केरल में हाल की मौतों के पीछे मस्तिष्क खाने वाला अमीबा क्या है?

केरल में हाल की मौतों के पीछे मस्तिष्क खाने वाला अमीबा क्या है? जुल॰, 5 2024

केरल में मस्तिष्क खाने वाले अमीबा से मौतें: कारण और चिंता

हाल ही में केरल में एक 14 साल के लड़के की दुर्लभ लेकिन अत्यधिक खतरनाक प्राथमिक अमीबिक मैनिंजाइटिस (PAM) की वजह से मौत हो गई। यह घातक संक्रमण Naegleria fowleri नामक एकल-कोशिकीय अमीबा के कारण होता है, जिसे आमतौर पर 'मस्तिष्क खाने वाला अमीबा' कहा जाता है। लड़के की मौत के बाद जनता और स्वास्थ्य अधिकारियों में दहशत का माहौल है।

संक्रमण के लक्षण और पहचान

लड़के को शुरू में सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी की शिकायत थी, जो इस संक्रमण के सामान्य लक्षण होते हैं। PAM के लक्षण बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं और यह बहुत गंभीर स्थिति में बदल सकते हैं। पीड़ित व्यक्ति को गर्दन में अकड़न, भ्रम, दौरे, मतिभ्रम हो सकते हैं, और अंततः कोमा में जा सकता है। CDC के अनुसार, PAM से ग्रस्त व्यक्ति आमतौर पर लक्षणों के शुरू होने के 1 से 18 दिन के भीतर मर जाते हैं।

संक्रमण के स्रोत

Naegleria fowleri अमीबा गर्म मीठे पानी और मिट्टी में फलता-फूलता है और झीलों, नदियों, खराब रखरखाव वाले स्विमिंग पूल, और अन्य जल स्रोतों में पाया जा सकता है। यह अमीबा नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है, जब लोग तैरते हैं, और मस्तिष्क तक पहुंचकर घातक संक्रमण फैलाता है। स्वास्थ्य अधिकारियों को पता चला कि लड़के ने एक छोटी झील में तैराकी की थी, जो इस संक्रमण का संभावित स्रोत मानी जा रही है।

पहले के मामले

केरल में यह मई के बाद से इस प्रकार का तीसरा मामला है। इससे पहले, एक पांच साल की लड़की और 12 साल के लड़के की इसी संक्रमण के कारण मौत हो चुकी है। इन मामलों ने राज्य के स्वास्थ्य तंत्र को हिला कर रख दिया है और तत्काल रोकथाम के उपाय अपनाए जा रहे हैं।

रोकथाम और उपचार

PAM के लिए कोई निर्धारित इलाज नहीं है। डॉक्टर कई दवाओं का मिश्रण उपयोग करते हैं, जिसमें Amphotericin B, Azithromycin, Fluconazole, Rifampin, Miltefosine, और Dexamethasone शामिल हैं, लेकिन इनके परिणाम हमेशा तय रूप से प्रभावी नहीं होते। यह स्थिति इसे और भी गंभीर बनाती है और राज्य के नागरिकों में डर और चिंता का माहौल पैदा करती है।

संक्रमण से बचने के लिए तैराकी के दौरान नाक में पानी जाने से रोकने के लिए नाक क्लिप का उपयोग करने और खराब रखरखाव वाले जल स्रोतों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। स्वास्थ्य विभाग ने कई उपाय लागू किए हैं, जैसे कि जल स्रोतों की नियमित जांच और लोगों को जागरूक करना।

भविष्य की चुनौतियाँ

Naegleria fowleri के संक्रमण के मामलों की बढ़ती संख्या चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों के लिए गंभीर चुनौती है। अधिक अनुसंधान और जागरूकता बढ़ाने की सख्त जरूरत है ताकि इस तरह के जीवन-घातक संक्रमणों से बचा जा सके। सारांश में, यह संक्रमण न केवल दुर्लभ है बल्कि अत्यधिक घातक भी है, जिसकी वजह से इसके मुकाबले के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाना जरूरी है।

