अगर आप भारतीय राजनैतिक हलचल को समझना चाहते हैं तो यह पेज आपके लिए है। यहाँ हम आम आदमी पार्टी से जुड़ी हर बड़ी ख़बर, नीति बदलाव और चुनावी गतिशीलता को सरल भाषा में पेश करते हैं। कोई भी जटिल शब्द नहीं, बस वही जानकारी जो रोज़मर्रा की बातचीत में काम आए।
सबसे पहले बात करते हैं RBI के रेपो रेट पर। अगस्त 2025 में RBI ने रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखा, जिससे महंगाई दर में गिरावट आई और GDP की भविष्यवाणी 6.5% बनी रही। यह निर्णय सीधे आम आदमी पार्टी की आर्थिक नीति पर असर डालता है, क्योंकि पार्टी का फोकस रोज़गार और सस्ती वस्तुओं पर रहता है।
दूसरा बड़ा मुद्दा UPSC CSE Prelims 2025 का कट‑ऑफ है। विभिन्न वर्गों के लिए अलग‑अलग न्यूनतम अंक घोषित हुए हैं, जो छात्र समुदाय में चर्चा का केंद्र बन गया। आम आदमी पार्टी ने शिक्षा सुधार की माँग को लेकर कई बयानों से इसको अपने एजेंडा में शामिल किया है।
अभी हाल ही में तिरुपति मंदिर में हुई भगदड़ और उसके बाद सरकार की सुरक्षा तैयारी भी पार्टी के बयान का हिस्सा रही। कई नेता इस घटना को सामाजिक शांति के मुद्दे से जोड़ते हुए विरोधी दलों पर सवाल उठाते रहे। इसी तरह, शहिद दिवस 2025 के दौरान महात्मा गांधी की याद दिलाने वाले कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रीय एकता की बात रखी।
खेल जगत में भी राजनीति झलकती है। ICC चैंपियंस ट्रॉफी में भारत का जीतना, रॉहित शर्मा की कप्तानी और अन्य क्रिकेट अपडेट अक्सर पार्टी के सोशल मीडिया पर शेयर होते हैं क्योंकि ये दर्शकों को जोड़ने का साधन बनते हैं।
इन सब ख़बरों को पढ़कर आप न सिर्फ वर्तमान स्थिति समझ पाएँगे बल्कि आने वाले चुनाव में संभावित रुझानों का भी अंदाज़ा लगा सकेंगे। अगर आप किसी विशेष लेख या विवरण चाहते हैं तो नीचे दी गई सूची से तुरंत पढ़ सकते हैं:
हर लेख को हमने सरल भाषा और वास्तविक तथ्यों के साथ तैयार किया है। अगर आप किसी मुद्दे की गहरी समझ चाहते हैं तो आगे पढ़ें, नहीं तो संक्षिप्त सारांश भी मददगार रहेगा। आम आदमी पार्टी से जुड़ी हर ख़बर यहाँ मिलती रहेगी, इसलिए बार‑बार विज़िट करें और अपडेट रहें।
दिल्ली के 2025 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को करारी हार मिली, जिसका एक बड़ा कारण स्वाति मालीवाल का विरोध था। उन्होंने सोशल मीडिया पर 'द्रौपदी के प्रतिशोध' के रूप में आप के भ्रष्टाचार और तानाशाही को उजागर किया, जिससे पार्टी में आंतरिक जगड़े सामने आए। बीजेपी की जीत और केजरीवाल की हार ने दिल्ली की राजनीति में नए बदलावों का संकेत दिया।
आगे पढ़ें