रणजी ट्रॉफी में रोहित शर्मा और शीर्ष भारतीय खिलाड़ियों की घरेलू क्रिकेट में वापसी: कैसा रहा प्रदर्शन

रणजी ट्रॉफी में रोहित शर्मा और शीर्ष भारतीय खिलाड़ियों की घरेलू क्रिकेट में वापसी: कैसा रहा प्रदर्शन जन॰, 23 2025

रणजी ट्रॉफी में भारतीय क्रिकेटरों की वापसी

भारतीय क्रिकेट के चर्चित चहरे रणजी ट्रॉफी में अपनी चमक बिखेरने के इरादे से लौटे। इनमें प्रमुखता से रोहित शर्मा, यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल और ऋषभ पंत शामिल हुए। इन खिलाड़ियों ने घरेलू क्रिकेट में लौटकर अपनी फॉर्म को बेहतर करने की कोशिश की। रोहित शर्मा, जो भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान हैं, मुंबई की तरफ से जम्मू और कश्मीर के खिलाफ मैदान में उतरे। हालांकि, उनका यह प्रयास ज्यादा सफल नहीं रहा।

रोहित शर्मा का कमजोर प्रदर्शन

रोहित शर्मा का प्रदर्शन इस मैच में निराशाजनक रहा। उन्हें उमर नजीर मीर की एक छोटी पिच की गेंद पर पारस डोगरा द्वारा मिड-ऑफ पर कैच कर लिया गया। वे मात्र 3 रन ही बना सके। यह उनके लिए चिंता का विषय है क्योंकि 2024/25 के पहले-क्लास सत्र में उनका बल्लेबाजी औसत 10.43 तक गिर गया है। यह आंकड़ा भारतीय बल्लेबाजों के लिए पिछले 19 वर्षों में सबसे कम है।

यशस्वी जायसवाल और शुभमन गिल की परीक्षा

यशस्वी जायसवाल, जो ऑस्ट्रेलिया में अपने प्रदर्शन से प्रभावित कर चुके हैं, भी इस बार रंग नहीं दिखा सके। उन्हें औकिब नवी की गेंद पर लेग-बिफोर-वीकेट आउट कर दिया गया और उन्होंने महज 4 रन बनाए। इसी तरह, शुभमन गिल जो पंजाब की ओर से कर्नाटक के खिलाफ खेले, केवल 11 रन बनाकर आउट हो गए। इन खिलाड़ियों का प्रदर्शन दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय मैचों से घरेलू क्रिकेट में समायोजन करना आसान नहीं होता है।

ऋषभ पंत की मुश्किलें

ऋषभ पंत का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा। दिल्ली की टीम के लिए सौराष्ट्र के खिलाफ खेलते हुए, वे महज 1 रन बनाकर आउट हो गए। यह भी दर्शाता है कि उनकी हालिया फॉर्म में गिरावट आ रही है।

BCCI की रणनीति और भारतीय खिलाड़ियों की चुनौतियां

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने सभी भारतीय अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को, जो राष्ट्रीय ड्यूटी पर नहीं हैं या घायल नहीं हैं, घरेलू क्रिकेट में भाग लेने के निर्देश दिए हैं। इसका उद्देश्य मैच प्रैक्टिस प्रदान करना और प्रदर्शन सुधारना होता है। हालांकि, हाल के प्रदर्शन संकेत देते हैं कि फॉर्म प्राप्त करना अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।

समग्र रूप से, रणजी ट्रॉफी जैसे मंच पर भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों की यह वापसी दर्शाती है कि भले ही यह मैदान उनके लिए नया नहीं है, पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के दबाव के बाद घरेलू स्तर पर खुद को फिर से स्थापित करना कितना कठिन होता है। यह न केवल व्यक्तिगत रूप से उनके लिए चुनौती है, बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण समय भी है जहां घरेलू स्तर पर ओवरऑल प्रदर्शन में सुधार की आवश्यकता है।

17 टिप्पणि

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    Ravi Gurung

    जनवरी 24, 2025 AT 03:38
    ये सब लोग टेस्ट में जब खेल रहे होते हैं तो सब कुछ बेहतर लगता है... घरेलू में आ गए तो बल्ला भी भारी लगने लगा।
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    SANJAY SARKAR

    जनवरी 24, 2025 AT 23:02
    क्या ये सिर्फ रोहित का मामला है? यशस्वी और गिल भी तो एक जैसे ही फेल हुए... शायद इनके लिए घरेलू क्रिकेट अब बस फॉर्म बनाने का मौका नहीं, बल्कि एक बोझ बन गया है।
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    Ankit gurawaria

    जनवरी 25, 2025 AT 03:59
    दोस्तों, ये सब बातें तो बहुत आसानी से कही जा सकती हैं, लेकिन आपने कभी सोचा है कि जब एक खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 100+ मैच खेल चुका हो, तो उसका दिमाग कितना थक चुका होता है? वो जब रणजी में आता है, तो उसके पास न तो नई ऊर्जा होती है और न ही नई चुनौतियाँ... वो तो सिर्फ अपने अंदर के दर्द को छिपाने की कोशिश कर रहा होता है। ये सब रन्स की बात नहीं, ये तो मानसिक थकान की बात है। और हाँ, BCCI को चाहिए कि वो इन खिलाड़ियों को बस घरेलू में डाल दे, बल्कि उनके लिए एक रिकवरी प्रोग्राम भी बनाए।
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    AnKur SinGh

