दिल्ली-NCR मौसम: जोरदार बारिश से राहत के साथ बाढ़ का कहर, तापमान गिरा, रास्ते जलमग्न

दिल्ली-NCR मौसम: जोरदार बारिश से राहत के साथ बाढ़ का कहर, तापमान गिरा, रास्ते जलमग्न जुल॰, 31 2025

बारिश की बौछार से राहत, लेकिन जलभराव बना सिरदर्द

जुलाई के आखिरी हफ्ते में दिल्ली-NCR ने असली मानसून की तस्वीर देखी। 30 जुलाई 2025 को अचानक से तेज बारिश ने पूरे शहर का माहौल पूरी तरह बदल दिया। जहां एक तरफ तापमान दिल्ली मौसम के हिसाब से गिरकर 26.9°C से 31.1°C के बीच आ गया, वहीं दूसरी ओर 20.03mm बारिश ने कमरतोड़ राहत के साथ मुसीबतें भी लेकर आ गईं। मौसम का मिजाज ऐसा रहा कि हवा की रफ्तार 23.4 किमी/घंटा तक पहुंच गई और आद्रता 81% के पार रही।

शहर का नजारा देखिए—जहां एक तरफ हरियाली खिल उठी, वहीं दूसरी तरफ कम ऊंचाई वाले इलाकों में पानी भर गया। कई कॉलोनियों में घर से निकलकर सड़क तक पहुंचना किसी जंग से कम नहीं रहा। ऑफिस जाने वालों को घंटों ट्रैफिक जाम में फंसना पड़ा। फिसलन भरी सड़कों पर गाड़ियों की रफ्तार थम गई, तो स्कूली बच्चों और बुजुर्गों के लिए बाहर निकलना खासी चुनौती भरा रहा।

आने वाले दिनों का हाल – और जोरदार होगी बारिश

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पहले ही चेतावनी दे दी थी कि अगले पांच दिनों तक राजधानी के आसमान में बदली छाई रहेगी। 31 जुलाई की बात करें तो 69.52mm तक भारी बारिश हो सकती है और पारा 25.1°C तक लुढ़क सकता है। इसका मतलब, अगर आपको कहीं निकलना है तो छतरी साथ रखें और ट्रैफिक में फंसने के लिए तैयार रहें। IMD की रिपोर्ट में जुलाई के 24 दिनों में पानी बरसने का आंकड़ा भी दिखाता है कि असली मानसून दिल्ली पर जमकर मेहरबान हुआ है।

जैसे-जैसे बारिश बढ़ेगी, वैसे-वैसे कई इलाकों में सड़कों पर पानी भरेगा। खासकर नॉर्थ दिल्ली और आसपास के हिस्सों में मध्यम बारिश के आसार ज्यादा हैं। प्रशासन पहले से ही बिजली कटौती और लोकल अलर्ट की चेतावनी दे चुका है, ताकि लोग सतर्क रहें।

  • बारिश की वजह से बस, मेट्रो और ऑटो सेवाएं बाधित हुईं
  • कुछ इलाकों में बिजली गुल होने की समस्या
  • स्कूलों में अघोषित छुट्टियां
  • वाहनों की लंबी कतारें और एक्सप्रेसवे पर धीमी रफ्तार

लोगों ने राहत की सांस जरूर ली, लेकिन बारिश के साथ उमस और जलजमाव ने नाक में दम रखा। कई कॉलोनियों में पानी जमा होने से बीमारियों का डर भी बढ़ गया है।

दिल्ली की हवा की गुणवत्ता यानी AQI मॉनिटरिंग में हैं, लेकिन अभी तक इस पूरे उथल-पुथल वाले हफ्ते में उसमें बड़े बदलाव की जानकारी सामने नहीं आई है।

20 टिप्पणि

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    Sitara Nair

    अगस्त 1, 2025 AT 11:31

    बारिश तो आई ही थी ना... पर दिल्ली की सड़कें अभी भी 1990 की तरह हैं 😅 जब मैं बच्ची थी, तो मम्मी कहती थीं, 'बारिश में निकलना है तो जूते बंद करके चलो'... अब भी वही बात! बस अब जूते नहीं, पूरा घर डूब रहा है 🌧️💔

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    dinesh singare

    अगस्त 2, 2025 AT 22:25

    इस बारिश को देखकर लगता है कि IMD ने किसी ने देश को गलत बताया है। अगर ये असली मानसून है तो 2024 क्या था? जंगल की आग? ये तो बस एक बारिश है, लेकिन दिल्ली की बेकारी के कारण ये आपदा बन गई।

