भारतीय मूल के इंजीनियर अशोक एलुस्वामी को एलोन मस्क ने दी उच्च प्रशंसा, अग्रणी बनाया टेस्ला के एआई और ऑटोपायलट को
जून, 10 2024
भारतीय मूल के इंजीनियर अशोक एलुस्वामी की टेस्ला में अहम भूमिका
भारतीय मूल के इंजीनियर अशोक एलुस्वामी इन दिनों तकनीकी दुनिया में सुर्खियों में हैं, और इसका मुख्य कारण उनकी टेस्ला के एआई और ऑटोपायलट सिस्टम में की गई महत्वपूर्ण योगदान है। टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क ने एलुस्वामी की प्रशंसा की है, और यह बताया है कि उनके बिना टेस्ला की पहचान एक सामान्य कार कंपनी ही होती। एलुस्वामी के निर्देशन में टेस्ला ने स्वायत्तता को आत्मनिर्भर बनाया है, जिससे यह उद्योग की एक अग्रणी कंपनी बन गई है।
अशोक एलुस्वामी की सफलता की कहानी
अशोक एलुस्वामी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में पूरी की है। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। उन्होंने अपनी मेहनत और योग्यता से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। 2021 में एलोन मस्क ने उन्हें टेस्ला की ऑटोपायलट टीम के पहले सदस्य के रूप में घोषित किया था। तब से लेकर अब तक, उन्होंने अपनी मेहनत और कौशल से टेस्ला के एआई और ऑटोपायलट सिस्टम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
एलोन मस्क का महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण
एलोन मस्क के महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण और दृढ़ता ने ही टेस्ला को दुनिया की पहली ऑटोपायलट प्रणाली लाने में सक्षम बनाया। यह एक ऐसा कदम था, जिसकी पहले किसी ने कल्पना नहीं की थी। इसके लिए उन्होंने अशोक एलुस्वामी जैसे प्रतिभाशाली इंजीनियर को चुना, जिन्होंने मस्क के इस दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदलने के लिए दिन-रात काम किया। टेस्ला ने अपनी एआई और कंप्यूटर विज़न क्षमताओं को खुद विकसित किया, जो कि अन्य पारंपरिक सेंसरों की तुलना में अधिक सटीक हैं।
ओटोपायलट की प्रमुख विशेषताएं
टेस्ला के ऑटोपायलट की प्रमुख विशेषताओं में अनुकूली क्रूज नियंत्रण, लेन केंद्रण, और आपातकालीन ब्रेकिंग शामिल हैं। ये सभी कार्य वाहन में लगे कैमरों, सेंसरों, और राडार की मदद से संचालित होते हैं, और ये ड्राइवरों को सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का अनुभव प्रदान करते हैं। इन तकनीकों के माध्यम से टेस्ला ने न केवल सवारियों की सुरक्षा को बढ़ाया है, बल्कि उन्हें एक अनोखा और अत्याधुनिक ड्राइविंग अनुभव भी दिया है।
एलुस्वामी और मस्क का नवाचार
अशोक एलुस्वामी के नेतृत्व में टेस्ला ने एआई हार्डवेयर में कस्टमाइजेशन को प्राथमिकता दी है, जिसमें ह्यूमनॉइड रोबोट जैसे परियोजनाएं भी शामिल हैं। मस्क के इस दृष्टिकोण ने टेस्ला को एक ऐसी कंपनी के रूप में स्थापित किया है, जिसने वास्तविक दुनिया के एआई में नए आयाम स्थापित किए हैं। यह कहा जा सकता है कि एक औद्योगिक क्रांति की नई दिशा निर्धारित करने में मस्क के इस योगदान को लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
टेस्ला के भविष्य की राह
टेस्ला के भविष्य की राह इन नवाचारों और तकनीकी प्रगति की बदौलत ही सुगम होगी। एलुस्वामी के अनुभव और मस्क के दिशा-निर्देशन में, टेस्ला एआई और ऑटोपायलट के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छूने के लिए तैयार है। यह भविष्य दर्शाता है कि कैसे भारतीय मूल के युवा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं।
