जब आप IPO पर नज़र डालते हैं तो सबसे पहला नंबर जो दिखता है, वह प्राइस बैंड होता है। आसान शब्दों में कहें तो यह वह कीमतें हैं जिनके बीच कंपनी अपने शेयर बेचना चाहती है। इस सीमा के भीतर बिड किया जाता है और लॉट फॉर्मेट के हिसाब से शेयर allot होते हैं। अगर आप प्राइस बैंड को सही समझ लेंगे, तो बड़िया एंट्री प्वाइंट चुनना आसान हो जाता है।
कंपनी अपने डिप्लॉयमेंट प्लान, बाजार की रिसर्च और बुकिंग के आधार पर एक लोअर लिमिट (न्यूनतम) और अपर लिमिट (अधिकतम) तय करती है। सरकारी एजेंसियां, बैंक्स और इंडियन सिक्योरिटीज़ डिपॉजिटरी (इंडेक्स) इस बैंड को वैलिडेट करते हैं। बिडर (इंस्टिट्यूशन या रिटेल) अपनी चाही गई कीमत पर बिड करते हैं, और रिसीव्ड बिड्स के कुल वॉल्यूम के हिसाब से अलॉटमेंट प्राइस तय होती है।
एक ठोस उदाहरण ले लेते हैं – Regaal Resources का IPO जो 12‑14 अगस्त 2025 को खुला। इसका प्राइस बैंड था ₹96‑₹102 प्रति शेयर, लॉट आकार 144 शेयर और न्यूनतम निवेश ₹14,688। कंपनी ने 25% GMP (गुड मार्जिन प्राइस) हासिल किया, जिसका मतलब था कि डिमांड बहुत मजबूत थी। कुल बुकिंग 159.87 गुना थी, जिसमें QIB ने 190.96x और रिटेल ने 57.75x बिड किया। इस केस में प्राइस बैंड ने निवेशकों को स्पष्ट रेंज दी, जिससे वे अपने रिस्क को मैनेज कर सके।
अगर आप इस IPO में भाग ले रहे होते, तो ₹96 से ₹102 के बीच अपनी बिडिंग तय करते। बहुत सारा रिटेल निवेशक लोअर लेवल पर बिड करते, जबकि संस्थागत बिडर अक्सर अपर लेवल पर जाते। अंत में अलॉटमेंट प्राइस आम तौर पर बैंड के मध्य में या थोड़ा नीचे तय होती है, जिससे बिडर को कुछ फायदा मिलता है।
अब बात करते हैं क्यों प्राइस बैंड देखना जरूरी है। सबसे बड़ा कारण है – यह आपके निवेश की संभावित रिटर्न और रिस्क को तय करता है। अगर बैंड बहुत चौड़ी है, तो इसका मतलब है कि कंपनी को मार्केट में अनिश्चितता है, और आप को थोड़ा सावधानी बरतनी चाहिए। दूसरी ओर, अगर बैंड संकीर्ण है, तो बाजार में कंपनी की वैल्यू को लेकर ज्यादा स्पष्टता होती है, और आपका एंट्री पॉइंट ज़्यादा सटीक हो सकता है।
प्राइस बैंड पढ़ते समय कुछ बातें ध्यान में रखें:
आख़िर में, प्राइस बैंड सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि कंपनी की वित्तीय स्थिति, बाजार की उम्मीद और बिडर्स की रणनीति का प्रतिबिंब है। इसको समझ कर आप अपने पोर्टफ़ोलियो में बेहतर निर्णय ले सकते हैं। अगली बार जब कोई नया IPO आये, तो बैंड को देखें, बिडिंग की दिशा तय करें और आफ़्टर‑मार्केट में भी नज़र रखें। सफलता का मूल मंत्र है – सही जानकारी, सही टाइमिंग, और थोड़ा हेजिंग।
इंटरार्च बिल्डिंग प्रोडक्ट्स का आईपीओ 19 अगस्त को सब्सक्रिप्शन के लिए खुला है, जिसका लक्ष्य कुल 600.29 करोड़ रुपये जुटाना है। आईपीओ का प्राइस बैंड 850 रुपये से 900 रुपये प्रति इक्विटी शेयर के बीच रखा गया है। ग्रे मार्केट में शेयर 36% के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे हैं। कंपनी भारत में प्री-इंजीनियर्ड स्टील निर्माण समाधान प्रदान करती है।
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