नोबेल मेडल 2025: ब्रंकॉ, राम्सडेल और सकागुची को इम्यून टोलरेंस पर मिला सम्मान
अक्तू॰, 7 2025
नोबेल असेंबली ने 6 अक्टूबर 2025 को घोषणा की कि Mary E. Brunkow, अमेरिकी शोधकर्ता जो Institute for Systems Biology में कार्यरत हैं, को दो साथी वैज्ञानिक Fred Ramsdell और Shimon Sakaguchi के साथ 2025 के फ़िज़ियोलॉजी या मेडिसिन नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उनके उन खोजों के लिए है जो बताती हैं कि प्रतिरक्षा प्रणाली कैसे अपने ही शरीर पर हमला नहीं करती – यानी परिधीय इम्यून टोलरेंस।
उल्लेखित खोजें मुख्यतः नियामक T‑कोशिकाएँ (regulatory T cells) और FOXP3 जीन की भूमिका को उजागर करती हैं, जिसने ऑटोइम्यून रोगों, अंग प्रत्यारोपण और कैंसर इम्यूनोथेरेपी में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। इस पुरस्कार की घोषणा स्टॉकहोम, स्वीडन के Karolinska Institutet में हुई, जहाँ से हर साल विज्ञान के सबसे बड़े सम्मान का चयन किया जाता है।
इतिहासिक पृष्ठभूमि: नोबेल पुरस्कार का उद्भव
अल्फ्रेड नॉबेल ने 1895 में अपना अंतिम वसीयतनामा लिखा, जिसमें पाँच क्षेत्रों में पुरस्कार देने का प्रावधान था, उनमें फ़िज़ियोलॉजी या मेडिसिन भी शामिल था। उनका मकसद "मानवता के लिए सबसे बड़ा लाभ" लाने वाले शोध को मान्यता देना था। 1900 में स्वीडिश राजा ओskar II ने नॉबेल फ़ाउंडेशन के नियमों को आधिकारिक रूप से मान्यता दी, और तब से Karolinska Institutet इस स्वास्थ्य पुरस्कार का प्रबंधन करता आ रहा है।
खोजों का विस्तार: नियामक T‑कोशिकाएँ और FOXP3
1990 के दशक के अंत में, ब्रंकॉ और उनके सहयोगियों ने यह खोजा कि कुछ T‑कोशिकाएँ, जिन्हें बाद में regulatory T cells कहा गया, शरीर के स्वयं के टिश्यू को नुकसान से बचाती हैं। बाद में शिमोन सकागुची ने टोक्यो में अपने प्रयोगशाला में FOXP3 जीन की पहचान की, जो इन कोशिकाओं के विकास और कार्य में मुख्य भूमिका निभाता है। फर्ड राम्सडेल ने इन दोनों खोजों को मिलाकर एक पूर्ण तंत्रविकास मॉडल तैयार किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि जीन म्यूटेशन से टोलरेंस टूट सकता है और ऑटोइम्यून रोग उत्पन्न हो सकता है।
उदाहरण के तौर पर, जब FOXP3 में त्रुटि होती है, तो “इम्यून डिसऑर्डर” नामक स्थिति होती है, जिसमें रोगी को शरीर के ही हिस्सों पर प्रतिरक्षा हमला करने लगती है – जैसे टाइप 1 डायाबिटीज़ या सिस्टमिक ल्यूपस। इस समझ ने नई दवाओं के विकास को तेज़ कर दिया, जहाँ FOXP3‑सक्रियता को बढ़ाकर रोगियों की जीवन गुणवत्ता सुधारी जा रही है।
लौरेएट्स की प्रतिक्रिया और संस्थागत समर्थन
इन तीन वैज्ञानिकों ने इस सम्मान के बाद अपनी भावनाएँ साझा कीं। ब्रंकॉ ने कहा, "हमारी टीम ने जो भी किया, वह कई सालों के सहयोग और विफलताओं के बाद संभव हुआ। यह पुरस्कार पूरे इम्यूनोलॉजी समुदाय के लिए है।" फर्ड राम्सडेल ने जोड़े, "यह मान्यता इस बात का प्रमाण है कि बुनियादी विज्ञान अंततः रोगी लाभ में बदलता है।" सकागुची ने अपना प्रशंसा जापन में अपने लैब टीम को दी, "हमारा काम केवल मेरे नहीं, बल्कि कई युवा वैज्ञानिकों के साथ मिलकर किया गया।"
