सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एक्साइज पॉलिसी घोटाले के मामले में पूर्व AAP कार्यकारी विजय नायर को जमानत दी
सित॰, 3 2024सुप्रीम कोर्ट ने विजय नायर को दी जमानत
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2 सितंबर, 2024 को दिल्ली एक्साइज पॉलिसी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व संचार प्रभारी विजय नायर को जमानत दी। सर्वोच्च न्यायालय की इस बेंच में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी शामिल थे। महत्वपूर्ण यह है कि अदालत ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता के महत्व को उल्लेखित करते हुए कहा कि पूर्व ट्रायल के दौरान जेल में संक्रमित होना किसी भी प्रकार की सजा नहीं होनी चाहिए। यह बात काबिले गौर है कि सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय इस सिद्धांत पर आधारित था कि 'जमानत नियम है और जेल अपवाद।'
नवंबर 2022 में हुआ था गिरफ्तार
विजय नायर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 13 नवंबर, 2022 को गिरफ्तार किया था और तब से वह लगभग 22 महीने तक जेल में बंद थे। नायर ने ट्रायल कोर्ट के 29 जुलाई के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी डिफॉल्ट जमानत की याचिका खारिज कर दी गई थी। इसके पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने 3 जुलाई, 2023 को नायर और अन्य सह-आरोपियों को जमानत देने से मना कर दिया था।
दिल्ली एक्साइज पॉलिसी की जांच
यह मामला तब प्रकाश में आया जब दिल्ली के उप-राज्यपाल वी के सक्सेना की सिफारिश पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी 2021-22 में संभावित अनियमितताओं की जांच के लिए एफआईआर दर्ज की। इसके बाद यह पॉलिसी रद्द कर दी गई थी। नायर ने अपनी जमानत के लिए सर्वोच्च न्यायालय तक दस्तक दी थी, जहां अदालत ने 12 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय से नायर की जमानत याचिका पर प्रतिक्रिया मांगी थी।
न्यायालय की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि न्यायिक प्रक्रिया का उद्देश्य किसी आरोपी को अनावश्यक रूप से लंबे समय तक जेल में रखना नहीं होना चाहिए। अदालत ने याचिका पर विचार करते हुए यह भी कहा कि आरोपों की सत्यता का परीक्षण ट्रायल कोर्ट में किया जाना चाहिए और ट्रायल से पहले कोई भी जेल में बंद नहीं रह सकता, यदि वह जमानत के लिए पात्र हो। इस मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने यह माना कि नायर के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए और उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।
समाज और राजनीति पर प्रभाव
दिल्ली एक्साइज पॉलिसी घोटाले का मामला देशव्यापी चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके चलते आम जनता में सरकार और उसकी नीतियों के प्रति अविश्वास की स्थिति बनी हुई है। नायर की गिरफ्तारी और जमानत दोनों ही घटनाओं का राजनीतिक महत्व भी है, क्योंकि इससे सवाल उठते हैं कि भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और निष्पक्षता की पहचान कैसे की जाए। नायर की जमानत के बाद, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले का आगे का कानूनी और राजनैतिक परिणाम क्या होता है।
आरोप और प्रभाव
विजय नायर और अन्य पिछड़े आचरण के आरोपियों के खिलाफ लगे आरोपों से दिल्ली की राजनीति में तनावमय माहौल बना हुआ है। इस घोटाले ने दिल्ली सरकार की छवि को भी प्रभावित किया है। नायर की जमानत के बाद, उनकी पार्टी और उनके समर्थकों ने इसे न्याय का दिन बताया है, जबकि विरोधियों ने इसे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग माना।
सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश ने एक बार फिर से 'जमानत सिद्धांत' को मजबूती दी है और न्यायिक प्रणाली में आरोपियों के अधिकारों की सुरक्षा को महत्व दिया है। इस संदर्भ में, यह। अदालत का फैसला एक महत्वपूर्ण नज़ीर साबित होगा और समझौता प्रधान राजनीति के दौर में स्वतंत्र और निष्पक्ष न्याय पालिका की अभिव्यक्ति है।