6 टिप्पणि

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    Sitara Nair

    जुलाई 7, 2024 AT 05:31
    ये सब तो बहुत डरावना है... 🥺 मैंने कल ही अपने बच्चे को झील में तैरने भेजा था, अब तक घर आया नहीं, और मैं इतना डर गई हूँ कि फोन उठाने का हौसला भी नहीं हो रहा... 😭 क्या कोई बता सकता है कि क्या नाक क्लिप असल में काम करती है? मैंने तो सोचा ये बस ट्रेंड है... 🤔
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    Mallikarjun Choukimath

    जुलाई 8, 2024 AT 12:58
    यह अमीबा, Naegleria fowleri, एक निर्मम जैविक नियम का प्रतीक है-जहाँ प्रकृति की अनियंत्रित शक्ति, मानवीय अहंकार के सामने अपनी अजेयता का प्रदर्शन करती है। हम तकनीकी अग्रगामी हैं, लेकिन अभी भी एक एकल-कोशिकीय जीव के लिए असहाय हैं। यह एक दार्शनिक चुनौती है: क्या हमारी विज्ञान-आधारित आत्मविश्वास, वास्तविकता के सामने एक अभिमानी भ्रम है? 🌌
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    Abhishek Abhishek

    जुलाई 8, 2024 AT 23:33
    ये सब बकवास है। मैंने 10 साल से नदी में नहाता हूँ, कभी कुछ नहीं हुआ। ये सिर्फ मीडिया का डरावना अफवाह बनाने का तरीका है। अमीबा? अरे भाई, ये तो तुम्हारे घर के बाथरूम में भी हैं। डर के आगे जिंदगी जीओ!
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    Avinash Shukla

    जुलाई 10, 2024 AT 07:22
    मुझे लगता है कि इस बारे में जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी है... 🌱 लेकिन डर के बजाय, हमें सही जानकारी देनी चाहिए। जैसे-केवल गर्म पानी में ये अमीबा रहता है, और नाक में पानी जाने से ही संक्रमण होता है। अगर बच्चों को तैराकी के दौरान नाक क्लिप पहनाई जाए, तो ये बहुत कम हो जाएगा। मैंने एक वैज्ञानिक वीडियो देखा था, जिसमें बताया गया था कि ये अमीबा कभी पीने के पानी में नहीं रहता... तो अगर आपका पानी साफ है, तो चिंता न करें 😊
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    dinesh singare

    जुलाई 11, 2024 AT 17:25
    सुनो! ये सब जो बताया जा रहा है, वो सब गलत है! ये अमीबा कोई चमत्कार नहीं है-ये तो एक बहुत ही साधारण प्रोटोजोआ है जिसे हमने 1965 में पहचान लिया था! अमेरिका में हर साल 3-4 मामले होते हैं, और वहाँ लोग तैरते रहते हैं! यहाँ क्यों इतना शोर? ये सब राजनीति है-जिस राज्य में ये हुआ, वो फंड लेने के लिए डर फैला रहा है! अगर तुम नाक में पानी नहीं जाने देते, तो ये अमीबा तुम्हारे मस्तिष्क में कैसे जाएगा? सोचो तो बस! 🤯
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    Harsh Bhatt

    जुलाई 13, 2024 AT 13:59
    मानवता के इतिहास में यह तीसरा मामला है? यह बहुत अजीब है। ये अमीबा तो अमेरिका के गर्म झीलों में रहता है, न कि भारत की नदियों में। तो फिर ये तीनों बच्चे एक साथ कैसे इसके शिकार बने? क्या ये सब एक बड़ा अपराध है? क्या ये जानबूझकर फैलाया गया है? क्या कोई डॉक्टर ने ये नहीं देखा कि ये संक्रमण कभी इतनी तेजी से फैलता है? ये तो एक नियोनाजी साजिश है-एक ऐसा विषय जिसे लोगों को डराने के लिए बनाया गया है ताकि वे अपने बच्चों को नदी में न भेजें... और फिर वे बॉक्सेड पूल बनाएं-जिन्हें एक निगम बेच रहा है।

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