टेस्ला की सफलता यह दर्शाती है कि सही दृष्टिकोण, मेहनत, और नेतृत्व में कोई भी कंपनी दुनिया की शीर्ष कंपनियों में शामिल हो सकती है। अशोक एलुस्वामी के इस मिशन में सहयोग के लिए उन्हें भी एक सजीव उदाहरण माना जा सकता है। यह कहानी न केवल तकनीकी प्रगति की है, बल्कि इसमें इंसान की सुधारा, दृढ़ता, और मेहनत की भी एक झलक मिलती है।
Hiru Samanto
जून 12, 2024 AT 19:01अशोक भाई का नाम सुनकर बहुत गर्व हुआ... भारत से निकले इंजीनियर दुनिया की टेक कंपनियों को बदल रहे हैं। इनकी कहानी हर भारतीय युवा के लिए प्रेरणा है।
Divya Anish
जून 12, 2024 AT 23:52अशोक एलुस्वामी की यह उपलब्धि न केवल एक व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि भारतीय शिक्षा प्रणाली की गहरी क्षमता का प्रमाण है। उन्होंने अपनी शुरुआत एक छोटे शहर से की थी, और आज वे टेस्ला के एआई रिवोल्यूशन के नेता हैं। यह देश के लिए एक ऐतिहासिक पल है।
md najmuddin
जून 13, 2024 AT 11:13भाई ये तो बहुत बढ़िया बात है 😍 भारतीय बच्चे अब घर बैठे दुनिया बदल रहे हैं। अशोक भैया को शुभकामनाएँ 🙌
Ravi Gurung
जून 14, 2024 AT 07:58मुझे लगता है कि हम अक्सर अपने ही देश के लोगों की सफलता को कम जानते हैं। अशोक की कहानी सिर्फ एक इंजीनियर की नहीं, बल्कि एक अनजान भारतीय युवा की लड़ाई की है। ये दुनिया को दिखाता है कि बुद्धि कहीं भी हो सकती है।
SANJAY SARKAR
जून 15, 2024 AT 01:50टेस्ला का ऑटोपायलट तो बहुत अच्छा है लेकिन क्या ये सच में बिना ड्राइवर के चलता है? कुछ वीडियो तो देखे हैं जहां कार गलत दिशा में जा रही है।
Ankit gurawaria
जून 15, 2024 AT 08:12अशोक एलुस्वामी की यह उपलब्धि तो बहुत बड़ी है, लेकिन इसके पीछे की वास्तविकता को हम भूल जाते हैं। भारत में लाखों ऐसे इंजीनियर हैं जिनके पास वही क्षमता है, लेकिन उन्हें अवसर नहीं मिलते। एक बार जब एक भारतीय अमेरिका जाता है, तो उसकी प्रतिभा को दुनिया स्वीकार कर लेती है। लेकिन अगर वो भारत में रहता, तो क्या उसे यह मौका मिलता? यही तो हमारी समस्या है - हम अपने लोगों को विकसित नहीं करते, हम उन्हें बाहर भेज देते हैं और फिर उनकी सफलता पर गर्व करते हैं।
AnKur SinGh
जून 15, 2024 AT 13:33एलोन मस्क के इस बयान को लेकर विवाद तो आया है, लेकिन अशोक एलुस्वामी की भूमिका असली जीत है। उन्होंने भारतीय शिक्षा के आधार को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। एक छोटे गाँव के लड़के ने अपने दिमाग से एक नए युग का निर्माण किया है। यह केवल एक इंजीनियर की कहानी नहीं, बल्कि एक नई पीढ़ी की आशा की कहानी है। हमें अपने युवाओं को ऐसे अवसर देने होंगे, जिनसे वे अपनी प्रतिभा का विकास कर सकें - न कि बस उन्हें बाहर भेजकर उनकी सफलता का गुणगान करें।
Sanjay Gupta
जून 15, 2024 AT 18:05अशोक एलुस्वामी तो बहुत अच्छे हैं... लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भारतीय इंजीनियर दुनिया के सबसे अच्छे हैं। ये सब अमेरिका के फंडिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से हुआ। हमारे देश में अभी भी बिजली नहीं है, फिर एआई का क्या? अशोक की सफलता उनकी व्यक्तिगत चालाकी है, भारत की नहीं।
AnKur SinGh
जून 16, 2024 AT 03:37साथियों, आप सबका विचार बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन जब हम अशोक की सफलता को उनके देश के अभाव के कारण नहीं, बल्कि उनकी अपनी मेहनत और बुद्धि के कारण देखते हैं, तो हम उनकी वास्तविक योगदान को समझते हैं। भारत के शिक्षा प्रणाली में जो कमियाँ हैं, वो उनकी नहीं हैं। उन्होंने उन कमियों के बावजूद अपना रास्ता बनाया। और यही तो सच्ची शक्ति है - अवसर का इंतजार न करना, बल्कि उसे खुद बनाना।