Regaal Resources IPO: ₹96-₹102 प्राइस बैंड, 25% GMP और 160x से ज्यादा बुकिंग—लिस्टिंग 20 अगस्त

Regaal Resources IPO: ₹96-₹102 प्राइस बैंड, 25% GMP और 160x से ज्यादा बुकिंग—लिस्टिंग 20 अगस्त अग॰, 21 2025

25% का ग्रे मार्केट प्रीमियम और लगभग 160 गुना सब्सक्रिप्शन—ये आंकड़े किसी छोटी खबर के नहीं, बल्कि Regaal Resources IPO की गर्मी दिखाते हैं। कोलकाता की यह maize-आधारित स्पेशलिटी प्रोडक्ट निर्माता कंपनी 20 अगस्त 2025 को मार्केट में डेब्यू करेगी, और संकेत साफ हैं—लिस्टिंग से पहले ही निवेशक धारणा बेहद बुलिश रही है।

इश्यू की मुख्य बातें और सब्सक्रिप्शन तस्वीर

कंपनी का ₹306 करोड़ का बुक-बिल्ड इश्यू 12 से 14 अगस्त के बीच खुला रहा। इश्यू का ढांचा क्लियर है—₹210 करोड़ का फ्रेश इश्यू (2.06 करोड़ शेयर) और ₹96 करोड़ का OFS (0.94 करोड़ शेयर), फेस वैल्यू ₹5। प्राइस बैंड ₹96-₹102 तय किया गया। रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए लॉट साइज 144 शेयर का रहा, यानी न्यूनतम निवेश ₹14,688 (कटऑफ प्राइस पर)।

  • इश्यू साइज: ₹306 करोड़
  • फ्रेश इश्यू: 2.06 करोड़ शेयर (₹210 करोड़)
  • OFS: 0.94 करोड़ शेयर (₹96 करोड़)
  • प्राइस बैंड: ₹96-₹102; फेस वैल्यू: ₹5
  • लॉट साइज (रिटेल): 144 शेयर; न्यूनतम निवेश: ₹14,688
  • एंकर बुक: ₹91.8 करोड़, इश्यू खुलने से पहले
  • अलॉटमेंट फाइनल: 18 अगस्त; शेयर क्रेडिट/रिफंड: 19 अगस्त; लिस्टिंग: 20 अगस्त 2025

सब्सक्रिप्शन डेटा बताता है कि मांग हर श्रेणी में जोरदार रही। कुल सब्सक्रिप्शन 159.87 गुना रहा। QIB हिस्से में 190.96 गुना, NII में 356.72 गुना और रिटेल में 57.75 गुना बुकिंग दिखी। एंकर निवेशकों से पहले ही ₹91.8 करोड़ मिलना और ग्रे मार्केट में 25% का प्रीमियम, दोनों संकेत देते हैं कि संस्थागत और हाई-नेटवर्थ निवेशकों का भरोसा ऊंचा है।

GMP क्या कहता है? 25% का अनौपचारिक प्रीमियम आम तौर पर लिस्टिंग डे पर पॉजिटिव ओपनिंग की उम्मीद जगाता है। लेकिन यह गैर-आधिकारिक और वोलैटाइल इंडिकेटर है—इसे वैल्यूएशन का एकमात्र पैमाना मानना ठीक नहीं।

अलॉटमेंट की संभावना पर रिटेल फ्रेमवर्क: 57.75x बुकिंग का मतलब है कि एक लॉट के लिए भी प्रतिस्पर्धा काफी टफ रही। ऐसे में कई वैध एप्लिकेशंस को भी अलॉटमेंट नहीं मिल सकता।

कंपनी का बिज़नेस, संभावनाएं और जोखिम

Regaal Resources 2012 में शुरू हुई और आज बिहार के किशनगंज में इसकी Zero Liquid Discharge (ZLD) सुविधा 750 टन प्रति दिन की मक्का क्रशिंग क्षमता के साथ चलती है। ZLD का मतलब है—प्लांट पानी का कोई लिक्विड वेस्ट बाहर नहीं निकालता, यानी पर्यावरण मानकों पर फोकस। लोकेशन भी स्ट्रैटेजिक है: पूर्वी भारत के एग्री हब्स के पास होने से कच्चे माल (मक्का) तक तेज और अपेक्षाकृत सस्ता पहुंच मिलती है।

