बॉम्बे हाई कोर्ट ने 'हमारेबारह' फिल्म को संशोधनों के बाद रिलीज की अनुमति दी

बॉम्बे हाई कोर्ट ने 'हमारेबारह' फिल्म को संशोधनों के बाद रिलीज की अनुमति दी जून, 19 2024

फिल्म 'हमारेबारह' को कोर्ट की हरी झंडी

बॉम्बे हाई कोर्ट ने चर्चित फिल्म 'हमारेबारह' को कुछ विशेष संशोधनों के बाद रिलीज करने की अनुमति दी है। यह मामला तब उठा जब वकील अजयकुमार वाघमारे ने कोर्ट में याचिका दर्ज की, जिसमें फिल्म की मूल सामग्री को आपत्तिजनक बताया गया था और आशंका जताई गई कि इससे विशेष समुदाय की भावनाएं आहत हो सकती हैं। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फिल्म के निर्माताओं को कुछ जरूरी संशोधन करने का निर्देश दिया।

याचिका और संशोधन

वकील अजयकुमार वाघमारे ने याचिका में बताया कि फिल्म के मूल संस्करण में कुछ ऐसे दृश्य और संवाद थे, जो समाज में तनाव उत्पन्न कर सकते थे। कोर्ट ने इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए निर्माताओं को उनकी फिल्म की सामग्री में परिवर्तन करने का आदेश दिया। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया कि कौन से दृश्य और संवाद हटाए गए या बदले गए हैं।

कोर्ट का फैसला

कोर्ट का फैसला

संशोधन के बाद कोर्ट ने फिल्म की समीक्षा की और उसे रिलीज की अनुमति दी। न्यायधीशों ने अपने निर्णय में कहा कि अब फिल्म का वह रूप सुरक्षित है और किसी भी समुदाय की भावनाओं को आहत नहीं करेगा। कोर्ट का यह फैसला एक बेहतर संतुलन की मिसाल है, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सामुदायिक भावनाओं का ध्यान रखा गया है।

प्रतिक्रिया और अपेक्षित प्रभाव

फिल्म के निर्माताओं ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और इसमें सहयोग देने के लिए अपने ग्रहणशीलता का प्रदर्शन किया। इस फैसले का व्यापक प्रभाव फिल्म जगत पर पड़ेगा, जिससे भविष्य में निर्माता संवेदनशील मुद्दों पर पहले से अधिक सावधानी बरतेंगे। इसके साथ ही, यह निर्णय एक मजबूत संदेश देता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारियों का भी ध्यान रखना आवश्यक है।

फिल्म की कहानी और अनुभूति

फिल्म की कहानी और अनुभूति

'हमारेबारह' की कहानी समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती है। इसे पर्दे पर ऐसे प्रस्तुत किया गया है कि यह दर्शकों को गहराई से सोचने पर मजबूर करती है। फिल्म में जो मुद्दे उठाए गए हैं, वे समाज में व्यापक चर्चा का विषय बन सकते हैं। बदलाव के बाद भी, फिल्म की मूल भावना और संदेश को बरकरार रखा गया है।

पूरी प्रक्रिया का विश्लेषण

इस पूरी प्रक्रिया ने यह साबित कर दिया है कि हमारे न्यायपालिका और फिल्म निर्माता गंभीर मामलों को कितनी परिपक्वता से संभाल सकते हैं। कोर्ट ने जिस प्रकार से मामले को सुलझाया, वह न केवल न्याय के प्रति विश्वास बढ़ाता है बल्कि यह भी दिखाता है कि संवेदनशील मुद्दों पर सही तरीके से कैसे काम किया जा सकता है।

फिल्म 'हमारेबारह' का रिलीज होना अब बस वक्त की बात है और यह देखना दिलचस्प होगा कि दर्शक इस पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। मूवी की सफलता इस पर भी निर्भर करेगी कि दर्शक उन बदलावों को कैसे स्वीकारते हैं, जो कोर्ट के आदेश के बाद किए गए हैं।

20 टिप्पणि

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    Reetika Roy

    जून 21, 2024 AT 04:19
    ये फैसला असली बात है। कोर्ट ने सही रास्ता चुना। अभिव्यक्ति की आजादी और समाज की भावनाएं दोनों का ख्याल रखना जरूरी है।
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    Sanjay Bhandari

    जून 22, 2024 AT 01:06
    yarr ye film dekhne wala hoon abhi tak... kya kuchh bada change hua kya?
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    Pritesh KUMAR Choudhury

    जून 23, 2024 AT 12:48
    इस तरह के मामलों में न्यायपालिका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। एक संतुलित और विवेकपूर्ण निर्णय है।
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    Mersal Suresh

    जून 24, 2024 AT 20:56
    यह फैसला भारतीय न्याय प्रणाली के लिए एक नया मानक स्थापित करता है। फिल्म निर्माताओं को अब अपनी रचनाओं में सामाजिक जिम्मेदारी के साथ अभिव्यक्ति का उपयोग करना सीखना होगा।
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    Pal Tourism

    जून 26, 2024 AT 07:06
    kya bhai ye sab kya hai? film toh bas film hai, logon ki feeling kaise badal jati hai? kuchh toh kaha jata hai bas drama ke liye
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    Sunny Menia

