CBDT – टैक्स की दुनिया में अहम जानकारी

जब आप CBDT, भारत की केंद्र सरकारी एजेंसी जो प्रत्यक्ष करों का नियमन और प्रशासन करती है. Also known as सीबीडीटी, it formulates rules, monitors compliance, and issues circulars that affect every taxpayer.

अगर आप Income Tax की बात करें तो यह सीधे CBDT का मुख्य दायरा है. सीबीडीटी आयकर अधिनियम के तहत रिटर्न फ़ाइलिंग, टैक्स ऑडिट और छूट नीतियों को तय करता है। इसी वजह से हर साल नई टैक्स स्लैब, वैट वापसी और टीजीएसी स्वीकृति में बदलाव होते हैं।

सीबीडीटी और GST का अंतर्संबंध

हालांकि GST, समेकित वस्तु एवं सेवा कर, अप्रत्यक्ष करों का प्रमुख रूप है, लेकिन इसका संचालन भी सीबीडीटी के टैक्स नीति विभाग से समन्वित रहता है। नीति‑निर्माण में दोनो एजेंसियों का सहयोग साधारण करदाता के लिए रिटर्न प्रक्रिया को आसान बनाता है। उदाहरण के तौर पर, इ‑वॉलेट टैक्‍स क्रेडिट इंटेग्रेशन को सीबीडीटी के दिशानिर्देशों के अनुसार लागू किया गया है।

जब Tax Return, वर्ष‑वर्ष करदाता द्वारा आय एवं व्यय की घोषणा फॉर्म भरते हैं, तो सीबीडीटी के पोर्टल पर उपलब्ध गाइडलाइन और टेम्पलेट उनकी प्रमुख सहायता होते हैं। रिटर्न फ़ाइलिंग के समय आवेदन‑पत्र, वैध दस्तावेज़ और वैध डिजिटल सिग्नेचर की आवश्यकता सीबीडीटी के नियमों द्वारा निर्धारित होती है। इस कारण रिटर्न में त्रुटियों से बचने के लिये टैक्स सलाहकार अक्सर सीबीडीटी के नवीनतम अपडेट देखते हैं।

आइए देखें कि इस टैक्स माह में किन‑किन प्रमुख बदलावों पर ध्यान देना आवश्यक है। पहले, सीबीडीटी ने नकद लेन‑देन पर 5 % अतिरिक्त अधिभार को स्थगित कर दिया, जिससे छोटे व्यवसायियों को राहत मिली। दूसरा, नया प्री‑टैक्स रिफंड नियम लागू हुआ, जिसमें 30 % तक रिफंड मिलने की संभावना है, बशर्ते सही दस्तावेज़ संलग्न हों। तीसरा, डिजिटल टैक्स एग्रीगेटर के लिए नई रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क पेश किया गया, जिससे ई‑कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म को हर महीने GST और आयकर के टर्नओवर की रिपोर्ट देनी होगी।

इन बदलावों के प्रभाव को समझने के लिये कुछ अभ्यास‑आधारित टिप्स मददगार होते हैं। पहला, सीबीडीटी के आधिकारिक मोबाइल ऐप से रीयल‑टाइम नोटिफ़िकेशन सेट करें; इससे नए नोटिस, दीवार अंतराल या रिटर्न दायर करने की अंतिम तिथि के बारे में तुरंत जानकारी मिलती है। दूसरा, वार्षिक आय‑वर्गीकरण को अपने अकाउंटेंट के साथ दो‑बार जाँचें; अक्सर छूट‑ज़रिएट या डिडक्शन की गणना में छोटी‑छोटी राउंड‑ऑफ़ त्रुटियां रिफंड को प्रभावित करती हैं। तीसरा, GST‑संबंधित इनपुट टैक्स क्रेडिट को अपने बही‑खाते में अलग कॉलम में रखें — यह सीबीडीटी द्वारा निरीक्षण में आसानी बनाता है और ऑडिट रेट को कम करता है।

जब आप टैक्स‑प्लानिंग की बात करते हैं तो Direct Tax Policy का महत्व समझना जरूरी है। सीबीडीटी न केवल आयकर दरों को तय करती है, बल्कि विभिन्न सेक्टर‑स्पेसिफिक लाभ भी देती है जैसे कि स्टार्ट‑अप एंजेल इनवेस्टमेंट पर विशेष कटौती, हाउसिंग लोन पर अतिरिक्त छूट आदि। इन नीतियों के चलते विभिन्न उद्योगों में निवेश प्रवाह बदलता है, जो अंततः राष्ट्रीय राजस्व को प्रभावित करता है। इस कारण सीबीडीटी के वार्षिक बजट फुलर रिपोर्ट को पढ़ना, नीतियों का दीर्घ‑कालिक असर समझने में सहायक हो सकता है।

यहाँ तक पढ़कर आप समझ गए होंगे कि CBDT केवल एक सरकारी बॉक्स नहीं है, बल्कि हर करदाता की वित्तीय जिंदगी में उसका बड़ा असर है। नीचे आप पाएँगे ताज़ा समाचार, विश्लेषण और विशेषज्ञ राय जो इस टैक्स इकोसिस्टम के विभिन्न पहलुओं को कवर करते हैं—से इन्कम टैक्स रिफॉर्म से लेकर GST‑कोऑर्डिनेशन तक। तैयार हो जाइए, क्योंकि आगे की बारीकी से लिखी गई लेख श्रृंखला आपके टैक्स‑जॉब को आसान और जानकारी‑पूर्ण बनायेगी।

सित॰, 26 2025
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सीबीडीटी ने आयकर रिटर्न की अंतिम तिथि को 15 सितंबर से बढ़ाकर 16 सितंबर 2025 कर दी। तकनीकी गड़बड़ी के चलते यह कदम उठाया गया है। बिना ऑडिट वाली व्यक्तिगत एवं एचयुएफ को यही नई अंतिम तिथि मिलेगी, जबकि ऑडिट‑शुदा व्यवसायों को 31 अक्टूबर तक का समय किया गया है। देर से फाइल करने पर जुर्माना व ब्याज लगेंगे, लेकिन 31 दिसंबर तक बिचले रिटर्न दाखिल किए जा सकते हैं।

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