जब हम पश्चिमी व्यवधान, उत्तरी भारत में सर्दियों के दौरान तेज़ जेट स्ट्रीम से आने वाला ठंडा वायुमंडलीय झटका. इसे Western Disturbance भी कहा जाता है, तो इसका मुख्य काम ठंडी हवा, बरसात और कभी‑कभी बवंडर लाना होता है। तीन मुख्य संबंध यहाँ बनते हैं: (1) पश्चिमी व्यवधान ⟶ बारिश लाता है, (2) पश्चिमी व्यवधान ⟶ ठंड बढ़ाता है, (3) पश्चिमी व्यवधान ⟶ बवंडर की संभावना बनाता है।
इन बदलावों को समझने के लिए मानसून, भारत में गर्मी के महीनों में दक्षिणी समुद्र से आती नमी भरी हवाएँ का भी ध्यान रखना चाहिए। मानसून आमतौर पर गर्मियों में सक्रिय रहता है, लेकिन जब ठंड, सर्दियों में हिमालयी क्षेत्रों से नीचे ओर उतरती ठंडी हवा के साथ मिलती‑जुलती है, तो पश्चिमी व्यवधान की प्रभावशीलता बढ़ जाती है। यही कारण है कि हिमालय के तराई इलाकों में अक्सर तेज़ हवाओं और बवंडर की रिपोर्टें आती हैं। बवंडर, एक तीव्र वायुमंडलीय घूर्णन जो अचानक तुफ़ान जैसा असर देता है अक्सर पश्चिमी व्यवधान से जुड़ी हवा के तेज़ बदलाव में पैदा होता है, जिससे धारा‑भारी बारिश या बर्फबारी हो सकती है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, इन तीनों तत्वों के बीच का संबंध भारत के मौसम को अनियमित बनाता है, इसलिए सटीक मौसमी पूर्वानुमान, हवामानों की भविष्यवाणी करने की वैज्ञानिक प्रक्रिया अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
अब आप समझ गए होंगे कि पश्चिमी व्यवधान सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक जटिल प्रणाली है जो बरसात, ठंड और बवंडर को जोड़ती है। नीचे आपको इस टैग से जुड़े ताज़ा समाचार और विश्लेषण मिलेंगे—बाजार, खेल, मौसम, सरकारी अपडेट आदि। इस संग्रह में पढ़ते‑पढ़ते आप देखेंगे कि कैसे पश्चिमी व्यवधान का असर दैनिक जीवन, पर्यटन और कृषि तक फैला हुआ है, और कौन‑सी नई जानकारी आपके निर्णयों को मदद करेगी। तो चलिए, आगे बढ़ते हैं और इस कवर किए गए लेखों की दुनिया में डुबकी लगाते हैं।
राजस्थान में 6 अक्टूबर को पश्चिमी व्यवधान के कारण भारी बारिश, बिजली‑हैलोस्टॉर्म और 100 मिमी अधिकतम वर्षा हुई। डॉ. अतुल सिंह की चेतावनी के बाद 8 अक्टूबर से सूखा मौसम आएगा।
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