ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) का आसान परिचय

शेयर बाजार में अक्सर सुनते हैं ‘ग्रे मार्केट प्रीमिक’ की बात। यह शब्द थोड़ा तकनीकी लग सकता है, पर असल में ये बहुत सीधा है। जब कोई कंपनी IPO लाँच करती है और सार्वजनिक रूप से शेयर नहीं बिके होते, तब कुछ ब्रोकर और बड़े निवेशक पहले‑पहले उन शैरों को ऑफ‑मार्केट बेचते हैं। इस ट्रेड का दाम अगर इश्यू प्राइस से ज़्यादा हो तो उस अतिरिक्त हिस्से को ग्रे मार्केट प्रीमिक कहते हैं।

ग्रे मार्केट प्रीमिक कैसे निकाला जाता है?

सबसे पहले देखें कि कंपनी ने शेयर किस रेंज में ऑफर किया (जैसे ₹96‑₹102)। अब अगर कोई ब्रोकर 30 दिन बाद यह बताता है कि वही शेयर बाजार में ₹115 पर मिल रहा है, तो प्रीमिक = ₹115‑₹96 = ₹19 या लगभग 20%। कुछ साइटें इसको प्रतिशत के रूप में दिखाती हैं। ध्यान रखें – ये दाम अभी आधिकारिक नहीं होता, सिर्फ अनुमानित मांग का इशारा देता है।

आज के हॉट IPO और उनका GMP

पिछले कुछ महीनों में दो बड़े IPO ने ग्रे मार्केट पर हलचल मचा दी:

  • Unimech Aerospace IPO: 23‑डिसंबर से खुला, कुल ₹500 करोड़ की इश्यू। तीसरे दिन GMP ₹610 तक पहुँच गया, मतलब निवेशकों को आधिकारिक कीमत से बहुत ज़्यादा भुगतान करना पड़ रहा था। इसका कारण कंपनी का एयरोस्पेस सेक्टर में मजबूत ग्रोथ प्रॉस्पेक्टिव और सीमित शेयर सप्लाई था।
  • Regaal Resources IPO: यह मक्का‑आधारित प्रोसेसिंग कंपनी थी, प्राइस बैंड ₹96‑₹102 रखा गया। शुरुआती ट्रेड में GMP लगभग 15% दिखा, जो दर्शाता है कि बाजार ने इस सेक्टर की संभावनाओं को लेकर उत्साहित था, पर इतना नहीं कि कीमत दो गुना हो जाए।

इन दोनों केसों से एक बात साफ़ होती है – जब कंपनी के पास स्पष्ट बिजनेस मॉडल और कम शेयर उपलब्ध होते हैं, तो ग्रे मार्केट प्रीमिक जल्दी बढ़ सकता है।

ग्रे मार्केट प्रीमिक देख कर क्या करना चाहिए?

अगर आप नए निवेशक हैं या अभी IPO में पहली बार भाग ले रहे हैं, तो GMP को एक संकेत के रूप में लें, लेकिन पूरे भरोसे से नहीं। बहुत ज़्यादा प्रीमिक का मतलब है कि शेयर की असली वैल्यू से अधिक कीमत पर खरीद रहे हो सकते हो, जिससे लिस्टिंग के बाद नुकसान हो सकता है। दूसरी तरफ, बिल्कुल भी प्रीमिक न दिखना कभी‑कभी यह बताता है कि बाजार में कम इंट्रेस्ट है, और शेयरों को गिरावट का सामना करना पड़ सकता है।

स्मार्ट निवेशकों की टिप्स:

  • IPO की आधिकारिक दस्तावेज़ पढ़ें – कंपनी के फाइनेंस, प्रोजेक्टेड रिवेन्यू और डेब्ट देखें।
  • ग्रेस मार्केट प्रीमिक को एक चेकपॉइंट मानें, पर अंत में अपनी रिस्क प्रोफ़ाइल के हिसाब से तय करें कि कितना निवेश करना है।
  • यदि प्रीमिक 30% से ज्यादा हो और कंपनी का बिजनेस अभी भी शुरुआती चरण में हो, तो थोड़ा सावधानी बरतें।

अंत में याद रखें – ग्रे मार्केट प्रीमिक सिर्फ़ एक आँकलन है, असली कीमत लिस्टिंग के बाद ही तय होती है। इसलिए इसे एक टूल की तरह इस्तेमाल करें, न कि अंतिम फैसला। जब आप समझेंगे कि कब प्रीमिक महत्त्वपूर्ण संकेत देता है और कब नहीं, तो आप IPO में बेहतर निर्णय ले पाएँगे।

अगर आगे भी ऐसे अपडेट चाहिए तो हमारे टैग पेज ‘ग्रेस मार्केट प्रीमियम’ पर नई ख़बरें और विश्लेषण देखते रहें। आपका निवेश सफल हो!

अग॰, 20 2024
0 टिप्पणि
इंटरार्च बिल्डिंग प्रोडक्ट्स आईपीओ: जानिए प्राइस बैंड, जीएमपी और अन्य विवरण

इंटरार्च बिल्डिंग प्रोडक्ट्स आईपीओ: जानिए प्राइस बैंड, जीएमपी और अन्य विवरण

इंटरार्च बिल्डिंग प्रोडक्ट्स का आईपीओ 19 अगस्त को सब्सक्रिप्शन के लिए खुला है, जिसका लक्ष्य कुल 600.29 करोड़ रुपये जुटाना है। आईपीओ का प्राइस बैंड 850 रुपये से 900 रुपये प्रति इक्विटी शेयर के बीच रखा गया है। ग्रे मार्केट में शेयर 36% के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे हैं। कंपनी भारत में प्री-इंजीनियर्ड स्टील निर्माण समाधान प्रदान करती है।

आगे पढ़ें