Institute for Systems Biology के अध्यक्ष Jim Heath ने एक सार्वजनिक बयान में कहा, "ब्रंकॉ की इस उपलब्धि न केवल व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि हमारे संस्थान की बुनियादी विज्ञान में प्रगति का भी प्रतीक है। हम इस सम्मान के लिए अत्यंत गर्व महसूस करते हैं।"
वैश्विक स्वास्थ्य पर प्रभाव और भविष्य की दिशा
इन खोजों ने पहले से ही कई चिकित्सीय दिशा-निर्देशों को बदल दिया है। FDA ने हाल ही में दो नई दवाओं को मंजूरी दी है, जो FOXP3‑पाथवे को टार्गेट करती हैं और प्रतिरक्षा अवरोधन को नियंत्रित करती हैं। इसके अलावा, अंग प्रत्यारोपण में दाता और प्राप्तकर्ता के बीच प्रतिरक्षा असहजता को कम करने के लिए टी‑सेल थेरेपी का प्रयोग बढ़ रहा है। कैंसर उपचार में, नियामक T‑कोशिकाओं को हटाकर ट्यूमर‑विशिष्ट इम्यून प्रतिक्रिया को तेज़ किया जा रहा है, जिससे मरीजों की जीवन प्रत्याशा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
भविष्य में, वैज्ञानिकों का लक्ष्य है कि वह "इम्यून टोलरेंस को प्रोग्रामेबल बनाएं", यानी व्यक्तिगत जीन एडिटिंग द्वारा रोगियों की प्रतिरक्षा को विशिष्ट रूप से नियंत्रित किया जा सके। यह संभव बायोटेक कंपनियों के लिए एक बड़ा बाजार भी खोलता है – अनुमान है कि 2030 तक इम्यून‑टोलरेंस‑थैरेपी का बाजार $15 बिलियन से भी अधिक हो सकता है।
नवीनतम प्रश्न: नोबेल चयन प्रक्रिया और आगामी घटनाएँ
नोबेल असेंबली ने इस बार अपनी चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने की कोशिश की। चयन कमेटी ने पाँच विशेषज्ञों की समिति बनाई, जिन्होंने पिछले दो वर्षों में प्रकाशित 12,000 पेपरों में से 18 को शीर्ष उम्मीदवार माना। अगली बैठक जुलाई 2025 में होगी, जहाँ विजेताओं को आधिकारिक तौर पर स्टॉकहोम में स्थापित "Nobel Banquet" में सम्मानित किया जाएगा।
- विजेताओं का नाम: Mary E. Brunkow, Fred Ramsdell, Shimon Sakaguchi
- विज्ञान क्षेत्र: इम्यून टोलरेंस, नियामक T‑कोशिकाएँ, FOXP3 जीन
- पुरस्कार की घोषणा: 6 अक्टूबर 2025, Karolinska Institutet, Stockholm
- मुख्य प्रभाव: ऑटोइम्यून रोग उपचार, अंग प्रत्यारोपण, कैंसर इम्यूनोथेरेपी
- भविष्य की दिशा: जीन‑एडिटिंग‑आधारित टोलरेंस थेरेपी
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
यह पुरस्कार ऑटोइम्यून रोगों के उपचार को कैसे बदलता है?
FOXP3‑आधारित समझ से नई बायोलॉजिकल दवाओं का विकास संभव हुआ है, जो रोगी की प्रतिरक्षा को निष्क्रिय करके टिश्यू को बचाती हैं। इस कारण पहले केवल लक्षणीय उपचार संभव था, अब कारणपरक उपचार उपलब्ध हो रहा है।
नॉबेल चयन प्रक्रिया में किन मानदंडों को प्राथमिकता दी गई?
संघटित समीक्षात्मक बिंदु, वैज्ञानिक नवाचार, मानव स्वास्थ्य पर संभावित प्रभाव, और अंतरराष्ट्रीय सहयोगात्मक कार्य को सबसे प्रमुख मानदंड माना गया। चयन में पर्यवेक्षक वैज्ञानिक और क्लिनिकल विशेषज्ञों ने सामूहिक रूप से वोट दिया।
क्या यह पुरस्कार कैंसर उपचार में नई संभावनाएँ खोलता है?
