आयकर रिटर्न – आसान फाइलिंग और महत्त्वपूर्ण अपडेट

जब बात आयकर रिटर्न, व्यक्तियों या कंपनियों द्वारा वर्षभर की आय का सारांश बताकर टैक्स विभाग को जमा करने वाला फॉर्म की आती है, तो कई सवाल दिमाग में आते हैं। इसे अक्सर आयकर, सरकारी कर प्रणाली जो आय पर कर लगाती है के साथ उलझा देते हैं, लेकिन दोनों अलग हैं – आयकर बड़ा ढांचा है, जबकि रिटर्न उस ढांचे में आपका वार्षिक रिपोर्ट है। आजकल इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग, इंटरनेट के ज़रिये रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया मानक बन गई है, जिससे कागज़ी काम कम हो रहा है और रिटर्न की प्रोसेसिंग तेज़ है। आप सही समय पर आयकर रिटर्न भरने से दंड से बच सकते हैं और रिफंड जल्दी पा सकते हैं। ये तीनों घटक – आयकर, आयकर रिटर्न, और इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग – एक दूसरे को पूरा करते हैं और फाइलिंग को सरल बनाते हैं।

मुख्य घटक और उनके प्रभाव

वित्तीय वर्ष (FY) की समाप्ति रिटर्न डेडलाइन तय करती है – अगर वित्तीय वर्ष 31 मार्च को खत्म होता है, तो अधिकांश व्यक्तिगत रिटर्न 31 जुलाई तक जमा करने होते हैं। इस समय सीमा पर टैक्स डिडक्शन, आय से घटाने योग्य खर्चे जो कर योग्य आय कम करते हैं की सही गणना जरूरी है, क्योंकि निवेश, बीमा प्रीमियम, या हाउस प्रॉपर्टी लोन की भरपाई रिटर्न में छूट देती है। टैक्स डिडक्शन रिटर्न में सही उल्लेख करदाता को अतिरिक्त रिफंड या कम टैक्स बिल दिला सकता है। साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग पोर्टल रिटर्न का स्वचालित वैलिडेशन देता है, जिससे त्रुटियों की संभावना घटती है और प्रोसेसिंग समय कम होता है।

जब आप आयकर रिटर्न जमा करते हैं, तो कई बाहरी कारक भी असर डालते हैं। यदि आपने पिछले वित्तीय वर्ष में स्टॉक मार्केट या रियल एस्टेट से आय अर्जित की है, तो कैपिटल गेन टैक्स की गणना रिटर्न में अलग से करनी होती है। इसी तरह, फ्रिंज बेनेफिट या विदेशी आय के मामलों में Form 16A और फ्रिंज बेनेफिट प्रमाणपत्रों का उपयोग रिटर्न में किया जाता है। इन सभी पहलुओं को समझना आपके रिटर्न को सटीक बनाने में मदद करता है और टैक्स एवरीस्टेशन से बचाता है।

नीचे की सूची में आपको उन लेखों का भंडार मिलेगा जो आयकर रिटर्न की तैयारी में सीधे मदद करेंगे – जैसे नई फॉर्म अपडेट, डिडक्शन टिप्स, और ऑनलाइन फाइलिंग के चरण-दर-चरण गाइड। इन संसाधनों से आप अपना रिटर्न जल्दी, सही और बिना झंझट के जमा कर सकेंगे।

सित॰, 26 2025
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सीबीडीटी ने आयकर रिटर्न की अंतिम तिथि को 15 सितंबर से बढ़ाकर 16 सितंबर 2025 कर दी। तकनीकी गड़बड़ी के चलते यह कदम उठाया गया है। बिना ऑडिट वाली व्यक्तिगत एवं एचयुएफ को यही नई अंतिम तिथि मिलेगी, जबकि ऑडिट‑शुदा व्यवसायों को 31 अक्टूबर तक का समय किया गया है। देर से फाइल करने पर जुर्माना व ब्याज लगेंगे, लेकिन 31 दिसंबर तक बिचले रिटर्न दाखिल किए जा सकते हैं।

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