प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में maize starch, modified starch, gluten, germ, enriched fiber और फूड-ग्रेड स्टार्च शामिल हैं। मांग किन सेक्टर्स से आती है? कागज और पैकेजिंग, टेक्सटाइल साइजिंग, फूड प्रोसेसिंग, एडहेसिव्स और कुछ फार्मा एप्लिकेशंस—यही वो उद्योग हैं जहां स्टार्च और इसके वैल्यू-ऐडेड वेरिएंट सबसे ज्यादा खपत पाते हैं। कस्टमर लिस्ट में Emami Paper Mills, Century Pulp & Paper और Genus Paper Board जैसे नाम हैं। एक्सपोर्ट फ्रंट पर कंपनी नेपाल और बांग्लादेश को सप्लाई करती है—यह क्रॉस-बॉर्डर डिमांड कुशन की तरह काम कर सकती है, खासकर जब घरेलू मांग साइक्लिकल हो।

वित्तीय मोर्चे पर FY25 में कंपनी की रेवेन्यू ग्रोथ 53% साल-दर-साल बताई गई है। यह तेजी दो संकेत देती है—या तो वॉल्यूम बढ़े हैं, या रियलाइजेशन में सुधार हुआ है, या दोनों। निवेशकों को आगे जाते हुए तीन चीजों पर नजर रखनी चाहिए: (1) EBITDA मार्जिन की टिकाऊ बढ़त—क्योंकि कमोडिटी इनपुट (मक्का) की कीमतें वोलैटाइल होती हैं; (2) वर्किंग कैपिटल साइकल—स्टार्च उद्योग में इन्वेंटरी और रीसिवेबल्स की जरूरत आमतौर पर ऊंची रहती है; (3) कैपेसिटी यूटिलाइजेशन—750 TPD के मुकाबले वास्तविक उपयोग कितना है और आगे का ब्राउनफील्ड/ग्रीनफील्ड प्लान क्या है।

इंडस्ट्री सेटअप भी फेवर में दिखता है। ई-कॉमर्स और पैकेजिंग की बढ़ती खपत, फूड-ग्रेड एप्लिकेशंस में शिफ्ट, और पेपर उद्योग में फाइबर-लाइट सॉल्यूशंस की खोज, स्टार्च-आधारित इनपुट्स को सपोर्ट करती है। इस स्पेस में लिस्टेड/स्थापित प्लेयर्स—जैसे Sukhjit Starch, Gujarat Ambuja Exports (कॉर्न-आधारित बिजनेस के साथ)—पहले से मौजूद हैं; ऐसे में नया इश्यू वेल्युएशन, स्केल और प्रोडक्ट मिक्स के दम पर अपनी जगह बनाता है।

जोखिम क्या हैं? सबसे पहले, कच्चे माल का जोखिम—मक्का की कीमतें मानसून, सरकारी एमएसपी/निर्यात-आयात नीतियों और वैश्विक सप्लाई से प्रभावित होती हैं। दूसरा, क्लाइंट कंसंट्रेशन—पेपर और पैकेजिंग जैसे सेक्टर्स में मंदी आई तो रियलाइजेशन और वॉल्यूम दब सकते हैं। तीसरा, प्रतिस्पर्धा—स्थापित प्लेयर्स के साथ प्राइसिंग डिसिप्लिन टिकाना चुनौती है। चौथा, रेगुलेटरी—पर्यावरण और फूड-ग्रेड कम्प्लायंस कड़े हैं; ZLD प्लांट का मेंटेनेंस कैपेक्स-इंटेंसिव हो सकता है।

  • इनपुट वोलैटिलिटी: मक्का के दाम और लॉजिस्टिक्स लागत
  • डिमांड साइक्लिसिटी: पेपर/टेक्सटाइल/पैकेजिंग की मंदी का असर
  • कार्यशील पूंजी: उच्च इन्वेंटरी और रीसिवेबल्स की जरूरत
  • एक्सपोर्ट रिस्क: क्रॉस-बॉर्डर नीतियां और मुद्रा उतार-चढ़ाव

कंपनी ने एंकर राउंड में अच्छी भागीदारी दिखाई—यह आम तौर पर लिस्टिंग से पहले स्थिरता देता है, क्योंकि एंकर निवेशकों की लॉक-इन अवधि के कारण तात्कालिक सप्लाई दबाव सीमित रहता है। फिर भी, लिस्टिंग डे पर वोलैटिलिटी को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता—प्री-ओपन ऑक्शन में कीमत तय होगी और ऑर्डर बुक की गहराई अहम रहेगी।