    जून 26, 2024 AT 17:05
    मुझे लगता है कि यह एक अच्छा उदाहरण है कि कैसे विवादास्पद विषयों को संवेदनशीलता के साथ संभाला जा सकता है।
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    Abinesh Ak

    जून 28, 2024 AT 10:12
    ओहो तो फिर से संशोधन का खेल? अब तो फिल्में बनाने से पहले एक न्यायाधीश के पास जाना पड़ेगा। अभिव्यक्ति की आज़ादी का क्या हुआ? ये सब लोग न्याय के नाम पर फिल्मों को बार-बार तोड़ रहे हैं।
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    Ron DeRegules

    जून 29, 2024 AT 18:19
    इस फैसले के पीछे एक गहरी दार्शनिक और सामाजिक आधार है जिसे बहुत कम लोग समझते हैं क्योंकि आज के युग में लोग अपनी भावनाओं को ही सत्य मान लेते हैं और तर्क या कानून की बात नहीं सुनते जबकि न्यायपालिका का काम तर्क के आधार पर निर्णय लेना होता है और यहां उसी का अच्छा उदाहरण मिल रहा है जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बरकरार रखा गया है और साथ ही सामाजिक भावनाओं का भी सम्मान किया गया है जो कि एक विकसित समाज की पहचान है
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    Manasi Tamboli

    जुलाई 1, 2024 AT 03:23
    क्या हम वाकई इतने भावुक हो गए हैं कि एक फिल्म हमारी आत्मा को छू सकती है? क्या हम अपने अंदर के डर को बाहर निकालने के लिए फिल्मों को निशाना बना रहे हैं? ये सब सिर्फ एक आत्म-परीक्षण है।
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    Ashish Shrestha

    जुलाई 2, 2024 AT 21:30
    यह फैसला एक निर्णायक गलती है। फिल्म निर्माताओं को किसी भी तरह के संशोधन की आवश्यकता नहीं थी। यह एक अनिवार्य संस्करण है जो अभिव्यक्ति को दबाता है।
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    Mallikarjun Choukimath

    जुलाई 4, 2024 AT 03:07
    क्या यह वास्तव में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है या बस एक बुद्धिजीवी गौरव का नाटक? जब तक हम अपने अंदर के अंधविश्वास को नहीं छोड़ेंगे, तब तक ये सब नाटक चलते रहेंगे।
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    Sitara Nair

    जुलाई 5, 2024 AT 11:22
    मुझे बहुत खुशी हुई कि कोर्ट ने संतुलन बनाया... ये फिल्म तो बहुत गहरी है, और बदलावों ने उसे और भी अच्छा बना दिया है। अब देखना है कि लोग इसे कैसे स्वीकार करते हैं। 🌸
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    Abhishek Abhishek

    जुलाई 5, 2024 AT 12:14
    अगर इस फिल्म को बदलने की जरूरत पड़ी तो इसका मतलब है कि ये फिल्म असली नहीं है। अगर कोई बात आपत्तिजनक है तो उसे बैन कर देना चाहिए, न कि इसे टूक-टूक करके बदल देना।
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    Avinash Shukla

    जुलाई 5, 2024 AT 15:51
    मुझे लगता है कि यह एक अच्छा संकेत है। अगर हम एक दूसरे की भावनाओं को समझने की कोशिश करें तो तनाव कम हो सकता है।
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    Harsh Bhatt

    जुलाई 7, 2024 AT 01:00
    फिल्म को बदलने की जरूरत क्यों? लोगों को सीखना चाहिए कि कैसे अलग-अलग बातों को स्वीकार करें। ये फिल्म तो बस एक दर्पण है, जो दिखाता है कि हम कितने भयभीत हैं।
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    dinesh singare

    जुलाई 8, 2024 AT 02:46
    कोर्ट ने जो किया वो बहुत बड़ी बात है। अगर हम अपनी फिल्मों को इतना बदल देंगे तो अब फिल्में किसकी होंगी? क्या अब हर फिल्म के लिए एक न्यायाधीश की अनुमति चाहिए? ये तो एक नया नायक बन गया है!
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    Priyanjit Ghosh

    जुलाई 8, 2024 AT 03:45
    अरे भाई, अब तो फिल्म बनाने के लिए भी एक फॉर्म भरना पड़ेगा। ये सब बहुत मजेदार है... 😅
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    Anuj Tripathi

    जुलाई 8, 2024 AT 22:07
    ये फैसला देखकर लगता है कि हम बड़े हो रहे हैं... अब हम समझते हैं कि कैसे अपनी आवाज़ उठानी है और कैसे दूसरों की सुननी है
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    Hiru Samanto

    जुलाई 9, 2024 AT 21:06
    kuchh badla hua hai toh kya hua, main toh dekhne hi wala hoon, abhi tak koi kahani nahi suni
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    Divya Anish

    जुलाई 11, 2024 AT 04:51
    यह फैसला भारतीय समाज की परिपक्वता का प्रतीक है। फिल्म निर्माताओं ने सहयोग का दर्शन दिखाया, और न्यायपालिका ने उचित संतुलन बनाया। यह एक ऐसा उदाहरण है जिसे भविष्य में दुनिया भर में देखा जा सकता है।

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