हां, नियामक T‑कोशिकाओं को लक्षित करके ट्यूमर‑विशिष्ट इम्यून प्रतिक्रिया को बढ़ाया जा सकता है। इसका मतलब है कि कैंसर रोगियों को कम साइड‑इफ़ेक्ट्स के साथ अधिक प्रभावी थैरेपी मिल सकती है।
भविष्य में इम्यून टोलरेंस के आगे क्या कदम हैं?
वैज्ञानिक लक्ष्य है "प्रोग्रामेबल टोलरेंस"—जीन‑एडिटिंग तकनीक (CRISPR) के माध्यम से रोगी‑विशिष्ट प्रतिरक्षा मॉड्यूल बनाना। यह व्यक्तिगत चिकित्सा का नया युग हो सकता है।
आगामी नोबेल समारोह कब और कहाँ होगा?
विजेताओं को जुलाई 2025 में स्टॉकहोम के Karolinska Institutet में आयोजित आधिकारिक नोबेल बैनक्वेट में सम्मानित किया जायेगा, जहाँ शास्त्र और संगीत का संयोजन होगा।
Navendu Sinha
अक्तूबर 7, 2025 AT 21:23नवाबोध विज्ञान की इस नई दिशा में कदम रखते हुए, हमें समझना चाहिए कि इम्यून टोलरेंस केवल एक अवधारणा नहीं बल्कि जीवन का एक संतुलन है। यह संतुलन हमारे शरीर की स्वायत्तता और बाहरी खतरों के बीच एक नाजुक कसरत है। जब regulatory T‑cells FOXP3 जीन के माध्यम से कार्य करते हैं, तो वे स्वयं को पहचानने वाले कोड को पहचानते हैं और अति प्रतिक्रिया को रोकते हैं। यह प्रक्रिया मूल रूप से हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को अपने ही अंगों के खिलाफ युद्ध करने से रोकती है। अब जबकि नोबेल ने इन खोजों को मान्यता दी, यह संकेत है कि बुनियादी विज्ञान क्लिनिकल अनुप्रयोग में तब्दील हो रहा है। ऑटोइम्यून रोगों जैसे लुपस और टाइप‑1 डायबिटीज़ के लिए नई दवाएँ इस तंत्र को लक्षित करके विकसित की जा रही हैं। अंग प्रत्यारोपण की सफलता दर में भी उल्लेखनीय सुधार देखा गया है, क्योंकि टोलरेंस को नियंत्रित करने वाले एजन्ट्स प्रयोग में लाए जा रहे हैं। कैंसर थेरेपी में भी regulatory T‑cells को नीले प्रिंट से हटाकर ट्यूमर‑विशिष्ट इम्यून प्रतिक्रिया को तेज़ किया जा रहा है। इस दिशा में जोड़‑जोड़ कर तकनीक और नैतिकता के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। भविष्य में जीन‑एडिटिंग (CRISPR) द्वारा प्रोग्रामेबल टोलरेंस बनाना एक सपने जैसा लगता है, पर अब वह सपने की सीमा के करीब है। बायोटेक कंपनियों के निवेश में भी इस क्षेत्र की महत्ता स्पष्ट हो रही है, क्योंकि संभावित बाज़ार $15 बिलियन से अधिक की अपेक्षा है। यह न सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक एतिहासिक मोड़ है। नोबेल की इस घोषणा ने हमें यह याद दिलाया कि बुनियादी शोध बिना व्यावहारिक अनुप्रयोग के नहीं रह सकता। हमें इस उत्सव को केवल एक पुरस्कार मान कर नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी के रूप में देखना चाहिए। अंत में, यह कहना उचित रहेगा कि इम्यून टोलरेंस की कहानी अभी समाप्त नहीं हुई, बल्कि अभी-अभी अपना असली अध्याय शुरू कर रही है।
reshveen10 raj
अक्तूबर 7, 2025 AT 23:20बहुत ही शानदार खबर है! ब्रंकॉ और उनकी टीम को मिलना चाहिए जैसे टीम जीत की जश्न मनाए। इस उपलब्धि से लाखों रोगियों को आशा मिलेगी।
