, तो उच्च ब्याज वाली लोन को पहले चुकाएँ या रीफाइनेंसिंग से रेट कम करने की कोशिश करें। साथ ही, RBI के अगले मीटिंग में संभावित रेपो बदलावों पर नजर रखें; छोटे‑से‑बड़े परिवर्तन आपके सभी वित्तीय योजनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।

नव॰, 9 2024
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