जिनेवा ओपन के फाइनल में जोकोविच ने रचा इतिहास, 100वां एटीपी टूर टाइटल जीतकर नया कीर्तिमान

जिनेवा ओपन के फाइनल में जोकोविच ने रचा इतिहास, 100वां एटीपी टूर टाइटल जीतकर नया कीर्तिमान जून, 5 2025

जोकोविच का एतिहासिक 100वां टाइटल: जिनेवा ओपन में रोमांचक जीत

नोवाक जोकोविच ने जिनेवा ओपन के फाइनल में ह्यूबर्ट हर्काज को मात देकर इतिहास रच दिया। यह कोई मामूली जीत नहीं थी, बल्कि इससे उन्होंने अपना जोकोविच का 100वां एटीपी टूर टाइटल अपने नाम किया। ओपन एरा में सिर्फ दो खिलाड़ी—जिमी कॉनर्स (109) और रोजर फेडरर (103) ही, उनके साथ अब इस क्लब का हिस्सा हैं। खास बात यह रही कि 38 साल और दो दिन की उम्र के जोकोविच इस टूर्नामेंट के सबसे उम्रदराज विजेता भी बन गए।

मैच की बात करें तो फाइनल में शुरुआत ह्यूबर्ट हर्काज के पक्ष में रही। हर्काज ने पहला सेट 5-7 से जीत लिया था। दूसरा सेट कांटे का रहा और दोनों के बीच जोरदार टक्कर देखने को मिली। लेकिन जोकोविच ने टाईब्रेक में 7-6(7-2) से वापसी की। तीसरे सेट की कहानी और भी दिलचस्प रही, जिसमें हर्काज 4-3 से आगे चल रहे थे। यहीं पर नर्वसनेस दिखी—हर्काज ने एक आसान फोरहैंड नेट में मार दी और फिर डबल फॉल्ट कर बैठे। यही वह पल था जिसने मैच का रुख बदल दिया। जोकोविच ने मौके का फायदा उठाया, सर्विस ब्रेक के बाद टाईब्रेक भी कब्जा लिया।

मिल का पत्थर और संघर्ष की राह

जोकोविच के लिए यह खिताब सिर्फ आंकड़े नहीं हैं। यह उनके करियर में एक बड़ा टर्निंग पॉइंट भी है। उन्होंने जिनेवा ओपन में फाइनल से पहले मार्टन फुचोविच्स, माटेओ अर्नाल्डी और कैम नॉरी जैसे मजबूत खिलाड़ियों को हराया। खास बात यह है कि उनके कोच एंडी मरे के साथ प्रोफेशनल पार्टनरशिप खत्म होने के बाद यह पहला बड़ा टाइटल है। इस खिताब से ये भी साफ हो गया कि जोकोविच की जीत का सिलसिला कोचिंग परिवर्तन के बावजूद थमा नहीं है।

यह टाइटल पेरिस 2024 ओलंपिक के बाद उनका पहला है। पेरिस में उन्होंने गोल्ड मेडल जीतकर सर्बिया को गर्व महसूस कराया था और अब व्यक्तिगत स्तर पर भी खुद को साबित किया। उम्र के इस पड़ाव में भी वो अपनी फिटनेस और तेंदेम से युवाओं की फेहरिस्त में नए नाम जोड़ रहे हैं।

जिनेवा ओपन के इस फाइनल ने टेनिस फैंस को सांसें रोक देने वाला मैच भी दिया और जोकोविच को उस उपलब्धि तक पहुंचा दिया, जिसके लिए सालों से टेनिस वर्ल्ड इंतजार कर रहा था। अब टेनिस के रिकॉर्ड बुक में उनका नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज है।

10 टिप्पणि

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    Priyanjit Ghosh

    जून 6, 2025 AT 16:50
    100 टाइटल?! भाई ये तो इंसान नहीं, एक AI रोबोट है जिसने टेनिस को ही रीडिफाइन कर दिया 😅
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    Anuj Tripathi

    जून 8, 2025 AT 09:30
    हर्काज ने पहला सेट जीता था ना और फिर जोकोविच ने उसकी नर्वसनेस का फायदा उठाया... ये वाला गेम जिंदगी भर याद रखने लायक है
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    Hiru Samanto

    जून 9, 2025 AT 11:51
    मैने देखा था ये मैच... जोकोविच की आंखों में वो चमक थी जो बचपन से देखी है... उम्र बस एक नंबर है दोस्तों
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    Divya Anish

    जून 9, 2025 AT 19:41
    इस उपलब्धि का महत्व केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है; यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जो व्यक्तिगत सीमाओं के बाहर जाने की प्रेरणा देता है। जोकोविच ने अपने शरीर, मन और आत्मा को एक अद्वितीय तरीके से समन्वित किया है।
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    md najmuddin

    जून 10, 2025 AT 23:01
    ये आदमी अभी भी रात को 11 बजे भी गेंद उछाल रहा है... और हम लोग ऑफिस से थककर बैठे हैं 😅🔥
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    Ravi Gurung

    जून 12, 2025 AT 18:07
    कोच बदल गया और फिर भी जीत... ये तो असली लीजेंड है
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    SANJAY SARKAR

    जून 13, 2025 AT 20:49
    क्या ये सब उसकी फिटनेस की वजह से है या फिर उसके दिमाग की?
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    Ankit gurawaria

    जून 14, 2025 AT 12:28
    देखो ये आदमी जब भी बड़े मैच में आता है तो अपने अंदर के डर को निगल जाता है, अपने दिमाग को एक ऐसा टूल बना लेता है जो किसी भी दबाव को बर्बाद कर देता है, और फिर वो वो फोरहैंड जो लगता है जैसे बारिश की बूंदें नहीं, बल्कि बंदूक की गोलियां निकल रही हों, और फिर वो टाईब्रेक जिसमें हर्काज का डबल फॉल्ट उसकी आत्मा का टूटना लगा, और फिर जोकोविच का वो आंखों में चमक जो बचपन से देखा है लेकिन आज दोबारा देखा, जो बताता है कि ये आदमी कभी रुकने वाला नहीं, ये तो एक अंतहीन यात्रा है जिसका कोई अंत नहीं, और ये 100वां टाइटल सिर्फ एक नंबर नहीं, ये तो एक विश्वास है कि इंसान कितना आगे जा सकता है अगर वो अपने लक्ष्य को अपने दिल में बसा ले
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    Sanjay Gupta

    जून 16, 2025 AT 09:47
    क्या ये टेनिस है या फिर राष्ट्रीय गर्व का अभिनय? भारत के खिलाड़ी तो टूर्नामेंट के फर्स्ट राउंड में ही बाहर हो जाते हैं और यहां एक सर्बियाई इतिहास रच रहा है।
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    Kunal Mishra

    जून 17, 2025 AT 07:30
    100 टाइटल? यह एक निरंतर अतिरिक्त विजय का नाटक है, जो उसके विरोधियों की आत्मा को धीरे-धीरे निगल रहा है। यह कोई खेल नहीं, यह एक भौतिक विजय का अभिनय है।

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