डीएमके के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी 15 महीनों बाद जेल से रिहा, भ्रष्टाचार के आरोपों ने बढ़ाई राजनीति में हलचल

डीएमके के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी 15 महीनों बाद जेल से रिहा, भ्रष्टाचार के आरोपों ने बढ़ाई राजनीति में हलचल सित॰, 27 2024

पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी की रिहाई: तमिलनाडु की राजनीति में नई बहस

अत्यधिक विवादित मामले के चलते 15 महीने जेल में बिताने के बाद, डीएमके के पूर्व मंत्री वी. सेंथिल बालाजी ने अपनी रिहाई का स्वास्तर किया। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जून 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग के केस में गिरफ्तार किया था जो कि उनके द्वारा 2011 से 2015 तक हुए परिवहन मंत्री रहते हुए कैश-फॉर-जॉब्स घोटाले से जुड़ा था। यह समयावधि तब की है जब वे एआईएडीएमके के शासन काल में मंत्री के पद पर थे।

विवादित गिरफ्तारी और राजनीतिक प्रभाव

सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी ने निश्चित ही तमिलनाडु की राजनीति में भूचाल ला दिया था। विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच उनके मामले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला। चार दशकों से पॉलिटिक्स का हिस्सा रहे बालाजी की गिरफ़्तारी ने राज्य की राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दिया।

सेंथिल बालाजी का राजनीतिक सफर

तमिलनाडु की राजनीति में सेंथिल बालाजी का नाम एक सशक्त और प्रभावशाली नेता के रूप में लिया जाता है। उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत एआईएडीएमके से हुई थी, और उन्होंने 2016 में पार्टी बदली और डीएमके का दामन थाम लिया। इसके बाद वे डीएमके के प्रमुख चेहरों में शामिल हो गए।

गिरफ्तारी की घटना

भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में हुई गिरफ्तारी के बाद, तमिलनाडु की राजनीतिक हवा में तेज बदलाव देखने को मिला। हालांकि, डीएमके के अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने बालाजी का समर्थन किया, और उनके खिलाफ लगे आरोपों को विपक्षी दल की राजनीति का हिस्सा बताया।

जमानत मिलने के बाद रिहाई

आखिरकार, लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, सेंथिल बालाजी को 26 सितंबर 2024 को जमानत मिली और वे 15 महीनों के बाद जेल से बाहर आए। उनकी जमानत मिलने के बाद समर्थकों में खुशी की लहर देखी गई।

भविष्य की रणनीति

जेल से रिहा होने के बाद, सेंथिल बालाजी की अगली रणनीति पर सभी की नज़रे टिकी हुई हैं। क्या वे राजनीति में वापस लौटेंगे या कुछ और नया करने का निर्णय लेंगे, यह देखना बाक़ी है।

बालाजी के समर्थन में लोगों की प्रतिक्रियाएं

सेंथिल बालाजी के समर्थक उनकी रिहाई के बाद खुश हैं और उनके समर्थन में कई प्रदर्शन किये गए। इसके साथ ही, विपक्ष ने भी इस मुद्दे को लेकर अपनी तेज तर्रार टिप्पणीयां जारी रखी हैं। इसके बावजूद, बालाजी के समर्थकों को उम्मीद है कि वे राजनीति में दोबारा सक्रिय रूप से शामिल होंगे।

तमिलनाडु की राजनीतिक दुनिया में सेंथिल बालाजी का यह प्रकरण आगामी चुनावों और राजनीतिक समीकरणों को किस दिशा में ले जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

12 टिप्पणि

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    Vishal Bambha

    सितंबर 28, 2024 AT 03:08

    ये सब राजनीति का खेल है भाई। जब तक बड़े नेता जेल में जाते हैं, तब तक लोग उन्हें शहीद समझने लगते हैं। असली सवाल ये है कि इनके खिलाफ कोई साबित कर पाया है या नहीं? नहीं तो ये सब बस बैठकों में बातें हैं।