    जनवरी 26, 2025 AT 12:19
    इस विषय पर गहराई से विचार करने पर, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि भारतीय क्रिकेट के विकास की नींव घरेलू प्रतियोगिताओं पर ही टिकी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियाँ तो दिखाई देती हैं, लेकिन उनकी नींव रणजी ट्रॉफी के मैदानों में ही बिछी है। इसलिए, जब हम दिग्गज खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट में लौटाते हैं, तो यह केवल एक निर्देश नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुशासन है। उनका अपने खेल के प्रति समर्पण, उनके लिए एक पुनर्जागरण का संकेत है।
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    Sanjay Gupta

    जनवरी 28, 2025 AT 00:18
    रोहित 3 रन बना रहा है? और तुम लोग इसे ट्रैजेडी बता रहे हो? भारत का कप्तान जो 2024 में भी 10 के आसपास औसत बना रहा है, वो किसी फार्मूले से नहीं, बल्कि अपनी नीची आत्मा से खेल रहा है। बोर्ड को चाहिए कि वो इसे एक बड़ा रिपोर्ट बनाए और उसे अपने ऑफिस की दीवार पर लगा दे।
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    Kunal Mishra

    जनवरी 28, 2025 AT 19:56
    क्या ये सब लोग अब बस अपने नाम के लिए खेल रहे हैं? रोहित के बल्ले का वजन शायद उसके बाद के दिनों के बोझ से भी ज्यादा है। ये लोग अब खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक प्रतीक बन चुके हैं... और प्रतीक तो टूटते ही हैं।
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    Anish Kashyap

    जनवरी 30, 2025 AT 05:57
    ये लोग तो बस थक गए हैं दोस्तों... जब तक तुम खुद को दबाव में नहीं डालोगे तब तक ये सब ठीक रहेगा बस थोड़ा आराम दो इनको और देखो क्या होता है
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    Poonguntan Cibi J U

    जनवरी 31, 2025 AT 21:53
    मैं तो रोहित के लिए रो रहा हूँ... जब वो बल्ला उठाता है तो मुझे लगता है जैसे वो अपनी आत्मा को भी उठा रहा है... ये बस एक खिलाड़ी नहीं, ये एक आत्मा है जो अपने दर्द को छिपा रही है... और तुम सब बस रन्स की बात कर रहे हो... तुम्हारा दिल ठंडा है या क्या?
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    Vallabh Reddy

    फ़रवरी 2, 2025 AT 02:59
    घरेलू क्रिकेट के स्तर पर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की उपस्थिति का आर्थिक और तकनीकी लाभ अत्यधिक है, लेकिन उनके प्रदर्शन में अस्थिरता एक व्यवस्थागत विफलता का संकेत है। यह एक ऐसी समस्या है जिसे अभी तक किसी ने गंभीरता से नहीं लिया।
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    Mayank Aneja

    फ़रवरी 3, 2025 AT 19:49
    हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि घरेलू क्रिकेट में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों का आना, उनके लिए एक नया चुनौती का समय है। लेकिन यह भी सच है कि बहुत से खिलाड़ियों को यह दबाव सहन नहीं होता। उनके लिए एक नियमित मानसिक समर्थन प्रणाली की आवश्यकता है।
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    Vishal Bambha

    फ़रवरी 4, 2025 AT 07:24
    ये सब लोग अभी तक बस अपने नाम के लिए खेल रहे हैं... लेकिन जब तक तुम अपने दिल से नहीं खेलोगे तब तक कोई भी रन नहीं बनेगा... भारत के लिए खेलो दोस्तों, न कि अपने नाम के लिए!
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    Raghvendra Thakur

    फ़रवरी 5, 2025 AT 17:12
    बल्ला नहीं, दिमाग ठीक होना चाहिए।
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    Vishal Raj

    फ़रवरी 7, 2025 AT 11:13
    जब तुम बड़े बन जाते हो तो छोटे खेल भी बड़े लगने लगते हैं... शायद इन लोगों को बस याद दिलाने की जरूरत है कि क्रिकेट अभी भी खेल है, न कि एक बोझ।
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    Reetika Roy

    फ़रवरी 7, 2025 AT 13:54
    मैंने देखा कि रोहित ने अपने बल्ले को बहुत सावधानी से पकड़ा... शायद वो जानता है कि अब उसके बल्ले में उसकी आत्मा भी है।
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    Pritesh KUMAR Choudhury

    फ़रवरी 7, 2025 AT 20:26
    इन खिलाड़ियों के लिए ये सब बहुत कठिन है... लेकिन उन्हें एक बार अपने बचपन की यादें जरूर देखनी चाहिए... जब वो बस एक गेंद के लिए खुश होते थे। 🤍
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    Mohit Sharda

    फ़रवरी 7, 2025 AT 23:13
    हमें इन लोगों को गले लगाना चाहिए, न कि उनके रन्स की बात करनी... वो अभी भी हमारे लिए खेल रहे हैं, बस थोड़ा समय दो उन्हें।
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    Sanjay Bhandari

    फ़रवरी 9, 2025 AT 00:41
    rohit 3 run? lol... bro its just a game... chill out guys

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