रिटेल निवेशकों के लिए प्रक्रिया भी साफ रखें। UPI के जरिए एप्लाई किया है तो मैंडेट समय पर स्वीकार करें—क्लोजिंग डे पर आमतौर पर शाम 5 बजे तक। कई बार मैंडेट लेट-एक्सेप्ट होने से एप्लिकेशन रिजेक्ट भी हो जाते हैं।

अलॉटमेंट स्टेटस कैसे चेक करें? दो आसान तरीके:

  1. BSE के IPO ट्रैकिंग पोर्टल पर जाएं, इश्यू का नाम चुनें, अपना एप्लिकेशन नंबर या PAN डालें और सर्च करें।
  2. अपने ब्रोकरेज/डिमैट ऐप में IPO सेक्शन खोलें और PAN/एप्लिकेशन आईडी से स्टेटस देखें।

यदि अलॉटमेंट मिला है तो 19 अगस्त तक शेयर डिमैट में क्रेडिट दिखेंगे, नहीं तो उसी दिन रिफंड (UPI ब्लॉक रिलीज) हो जाएगा। 20 अगस्त को लिस्टिंग है—ट्रेडिंग शुरू होते ही डिमांड-सप्लाई के हिसाब से प्राइस मूव करेगा।

वैल्यूएशन की बात? आधिकारिक P/E या EV/EBITDA मल्टीपल्स की तुलना के लिए पोस्ट-इश्यू शेयर कैपिटल और ताजा वित्तीय संख्याएं देखना जरूरी है। निवेशक DRHP/प्राइसिंग नोट में—मार्जिन प्रोफाइल, कैश फ्लो, डेट लेवल और कैपेक्स प्लान—जैसी डिटेल्स पर ध्यान दें। अक्सर फ्रेश इश्यू की रकम का इस्तेमाल क्षमता बढ़ाने, कार्यशील पूंजी और सामान्य कॉर्पोरेट जरूरतों के लिए होता है; असली तस्वीर उपयोग के सटीक ब्रेक-अप से ही साफ होती है।

आखिरी और जरूरी बात—GMP ट्रेंड अच्छा है, लेकिन यह बदल भी सकता है। हाई सब्सक्रिप्शन का मतलब क्वालिटी डिमांड जरूर है, पर लिस्टिंग के बाद टिकाव बिज़नेस की एग्जिक्यूशन, रॉ-मैटेरियल मैनेजमेंट और कैश फ्लो पर निर्भर करेगा। लॉन्ग-टर्म निवेश निर्णय से पहले ऑफिशियल डॉक्यूमेंट्स और जोखिम खुलासे जरूर पढ़ें।

10 टिप्पणि

  • Image placeholder

    dinesh singare

    अगस्त 21, 2025 AT 20:21

    25% GMP? ये तो बस ग्रे मार्केट का भूत है भाई। असली टेस्ट तो लिस्टिंग के बाद होगा। इसका EBITDA मार्जिन देखो-मक्का की कीमतें उछाल पर जाएंगी तो ये कंपनी बिल्कुल बेकार हो जाएगी। और फिर वर्किंग कैपिटल? ये लोग इन्वेंटरी में पैसा फंसा रखते हैं जैसे जमीन पर दाना बिखेर दे।

  • Image placeholder

    Priyanjit Ghosh

    अगस्त 23, 2025 AT 18:32

    अरे भाई ये IPO तो बिल्कुल गोल्डन टाइम है 😎💸 लिस्टिंग पर 50% गेन तो बनेगा ही... अगर नहीं बना तो मैं अपना डिमैट अकाउंट बंद कर दूंगा! बस एक लॉट ले लो, फिर देखना जादू कैसे होता है 🤞✨

  • Image placeholder

    Anuj Tripathi

    अगस्त 24, 2025 AT 19:00

    देखो यार इतनी बुकिंग हो रही है तो अलॉटमेंट मिलेगा ही ना? 😅 मैंने तो सिर्फ एक लॉट एप्लाई किया था और अब डर लग रहा है कि मेरा एप्लिकेशन गायब हो गया... किसी को पता है BSE पोर्टल पर कैसे चेक करते हैं? मैं तो अभी तक UPI मैंडेट स्वीकार नहीं कर पाया 😅

  • Image placeholder

    Hiru Samanto

    अगस्त 25, 2025 AT 17:00

    जी हां भाई ये बिज़नेस तो बहुत अच्छा है लेकिन एक बात बताओ ना... ये ZLD प्लांट का ऑपरेशन कितना महंगा होता है? हमारे गांव में एक दोस्त का एग्री प्रोसेसिंग यूनिट था जो पानी का डिस्चार्ज नहीं कर पाया और उसका बिज़नेस बंद हो गया... ये लोग तो बहुत अच्छा कर रहे हैं पर रेगुलेशन भी बहुत कड़ी है

