अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव हर चार साल में होता है और 2024 की बार फिर से सारी दुनिया के लिए चर्चा का विषय बन गई है। अगर आप इस चुनाव को समझना चाहते हैं तो पढ़ते रहें – हम आसान भाषा में बताएंगे कौन कौन है मैदान में, वोट कैसे गिरता है और भारत पर इसका क्या असर पड़ सकता है।
2024 के लिए दो बड़े पार्टियों से प्रमुख दावेदार सामने आए हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से जो बाइडेन फिर से अपना नाम लाए हैं, जबकि रिपब्लिकन पक्ष ने रॉन डेसैंटिस को अपने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना है। इनके अलावा इंडिपेंडेंट और छोटे पार्टियों के भी कई चेहरे हैं जैसे कि लैरी हॉब्स और जॉर्जा मैकॉल, लेकिन वे मुख्य धारा में कम असर दिखाते हैं। इन दो बड़े नामों की नीति, भाषण शैली और चुनावी रणनीति अक्सर समाचार हेडलाइन बनती है, इसलिए इन्हें करीब से देखना ज़रूरी है।
अमेरिका में वोट सीधे नहीं बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज के माध्यम से गिना जाता है। हर राज्य को जनसंख्या के आधार पर तय संख्या के इलेक्टर्स मिलते हैं, कुल 538 इलेक्टर होते हैं और 270 की जीत से कोई भी उम्मीदवार राष्ट्रपति बनता है। आम जनता का काम अपना वोट डालना है, लेकिन असली जीत इलेक्टोरल कॉलेज में होती है। यह सिस्टम कभी‑कभी उलट परिणाम दे सकता है, इसलिए चुनाव के अंतिम दिन तक सभी राज्य के आँकड़े देखे जाते हैं।
अगर आप भारत से पढ़ रहे हैं तो ध्यान रखें कि अमेरिकी वोटिंग डे हर साल नवंबर के पहले मंगलवार को होता है – 2024 में यह 5 नवम्बर को होगा। इस दिन कई भारतीय कंपनियों की शेयर कीमतें भी हिल सकती हैं, क्योंकि निवेशक अक्सर अमेरिका के नतीजों पर अपनी रणनीति बनाते हैं।
अब बात करते हैं भारत‑अमेरिका रिश्ते की। अमेरिकी राष्ट्रपति का विदेश नीति भारत के व्यापार, तकनीकी सहयोग और सुरक्षा समझौतों को सीधे प्रभावित करता है। यदि डेमोक्रेटिक पार्टी जीतती है तो यूएस‑इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप जारी रहेगी, जबकि रिपब्लिकन पक्ष के तहत कुछ क्षेत्रों में अलग दिशा भी देखी जा सकती है – जैसे कि चीन‑भारत संबंधों पर अधिक दबाव या ट्रेड नीतियों में बदलाव। इसलिए भारतीय व्यापारियों और नीति निर्माताओं को इस चुनाव को बहुत करीब से फॉलो करना चाहिए।
आखिरकार, अमेरिकी चुनाव सिर्फ अमेरिका के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। भारत में भी इसका असर दिखेगा – चाहे वह आर्थिक बाजारों पर हो या विदेश नीति पर। अगर आप अपडेटेड रहना चाहते हैं तो रोज़ाना खबरें पढ़ते रहें, प्रमुख टर्निंग पॉइंट्स को नोट करें और अपने निवेश व करियर की योजना उसी अनुसार बनाएं।
सारांश में – अमेरिकी चुनाव 2024 दो बड़े उम्मीदवारों के बीच संघर्ष है, इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली से जीत तय होती है और इसका सीधा असर भारत के आर्थिक‑राजनीतिक माहौल पर पड़ेगा। अब आपका काम है इस जानकारी को अपनाकर आगे बढ़ना!
कमला हैरिस ने मिनेसोटा के गवर्नर टिम वाल्ज़ को आगामी अमेरिकी चुनावों में अपने उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना है। वाल्ज़ का शिक्षण और नेशनल गार्ड का पूर्व अनुभव है और उन्होंने 2019 में मिनेसोटा के गवर्नर बनने से पहले यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में सेवा दी थी। वाल्ज़ के चुने जाने को मिडवेस्ट से समर्थन प्राप्त करने और डेमोक्रेटिक टिकट को मजबूत करने की रणनीतिक चाल मानी जा रही है।
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