फेडरल रिजर्व की नई मुद्रास्फीति नीतियों पर ट्रंप की विजय से उत्पन्न अनिश्चितताएं
नव॰, 9 2024आर्थिक नीतियों और फेडरल रिजर्व की भूमिका
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए पुन: निर्वाचित होने से जुड़े आर्थिक मामलों पर चारों ओर बहसें चल रही हैं। उनकी जीत से फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीतियों और मुद्रास्फीति पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, इस पर सभी की नजरें बनी हुई हैं। ट्रंप की आर्थिक योजनाएं जिसमें बड़े पैमाने पर शुल्क बढ़ोतरी शामिल है और फेडरल रिजर्व के साथ सीधा संवाद करने की रणनीति ने वित्तीय विशेषज्ञों को गहन चिंतन में डाल दिया है। इनमें से कुछ योजनाओं की आलोचना भी हो रही है कि ये अमेरिका को भारी मुद्रास्फीति और बढ़ती राष्ट्रीय ऋण की ओर धकेल सकती हैं।
ट्रंप की आर्थिक रणनीति
ट्रंप की आर्थिक रणनीतियों की जब हम बात करते हैं, तो इसमें कई मुद्दे उभरकर सामने आते हैं। सबसे पहले, उच्च शुल्क वृद्धि का उनकी नीतियों में महत्वपूर्ण स्थान है। इस कदम से घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिल सकता है, लेकिन यह भी संभव है कि इससे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर भारी दबाव पड़े, जिससे मुद्रास्फीति की दर बढ़ सकती है।
इसके अलावा, ट्रंप की फेडरल रिजर्व के प्रसारण पर सीधा नियंत्रण की मांग ने कई लोगों को चिंताजनक बना दिया है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति के राजनीतिकरण से इसके निर्णय लेने की स्वतंत्रता पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। यह विशेष रूप से उस स्थिति में अधिक प्रासंगिक है जब आर्थिक मंदी का सामना करना हो और ब्याज दरों में संशोधन करना हो।
ब्याज दरों और फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता
ट्रंप ने ब्याज दरों को लेकर अपने विचार स्पष्ट तौर पर रखे हैं। उनका मानना है कि राष्ट्रपति को फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष के साथ ब्याज दरों पर चर्चा करने का हक होना चाहिए। इस दृष्टिकोण ने फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता को लेकर एक चर्चा को जन्म दिया है, जिसमें केंद्रीय बैंक की आत्मनिर्भरता और उसके राजनीतिक हस्तक्षेप से सुरक्षित रहने की बात कही जा रही है।
पॉलिसी के संभावित प्रभाव
कुछ अर्थशास्त्रियों का दावा है कि ट्रंप की नीतियां अमेरिकी अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा में ले जा सकती हैं जो अधिक ऋण और बढ़े हुए ब्याज दरों को प्रोत्साहित कर सकती हैं। पेटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स ने अनुमान लगाया है कि ट्रंप के प्रस्तावित शुल्क से सालाना $200 बिलियन से अधिक की आय हो सकती है। हालांकि, यह इन नीतियों की लागत की पूर्ति के लिए पर्याप्त नहीं होगी। कुछ आलोचक इन आंकड़ों को भी गलत मानते हैं और ट्रंप के आंकड़ों पर सवाल उठाते हैं।
फेडरल रिजर्व का संभावित उत्तर
यदि फेडरल रिजर्व को ट्रंप की नीतियों से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, तो उन्हें न केवल मुद्रास्फीति से निपटना होगा बल्कि राजनीतिक दबाव का भी सामना करना पड़ेगा। इस स्थिति में, फेडरल रिजर्व को एक संतुलन बनाना होगा जिसमें वह मौद्रिक नीति की स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए राजनीतिक समीकरणों का भी ध्यान रखें।
ट्रम्फ की योजनाओं की आलोचना के बावजूद, उनके समर्थक मानते हैं कि ये कदम आर्थिक विकास में योगदान कर सकते हैं। ऐसे मामलों में, फेडरल रिजर्व की चालों से निवेशकों के धारणाओं पर भी असर पड़ सकता है, जिससे आर्थिक चक्र में अप्रत्याशित धक्के लग सकते हैं। इसके साथ ही, बहुत से लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि ट्रंप की आर्थिक योजनाएं अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थायीता के लिए कितनी अनुकूल हैं।