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    Anuj Tripathi

    अगस्त 3, 2025 AT 14:39

    ये बारिश आई तो लोगों ने खुशी से दम लिया... लेकिन जब घर से बाहर निकलना डायवर्सन की तरह हो जाए तो खुशी कहाँ? अब तो बस एक बात चाहिए - सड़कें सुधारो, नहीं तो हर साल यही ड्रामा होता रहेगा 🤷‍♂️

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    AnKur SinGh

    अगस्त 5, 2025 AT 09:00

    दिल्ली की बारिश का मामला अब सिर्फ मौसम का नहीं, बल्कि शहरी नियोजन के असफलता का है। जब तक हम ड्रेनेज सिस्टम को बिल्डिंग के साथ नहीं डिज़ाइन करेंगे, तब तक ये बाढ़ें आती रहेंगी। अगर आप लोग इसे बस एक 'मौसमी समस्या' समझते हैं, तो आप गलत हैं। हमारे शहरों के लिए एक बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है - न कि एक छतरी और एक ट्रैफिक जाम का इंतजार।

    जब तक आप रोड के नीचे के पाइप्स के बारे में नहीं सोचेंगे, तब तक बारिश का मौसम आएगा और आपका बैग भी भीगेगा। ये सिर्फ बारिश नहीं, ये राष्ट्रीय असफलता है।

    मैं दिल्ली के एक नागरिक के रूप में कहता हूँ - हमें बारिश को भाग्य नहीं, बल्कि एक इंजीनियरिंग चैलेंज के रूप में देखना होगा।

    अगर आप चाहते हैं कि बच्चे स्कूल जाएं, बुजुर्ग डॉक्टर के पास जाएं, और ऑफिस जाने वाले टाइम पर पहुंचें - तो पहले ड्रेनेज को बचाओ।

    इस बारिश को याद रखो। इसे एक अवसर बनाओ - न कि एक बहाना।

    हमारे बुजुर्ग बोलते थे - 'जमीन को समझो, तो बारिश दोस्त बन जाएगी'। हमने जमीन को नहीं समझा, बल्कि उस पर बिल्डिंग उठा दी।

    अब जब बारिश आती है, तो वो हमारी गलतियों को धो रही है।

    हमारी बारिश का अर्थ बदल गया है - अब ये बरसती नहीं, बल्कि बहती है।

    मैं नहीं चाहता कि मेरा बेटा जब बड़ा हो, तो बारिश के बारे में लिखे - 'मेरे समय में तो बारिश आई थी, लेकिन हम तैयार नहीं थे'।

    इस बार तैयार हो जाओ।

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    Priyanjit Ghosh

    अगस्त 6, 2025 AT 09:53

    मैं तो बस इतना कहूंगा - अगर आपका ऑटो भी बारिश में बह गया, तो आप जान गए कि ये बारिश नहीं, ये एक लाइफ स्टाइल है 😅💧

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    Ashish Shrestha

    अगस्त 8, 2025 AT 07:54

    इस बारिश को देखकर लगता है कि भारतीय शहरी नियोजन एक विकास अनुमान है, जिसे किसी ने अनुमान लगाया था और फिर भूल गया। एक विश्वसनीय ड्रेनेज सिस्टम की आवश्यकता है, न कि एक छतरी और एक ट्रैफिक जाम का इंतजार।

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    Harsh Bhatt

    अगस्त 8, 2025 AT 09:44

    मौसम विभाग के अनुसार ये 'असली मानसून' है? तो 2020 क्या था? एक बारिश का बाप? ये तो बस एक छोटी सी बौछार है, लेकिन दिल्ली की बेकारी के कारण इसे आपदा बना दिया गया।

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    Hiru Samanto

    अगस्त 9, 2025 AT 22:21

    मैं नॉर्थ दिल्ली से हूँ और यहाँ तो पानी घरों में आ गया है... मैंने अपनी बेटी को स्कूल से लेकर आया, वो बोली 'पापा, आज तो बारिश नहीं, नदी चल रही है' 😅

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    Ankit gurawaria

    अगस्त 10, 2025 AT 05:26

    दिल्ली के लोग बारिश को एक त्योहार की तरह मनाते हैं - जब तक बारिश रुकती है, तब तक फोटो खींचो, वाइरल करो, फिर जब पानी घर में आ जाए, तो ट्वीट करो कि 'ये तो बारिश नहीं, बाढ़ है'। असली समस्या तो ये है कि हमने शहर को बनाने की बजाय बारिश के बाद बचने की रणनीति बना ली है।

    हमने कभी सोचा नहीं कि जब बारिश होगी, तो पानी कहाँ जाएगा? हमने सिर्फ ये सोचा कि बारिश आएगी तो लोग खुश होंगे। लेकिन खुशी का अर्थ बारिश नहीं, बल्कि सुरक्षित रास्ता है।