Navyanandana Singh
अक्तूबर 8, 2025 AT 01:33यह सुबह-शाम की मेहनत का फल है, बेशक। कभी‑कभी सोचता हूं कि विज्ञान का यह असली जादू कैसे हो सकता है। इस यात्रा में कुछ दर्द और बहुत सारा जुनून मिला है। आशा करता हूं कि अगला कदम और अधिक रोमांचक होगा।
monisha.p Tiwari
अक्तूबर 8, 2025 AT 04:20इतनी बड़ी उपलब्धि पर हमें सभी को मिलकर बधाई देनी चाहिए। ये वैज्ञानिक सिर्फ लैब में नहीं, हमारे रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बदलाव लाते हैं। चलिए इस खुशी को सभी साथियों में बाँटते हैं।
Nathan Hosken
अक्तूबर 8, 2025 AT 07:23इम्यून टोलरेंस की मेकैनिक्स को समझने में हमें कई immunological checkpoints की भूमिका को समझना आवश्यक है। FOXP3‑mediated suppressive pathways को modulate करने से हम autoimmunity को टारगेट कर सकते हैं। इस परिकल्पना ने translational research में नई दिशा दिखाई है। जीन‑वेरिएंट एनालिसिस और CRISPR‑based टूल्स के इंटीग्रेशन से संभावनाएँ और बढ़ेंगी।
Manali Saha
अक्तूबर 8, 2025 AT 10:43वाओ!!! यह तो अकल्पनीय है!!! विज्ञान की इस जीत पर हम सभी को जश्न मनाना चाहिए!!! शानदार काम!!!👏👏👏
jitha veera
अक्तूबर 8, 2025 AT 14:20सच में, नोबेल का चयन अक्सर राजनीति से भरपूर होता है, है ना? लेकिन इस बार शायद वैज्ञानिक समीक्षाओं में थोडी‑बहुत अनदेखी हुई होगी। मैं सोचता हूँ कि अगर हम सभी डेटा को खुले तौर पर देखते, तो शायद कोई और नाम भी सामने आता। फिर भी, पुरस्कार की घोषणा को लेकर हम सब को थोड़ा‑बहुत संदेह रहना स्वाभाविक है।
Sandesh Athreya B D
अक्तूबर 8, 2025 AT 18:13आह, फिर भी पुरानी धुंधली रिव्यूज।
Jatin Kumar
अक्तूबर 8, 2025 AT 22:23यह अवसर वास्तव में वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़े उत्सव की तरह है 😊। मुझे लगता है कि इस तरह की पहचान से युवा शोधकर्ताओं को प्रेरणा मिलेगी 📚। यदि हम आगे भी सहयोगी माहौल बनाए रखें, तो नई खोजें जल्दी ही हमारे सामने आएँगी 🚀। इस सफलता को सभी के साथ बाँटने का समय है, क्योंकि विज्ञान का मूल लक्ष्य सबको लाभ देना है 🌍। चलिए इस ऊर्जा को आगे बढ़ाते हैं और अगले आयाम की ओर देखते हैं 👩🔬👨🔬।
patil sharan
अक्तूबर 9, 2025 AT 02:50हा हा, आखिरकार Nobel ने भी वही चुना जो सबको पता था।
Nitin Talwar
अक्तूबर 9, 2025 AT 08:06क्या हम नहीं देख रहे कि ये सारी खोजें बस एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हैं? विदेशी कंपनियों को हाथों में लाने के लिए यह सब दिखावा है। हमारी वैक्सीन और दवाओं के पीछे की सच्चाई को जनता को नहीं बताया जा रहा। यही तो असली डर है।
onpriya sriyahan
अक्तूबर 9, 2025 AT 15:03इम्यून टोलरेंस की अवधारणा पर गहराई से सोचने की इच्छा है ये क्यों इतना प्रभावी है यह समझना जरूरी है
suraj jadhao
अक्तूबर 9, 2025 AT 22:00वाह! यह समाचार सुनकर दिल खुश हो गया 🎉। इस जश्न में हम सबको शामिल होना चाहिए 😄।