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    Raghvendra Thakur

    सितंबर 28, 2024 AT 10:30

    जेल से निकले, अब देखना है कि क्या करते हैं।

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    Vishal Raj

    सितंबर 28, 2024 AT 18:58

    अरे यार, इंसान जेल में बैठा था, अब बाहर आया, तो उसके साथ अच्छा व्यवहार करो। राजनीति तो बाद में चलेगी।

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    Reetika Roy

    सितंबर 28, 2024 AT 21:37

    कानून का अनुपालन ही सबसे बड़ी बात है। अगर गलती हुई तो सजा मिलनी चाहिए, अगर नहीं हुई तो न्याय होना चाहिए। ये सिर्फ एक नेता का मामला नहीं, ये देश की न्याय प्रणाली का परीक्षण है।

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    Pritesh KUMAR Choudhury

    सितंबर 29, 2024 AT 17:02

    बहुत अच्छा लगा कि जमानत मिल गई। 🤝 अब देखते हैं कि वो क्या कहते हैं। राजनीति में तो बहुत चीजें होती हैं, लेकिन इंसानियत सबसे ऊपर होनी चाहिए।

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    Mohit Sharda

    सितंबर 30, 2024 AT 06:32

    हर इंसान को न्याय का अधिकार है। अगर गलती हुई तो उसका फैसला होगा, अगर नहीं हुई तो उसे बर्खास्त करना चाहिए। इस बात पर कोई राजनीति नहीं बनानी चाहिए। बस न्याय होना चाहिए।

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    Sanjay Bhandari

    सितंबर 30, 2024 AT 23:48

    ye bhaiya jale se nikle toh sabke ghar me ghus gaye 😅 ab dekho kya karte hai… kya wapas politics me aayenge ya phir kuch naya karenge? koi bata sakta hai?

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    Mersal Suresh

    अक्तूबर 2, 2024 AT 04:57

    यहाँ तक कि एक राजनीतिक नेता के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज होना भी भारत के न्याय प्रणाली की सफलता का संकेत है। यह एक ऐसा देश है जहाँ शक्ति के लिए भी कानून लागू होता है। यह निश्चित रूप से एक प्रगति है।

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    Pal Tourism

    अक्तूबर 2, 2024 AT 18:37

    dekho yaar yeh sab jhooth hai, ED kaam karta hai bas election ke time pe, phir koi bhi minister jail me jata hai, phir koi bhi aadmi bhaag jata hai, sab kuch fake hai, sirf vote ke liye drama hai, tum log sochte kya hai? yeh sab toh TV serial hai

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    Sunny Menia

    अक्तूबर 3, 2024 AT 11:30

    हर राजनीतिक दल अपने नेता को शहीद बनाने की कोशिश करता है। लेकिन असली बात ये है कि न्याय का रास्ता कितना तेज है? क्या ये मामला जल्दी से सुलझ जाएगा? ये देखना है।

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    Abinesh Ak

    अक्तूबर 4, 2024 AT 08:46

    अरे भाई, एक बार जेल गया, अब बाहर आया, अब वो अपने जीवन का एक नया एपिसोड शुरू कर रहा है। अब उसका नाम नहीं, उसका नाम है 'पूर्व मंत्री जिन्होंने जेल जाकर अपनी पार्टी को बचाया'। वाह, बहुत बढ़िया ड्रामा।

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    Ron DeRegules

    अक्तूबर 6, 2024 AT 01:30

    इस मामले में कई पहलू हैं जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए जैसे कि वित्तीय अनियमितताओं की प्रकृति, जिसका संबंध परिवहन मंत्रालय के अंतर्गत नियुक्तियों के साथ था, और यह भी कि इस तरह के घोटालों के लिए अक्सर आर्थिक रूप से अधिक शक्तिशाली व्यक्ति ही लक्षित होते हैं जो अपने अधिकार क्षेत्र में अपने निर्णयों को व्यक्तिगत लाभ के लिए दुरुपयोग करते हैं और इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है जिसमें नियुक्तियों के लिए कैश के लिए नियुक्ति की व्यवस्था थी जो एक गंभीर अपराध है और इसके लिए जेल में रहना भी उचित है लेकिन जमानत मिलने के बाद अब यह देखना है कि कानूनी प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है

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