सिमोन टाटा का निधन: लैक्मे और वेस्टसाइड की नींव रखने वाली महिला का अंत

सिमोन टाटा का निधन: लैक्मे और वेस्टसाइड की नींव रखने वाली महिला का अंत दिस॰, 6 2025

शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025 को मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में 95 साल की उम्र में सिमोन टाटा का निधन हो गया। पार्किंसंस रोग से जूझ रही ये महिला, जो रतन टाटा की सौतेली मां और Tata Trusts के चेयरमैन नोएल टाटा की मां थीं, भारतीय बिजनेस इतिहास की एक अद्वितीय आकृति थीं। उनकी विरासत सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि भारत के ब्यूटी और रिटेल सेक्टर की है। लैक्मे को देश का सबसे भरोसेमंद कॉस्मेटिक ब्रांड बनाने और वेस्टसाइड की शुरुआत करके उन्होंने भारतीय महिलाओं के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया।

एक यूरोपीय महिला ने भारतीय सौंदर्य की परिभाषा बदल दी

सिमोन टाटा का जन्म जिनेवा, स्विट्जरलैंड में हुआ था। 1953 में 23 साल की उम्र में भारत आईं और वहां नवल टाटा से मुलाकात हुई। नवल तब तलाकशुदा थे, और उनसे 26 साल बड़े थे। 1955 में शादी के बाद सिमोन ने मुंबई को अपना घर बना लिया। यहां उन्होंने अपनी यूरोपीय सादगी और भारतीय गरिमा का अनूठा मेल बनाया। लेकिन उनका सबसे बड़ा योगदान उस दौर में आया, जब भारतीय महिलाएं अभी भी बाजार में आउटसोर्स किए गए कॉस्मेटिक्स के प्रति संकोच कर रही थीं।

उन्होंने लैक्मे को सिर्फ एक कॉस्मेटिक ब्रांड नहीं, बल्कि एक आत्मविश्वास का प्रतीक बनाया। उनकी नजर में, सुंदरता सिर्फ बाहरी चमक नहीं, बल्कि गरिमा थी। उन्होंने उन उत्पादों को डिज़ाइन कराया जो भारतीय त्वचा और जलवायु के अनुकूल थे। उन्होंने ब्रांड को अपने नाम से जोड़ दिया — नहीं, उन्होंने इसे भारतीय महिलाओं की आत्मा से जोड़ दिया।

वेस्टसाइड: जब महिलाओं के लिए खरीदारी एक अनुभव बनी

लैक्मे के बाद, सिमोन ने अपनी नजर रिटेल पर डाली। उस दौर में, भारतीय मध्यम वर्ग की महिलाओं के लिए कपड़े खरीदना एक जरूरत नहीं, बल्कि एक अपराध लगता था। उन्होंने ट्रेंट की चेयरपर्सन एमरेटस के रूप में वेस्टसाइड की शुरुआत की। यह भारत का पहला ऐसा ब्रांड बना जिसने एक बार फिर महिलाओं को अपनी शान के साथ खुद को दिखाने का अधिकार दिया।

वेस्टसाइड के दुकानों में एक नया अहसास था — स्वच्छता, व्यवस्था, और गरिमा। उन्होंने फैशन को एक ब्रांड नहीं, बल्कि एक जीवनशैली बना दिया। अब एक छात्रा या एक बच्चे की मां भी अपने लिए एक अच्छा सूट खरीद सकती थी, बिना शर्मिंदगी के। इसका असर तुरंत दिखा। 1990 के दशक तक, वेस्टसाइड भारत के सबसे तेजी से बढ़ रहे रिटेल ब्रांड बन गया।

एक निश्चय और एक परिवार की आध्यात्मिक नेतृत्व

सिमोन टाटा के जीवन में बहुत कुछ था जो बाहर से दिखाई नहीं देता था। वह एक अत्यंत निश्चयी महिला थीं। जब उन्हें पता चला कि उनके पति नवल टाटा के बेटे रतन टाटा को व्यावसायिक दुनिया में ले जाने की जरूरत है, तो उन्होंने उन्हें अपने घर में रखा। रतन टाटा ने बाद में कहा था, "माँ ने मुझे न सिर्फ शिक्षा दी, बल्कि यह भी सिखाया कि व्यापार क्या है — एक जिम्मेदारी, एक विश्वास।"

उनके घर में दो दुनियाएं मिलती थीं — यूरोप की सादगी और भारत की गहराई। उन्होंने अपने बेटे नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन बनाने का आधार भी बनाया। उनकी नींव पर ही टाटा समूह की आध्यात्मिक दिशा बनी। उनकी विरासत सिर्फ ब्रांड्स तक सीमित नहीं है — यह एक संस्कृति है।

