फीडिंग इंडिया: भारत में भोजन सुरक्षा और पोषण समाचार

आपके पास कभी सोचा है कि देश भर में लाखों लोग रोज़ कौन‑से खाने पाते हैं? फ़ीडिंग इंडिया टैग पर हम वही बात सटीक आंकड़ों और आसान भाषा में बताते हैं। यहाँ आपको सरकारी योजनाओं, निजी पहल और नई टेक्नोलॉजी से जुड़ी खबरें मिलेंगी जो भूख को कम करने के लिए काम कर रही हैं।

सरकारी योजनाएँ – क्या नया?

पिछले साल ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ ने 15 करोड़ परिवारों को सस्ती राइस, दाल और तेल तक पहुँचाया था। इस साल केंद्र ने ‘आहार सुरक्षा मिशन’ लॉन्च किया है, जिसका लक्ष्य अगले दो साल में शहरी स्लूम्स में मुफ्त भोजन किचेन लगाना है। अभी तक के आँकड़े दिखाते हैं कि 1.2 करोड़ लोग पहले ही इस सेवा से जुड़ चुके हैं और दैनिक कैलोरी सप्लाई में सुधार हुआ है।

निजी पहल और टेक‑सॉल्यूशन

बाजार में कई स्टार्ट‑अप्स भी फ़ीडिंग इंडिया के हिस्से बन रहे हैं। ‘भोजन‑बॉक्स’ ऐप किसानों से सीधे खरीदे गए फल‑सब्जियों को शहरों के जरूरतमंद घरों तक पहुँचाता है, जिससे मध्यवर्ती लागत कम होती है और ताजगी बनी रहती है। एक साल में इस प्लेटफ़ॉर्म ने 3 लाख किट्स भेजे हैं, जिनमें औसत पोषण मान 40% अधिक है।

क्या आपने ‘खाद्य‑बैंक नेटवर्क’ के बारे में सुना? यह भारत के 30 से अधिक राज्यों में काम कर रहा है और हर महीने लगभग 10 मिलियन किलोग्राम अनाज बचा लेता है, जिसे फिर जरूरतमंदों को बांटा जाता है। हाल ही में उन्होंने एक नया एआई‑आधारित प्रेडिक्शन मॉडल लागू किया जो मौसमी फसल उत्पादन के आधार पर स्टॉक की भविष्यवाणी करता है, जिससे कम या ज्यादा स्टॉक होने की समस्या घटती दिख रही है।

इन सभी प्रयासों का असर सिर्फ आँकड़ों में नहीं बल्कि जमीन पर भी दिखाई दे रहा है। उत्तराखंड के छोटे गांव में एक सर्वे ने बताया कि पिछले पाँच वर्षों में बच्चों की कुपोषण दर 12% से गिरकर अब केवल 5% रही। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि स्थानीय स्कूलों में ‘न्यूट्रीशन हब’ स्थापित हो गया, जहाँ रोज़ दो पौष्टिक स्नैक्स मिलते हैं।

भूख के खिलाफ लड़ाई में सामाजिक भागीदारी भी अहम है। कई NGOs ने भोजन वितरण के लिए स्वयंसेवकों की नेटवर्क बनाई है। उन्होंने कहा कि अगर हर घर से केवल 5 मिनट मदद करने का समय दिया जाए तो लाखों लोगों तक सहायता पहुँच सकती है। इस तरह छोटी‑छोटी कोशिशें बड़ी बदलाव ला रही हैं।

भविष्य में फ़ीडिंग इंडिया टैग पर हम क्या देखेंगे? विशेषज्ञों के अनुसार, अगले पाँच साल में डिजिटल पेमेंट और ब्लॉकचेन तकनीक से भोजन की ट्रैकिंग पूरी तरह पारदर्शी हो जाएगी। इसका मतलब है कि दानकर्ता सीधे देख पाएंगे कि उनका योगदान कहाँ जा रहा है और किसे मिल रहा है। इससे विश्वास बढ़ेगा और अधिक लोग इस मिशन में भाग लेंगे।

आप भी अगर फ़ीडिंग इंडिया से जुड़ी खबरों को फॉलो करना चाहते हैं, तो हमारे टैग पेज पर रोज़ नई जानकारी अपडेट होती रहती है। चाहे आप नीति बनाते हों, स्टार्ट‑अप चला रहे हों या सिर्फ जागरूक नागरिक हों – यहाँ हर कोई अपनी जगह पा सकता है। पढ़ते रहें, समझते रहें और मिलकर भूख को खत्म करने में मदद करें।

नव॰, 29 2024
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