    हमारे पास ड्रेनेज नहीं, बल्कि बारिश के बाद के फोटो के लिए फिल्टर हैं।

    मैं नहीं चाहता कि मेरा बेटा जब बड़ा हो, तो बारिश के बारे में लिखे - 'मेरे समय में तो बारिश आई थी, लेकिन हम तैयार नहीं थे'।

    इस बार तैयार हो जाओ।

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    Ravi Gurung

    अगस्त 10, 2025 AT 07:38

    बारिश तो आई ही थी... पर दिल्ली के लोग अब बारिश के बाद ट्वीट करने के लिए तैयार हैं, न कि सड़कों के लिए।

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    Divya Anish

    अगस्त 11, 2025 AT 23:09

    मैंने देखा कि कई लोग बारिश के बाद फोटो शेयर कर रहे हैं - बारिश के बीच खड़े होकर, छतरी लिए, गीले होकर... लेकिन क्या किसी ने इस बारिश के बाद ड्रेनेज के बारे में सोचा? नहीं। बल्कि उन्होंने इसे एक फोटो ऑपरेशन बना दिया।

    ये बारिश एक बारिश नहीं, ये एक चेतावनी है।

    हमारे शहर बनाने की बजाय, हम बारिश के बाद बचने के लिए तैयार हो रहे हैं।

    इस बार तो बारिश आई, लेकिन अगली बार? क्या हम तैयार होंगे?

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    Mallikarjun Choukimath

    अगस्त 12, 2025 AT 16:47

    इस बारिश को देखकर लगता है कि दिल्ली का शहरी नियोजन एक बहुत ही जटिल दर्शनशास्त्र का अभ्यास है - जहां बारिश एक अस्तित्व का प्रश्न बन गई है, और हम सभी एक अप्रत्याशित अस्तित्व के अधिकारी बन गए हैं। जब बारिश आती है, तो यह न केवल जल की बूंदें होती हैं, बल्कि हमारी असफलताओं के बारे में एक दर्शनशास्त्रीय आलोचना भी होती है।

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    Kunal Mishra

    अगस्त 14, 2025 AT 00:22

    दिल्ली के लोग बारिश के बाद फोटो खींचते हैं, लेकिन ड्रेनेज के लिए कोई नहीं आता। ये बारिश नहीं, ये एक विश्वासघात है - जिसे हमने अपने शहर के नाम पर किया है।

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    md najmuddin

    अगस्त 15, 2025 AT 14:41

    मैं एक छोटे से इलाके से हूँ, जहाँ बारिश के बाद बच्चे नाव बनाकर खेलते हैं... लेकिन अब वो नाव नहीं, बल्कि बच्चों के घर के दरवाजे बंद हो गए हैं। बारिश आई, लेकिन हमारी सुरक्षा नहीं।

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    SANJAY SARKAR

    अगस्त 16, 2025 AT 13:25

    बारिश तो हर साल आती है... पर दिल्ली के लोग अब बारिश के बाद ट्वीट करने के लिए तैयार हैं, न कि सड़कों के लिए।

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    Abhishek Abhishek

    अगस्त 17, 2025 AT 00:57

    क्या ये बारिश असली है? या फिर ये सिर्फ एक ट्रेंड है जिसे हमने बना लिया है? क्या दिल्ली के लोग बारिश के बाद फोटो खींचने के लिए बारिश का इंतजार करते हैं?

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    Avinash Shukla

    अगस्त 18, 2025 AT 12:57

    मैंने देखा कि बारिश के बाद लोग अपने घरों के बाहर बैठकर चाय पी रहे हैं... ये बारिश नहीं, ये एक जीवनशैली है।

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    Sanjay Gupta

    अगस्त 19, 2025 AT 16:34

    इस बारिश को देखकर लगता है कि दिल्ली के लोग बारिश के बाद फोटो खींचने के लिए तैयार हैं, लेकिन ड्रेनेज के लिए नहीं। ये बारिश नहीं, ये एक राष्ट्रीय अपराध है।

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    Anish Kashyap

    अगस्त 21, 2025 AT 12:15

    बारिश आई तो लोग खुश हुए... पर जब पानी घर में आया तो सब चिल्लाने लगे। अगर आप बारिश को एक त्योहार समझते हैं, तो बारिश के बाद भी त्योहार बना रहो।

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    AnKur SinGh

    अगस्त 21, 2025 AT 19:39

    मैंने एक बार एक बुजुर्ग ने कहा - 'बारिश तो बरसती है, लेकिन हमारे शहर बरसने के लिए नहीं बने'। अब ये बात सच लग रही है।

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