एक अमर विरासत

लैक्मे ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, "आपकी विरासत सदैव अमर रहेगी।" वेस्टसाइड के लाखों ग्राहकों के लिए वह एक नाम था — जिसके पीछे एक महिला थीं जिन्होंने उन्हें खुद को अच्छा महसूस करने का अधिकार दिया।

उनका अंतिम संस्कार कोलाबा, मुंबई स्थित कैथेड्रल ऑफ द होली नेम चर्च में 6 दिसंबर 2025 को सुबह हुआ। उसके बाद 11 बजे एक शांत प्रार्थना सभा आयोजित की गई। उस दिन, लाखों लोगों ने उनके लिए श्रद्धांजलि अर्पित की — कुछ जो उन्होंने अपने लिए कपड़े खरीदे थे, कुछ जिन्होंने उनके लैक्मे का लिपस्टिक लगाया था।

क्या वे बिना ब्रांड्स के असली नहीं होतीं?

हो सकता है कि कुछ कहें कि सिमोन टाटा केवल एक ब्रांड बनाने वाली महिला थीं। लेकिन वास्तविकता यह है कि वे एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने भारतीय महिलाओं के लिए एक नया अधिकार बनाया — अपनी सुंदरता को अपनाने का अधिकार। उनके बिना, लैक्मे बस एक लोगो होता। वेस्टसाइड बस एक दुकान। लेकिन उनकी उपस्थिति ने इन्हें जीवन दे दिया।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सिमोन टाटा ने लैक्मे को कैसे भारत का आइकॉनिक ब्रांड बनाया?

सिमोन टाटा ने लैक्मे को सिर्फ एक उत्पाद नहीं, बल्कि एक भावना बनाया। उन्होंने भारतीय त्वचा के लिए अनुकूल फॉर्मूला डिज़ाइन कराया, और ब्रांड को एक विश्वसनीयता के साथ जोड़ा। उन्होंने विज्ञापनों में भारतीय महिलाओं को दिखाया — न कि विदेशी मॉडल्स। इससे ग्राहकों में अपनाने का भाव जागा।

वेस्टसाइड की शुरुआत ने भारतीय रिटेल क्षेत्र में क्या बदलाव लाया?

वेस्टसाइड ने भारतीय महिलाओं के लिए खरीदारी को एक सम्मानजनक अनुभव बना दिया। उनकी दुकानें साफ, व्यवस्थित और शांत थीं — एक ऐसा वातावरण जो तब तक अज्ञात था। इसने मध्यम वर्ग की महिलाओं को खुद को अच्छा महसूस करने का अधिकार दिया, जिससे रिटेल उद्योग ने एक नई दिशा अपनाई।

सिमोन टाटा और रतन टाटा के बीच का संबंध कैसा था?

रतन टाटा ने सिमोन को अपनी माँ के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने उनकी विनम्रता, नियमितता और व्यावसायिक दृष्टि की सराहना की। रतन ने कभी नहीं कहा कि वे उनकी सौतेली माँ हैं — वे बस उनकी माँ थीं। उनकी सलाह ने टाटा समूह की सादगी और नैतिकता को आकार दिया।

सिमोन टाटा का जीवन किस तरह से भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है?

एक विदेशी महिला ने भारत के बाजार की जटिलताओं को समझा और उन्हें अपनी भाषा में बदल दिया। उन्होंने दिखाया कि सुंदरता और गरिमा अंतरराष्ट्रीय नहीं, बल्कि सांस्कृतिक होती है। उनका जीवन एक उदाहरण है कि आप जहां भी जाएं, अपनी विश्वास और दृढ़ता से नया रास्ता बना सकते हैं।

क्या सिमोन टाटा ने कोई व्यक्तिगत विरासत छोड़ी?

हाँ। उनके बेटे नोएल टाटा ने टाटा ट्रस्ट्स के नेतृत्व में उनकी दूरदर्शिता को आगे बढ़ाया। उनके नाम के साथ एक नींव बनी जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण के कार्य शामिल हैं। उनकी विरासत अब सिर्फ ब्रांड्स तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन तक फैली हुई है।

क्या उनके निधन के बाद लैक्मे और वेस्टसाइड बदल जाएंगे?

टाटा समूह ने घोषणा की है कि लैक्मे और वेस्टसाइड की विरासत को संरक्षित रखा जाएगा। नए लीडर्स उनके मूल्यों को आगे बढ़ाएंगे, लेकिन उनकी आत्मा को नहीं बदलेंगे। अगली पीढ़ी के लिए उनका नाम एक नियम बन जाएगा — सुंदरता के साथ गरिमा, और व्यापार के साथ जिम्मेदारी।