  • Image placeholder

    Divya Anish

    अगस्त 27, 2025 AT 04:10

    मैंने इस IPO को विस्तार से एनालाइज किया है, और यहां के वित्तीय डेटा को देखकर मैं आश्चर्यचकित हूं। वास्तविक रूप से, यह कंपनी एक अत्यंत विशिष्ट उत्पाद बाजार में काम कर रही है, जहां वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ अंतर्निहित अवसर हैं। यह निवेश केवल लाभ के लिए नहीं, बल्कि टिकाऊ विकास के लिए भी एक बहुत बड़ा अवसर है।

  • Image placeholder

    md najmuddin

    अगस्त 29, 2025 AT 01:06

    लिस्टिंग तो बस शुरुआत है भाई... अगर ये कंपनी 6 महीने में भी अच्छा कैश फ्लो दिखाती है तो तभी तो असली गेम शुरू होता है 😌 अभी तो बस GMP के आगे भाग रहे हो 😅

  • Image placeholder

    Ravi Gurung

    अगस्त 29, 2025 AT 17:37

    क्या कोई बता सकता है कि ये modified starch और food-grade starch में क्या फर्क है? मैंने तो सिर्फ बाजार में देखा है पर असली फर्क नहीं पता... कोई समझा सकता है?

  • Image placeholder

    SANJAY SARKAR

    अगस्त 31, 2025 AT 15:32

    मैंने अलॉटमेंट नहीं पाया... पर मैं अगली IPO में फिर ट्राई करूंगा। बस एक बात-UPI मैंडेट तुरंत स्वीकार कर लो नहीं तो रिजेक्ट हो जाता है। मैंने 5 घंटे बाद किया था... और फिर बाद में पता चला कि मैं बाहर हो चुका था 😅

  • Image placeholder

    Ankit gurawaria

    अगस्त 31, 2025 AT 18:58

    सुनो भाई ये बात बहुत गहरी है... ये कंपनी जो ZLD प्लांट चला रही है वो बिहार के किशनगंज में है जो एग्री हब के पास है और ये तो बहुत स्मार्ट है क्योंकि मक्का का ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट घट जाता है और इसका मतलब है कि उनकी मार्जिन बढ़ती है और ये जो एंकर इन्वेस्टर्स हैं वो अपने पैसे लगा रहे हैं जिसका मतलब है कि वो लंबे समय तक ये कंपनी चलेगी और अगर वो अपनी कैपेसिटी बढ़ाएंगे तो ये एक नए लेवल पर जा सकती है और ये जो एक्सपोर्ट नेपाल और बांग्लादेश को कर रही है वो बहुत अच्छा है क्योंकि ये घरेलू मांग के चक्र से बाहर निकल जाता है और ये बहुत स्ट्रैटेजिक है अगर वो इस बिज़नेस को सही तरीके से मैनेज करते हैं तो ये एक बड़ा प्लेयर बन सकती है

  • Image placeholder

    AnKur SinGh

    सितंबर 1, 2025 AT 06:18

    मैं इस IPO के बारे में एक व्यापक विश्लेषण कर चुका हूं। इस कंपनी की वित्तीय गतिविधियाँ अत्यंत प्रेरणादायक हैं, विशेषकर FY25 में 53% रेवेन्यू ग्रोथ के साथ। इसकी स्थिति इस बात की ओर इशारा करती है कि वह न केवल बाजार की मांग को पूरा कर रही है, बल्कि उसकी उत्पादन क्षमता और ऑपरेशनल दक्षता में भी सुधार हुआ है। लेकिन एक महत्वपूर्ण बिंदु है-इसकी रॉ मटेरियल वोलैटिलिटी का जोखिम अत्यधिक है। यदि मक्का की कीमतें बढ़ती हैं, तो इसका प्रतिकूल प्रभाव तुरंत निकासी मार्जिन पर पड़ेगा। इसलिए, निवेशकों को इसके कैश फ्लो स्टेटमेंट और डेट लेवल का गहन अध्ययन करना चाहिए। यह एक अच्छा निवेश हो सकता है, लेकिन यह एक लंबे समय का बिज़नेस मॉडल है, जिसमें धैर्य और विश्लेषण दोनों की आवश्यकता है।

एक टिप्पणी लिखें