ममूटी की मस्ती और राज बी शेट्टी की विलेन गिरी ने दी असंतुलित कहानी | टर्बो मूवी की समीक्षा
मई, 23 2024ममूटी की मस्ती और राज बी शेट्टी की विलेन गिरी ने दी असंतुलित कहानी
मलयालम फिल्म 'टर्बो' का निर्देशन वायसाख ने किया है, और इसमें ममूटी ने एक बेफिक्रा और मजाकिया किरदार निभाया है। ममूटी का किरदार अपने छोटे दोस्तों के बड़े भाई की भूमिका में दिखाया गया है, जो एक मासूम और आवेगी स्वभाव का व्यक्ति होता है। यह स्वभाव उन्हें कई बार मुश्किलों में डाल देता है, खासकर गुंडों के साथ। उनकी मां, बिंदु पनिकर, हमेशा उनके इस स्वभाव को लेकर चिंतित रहती हैं।
फिल्म का पहला आधा हिस्सा ममूटी और बिंदु पनिकर की केमिस्ट्री पर टिका है। दोनों की कॉमेडी दर्शकों को खूब हंसाती है और उनकी परफॉर्मेंस के कारण फिल्म का यह हिस्सा खूब पसंद किया जा रहा है। ममूटी का यह किरदार उनके पिछले भूमिकाओं जैसे 'राजामणिक्यम', 'प्रांचीएत्तान एंड सेंट' और 'कोट्टायम कुंझाचन' की याद दिलाता है, जिसमें उन्होंने जनता को खूब हंसाया था।
फिल्म की कहानी का सफर
हालांकि फिल्म को एक्शन थ्रिलर कहा जा रहा है, लेकिन इसमें कई शैलियों का मिश्रण किया गया है। कहानी की शुरुआत एक मर्डर से होती है और फिर यह एक मजेदार कहानी में बदल जाती है। फिल्म का एक बड़ा हिस्सा चेन्नई में फिल्माया गया है, जहां अधिकांश एक्शन सीन होते हैं। फिल्म के अंत में, यह असंतुलित कहानी बन जाती है जो दर्शकों को कन्फ्यूजन में डालती है।
फिल्म में कन्नड़ अभिनेता राज बी शेट्टी ने मोलिवुड में अपनी शुरुआत की है और एक प्रभावी विलेन का किरदार निभाया है। उनकी परफॉर्मेंस को काफी सराहा जा रहा है और उन्होंने अपने किरदार को बखूबी निभाया है। इसके अलावा, पाचुवम अद्भुतविलक्कुम की अनजना जयप्रकाश ने भी फिल्म में प्रमुख भूमिका निभाई है और उन्होंने भी अपनी छाप छोड़ी है।
फिल्म की स्क्रिप्ट और कहानी थोड़ी असंतुलित है, क्योंकि इसमें बहुत सारे शैलियों का मिश्रण करने का प्रयास किया गया है। इससे कहानी की दिशा बार-बार बदलती है और यह दर्शकों को थोड़ा उलझा सकती है। हालांकि, ममूटी की परफॉर्मेंस और उनकी कॉमिक टाइमिंग ने इस कहानी को जीवंत बना दिया है। उनके प्रशंसकों को यह फिल्म जरूर पसंद आएगी और वे उनकी इस मजाकिया भूमिका का आनंद लेंगे।
फिल्म की आलोचना और प्रशंसा
निर्देशक वायसाख ने एक महत्वाकांक्षी प्रयास किया है, लेकिन कई बार यह महत्वाकांक्षा फिल्म की कहानी के प्रवाह को प्रभावित करती है। फिल्म के विभिन्न हिस्सों में शैलियों के बीच सामंजस्य की कमी है, जिससे इसका कथानक असंतुलित हो जाता है। एक्शन सीन अच्छे हैं और उनकी कोरियोग्राफी में कोई कमी नहीं है, लेकिन कॉमेडी और ड्रामा के बीच संतुलन की कमी स्पष्ट है।
ममूटी का अभिनय अपनी जगह पर कायम है और उन्होंने दर्शकों को खूब हंसाया है। बिंदु पनिकर ने भी अपने रोल को सजीवता से निभाया है। राज बी शेट्टी की विलेन गिरी ने फिल्म में एक नया रंग भरा है और उनकी परफॉर्मेंस वाकई में काबिल-ए-तारीफ है। अनजना जयप्रकाश की परफॉर्मेंस भी दर्शकों को प्रभावित करती है।
फिल्म 'टर्बो' में अन्य सहायक कलाकारों ने भी अपनी भूमिकाएं ठीक से निभाई हैं। फिल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर ठीक-ठाक हैं और कहानी के साथ मिलते-जुलते हैं। फिल्म का सिनेमैटोग्राफी और विजुएल्स भी अच्छे हैं और चेन्नई के लोकेशन्स ने भी फिल्म को और भी रोचक बना दिया है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर 'टर्बो' एक मजेदार फिल्म है जिसमें ममूटी की परफॉर्मेंस और कॉमेडी की भरपूर झलक है। हालांकि, फिल्म का असंतुलित कथानक और शैलियों का मिश्रण इसे एक परिपूर्ण फिल्म बनने से रोकता है। ममूटी के प्रशंसक इस फिल्म को जरूर देख सकते हैं और उनकी मजाकिया भूमिकाओं का आनंद ले सकते हैं।